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करोड़ों के कोयला घोटाला मामले में तीन अभियुक्तों को मिली अग्रिम जमानत

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने करोड़ों के कोयला घोटाला मामले में तीन अभियुक्तों को अग्रिम जमानत मंजूर कर ली. वर्ष 2011 में सीबीआई के छापे के बाद मुकदमा दर्ज हुआ था.

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Published : Mar 15, 2022, 9:07 PM IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने करोड़ों रुपये के कोयला घोटाला मामले में तीन अभियुक्तों की अग्रिम जमानत याचिकाएं मंजूर कर लीं. न्यायालय ने आदेश दिया है कि यदि अभियुक्तों की इस मामले में गिरफ्तारी होती है, तो उन्हें दो जमानतों और व्यक्तिगत मुचलके पर रिहा कर दिया जाए.

यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने ड्रोलिआ कोक इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक रतन सिंह, महाप्रबंधक डीआईसी चंदौली रामजी सिंह और सहायक प्रबंधक डीआईसी चंदौली योगेंद्र नाथ पांडेय की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर दिया. याचियों की ओर से दलील दी गई कि इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है और विवेचना के दौरान उन्होंने जांच एजेंसी की पूरा सहयोग किया था. लिहाजा सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश के मद्देनजर उनको अग्रिम जमानत दी जाए. वहीं सीबीआई के अधिवक्ता की ओर से याचिका का विरोध किया गया. कहा गया कि इस मामले में आरोप पत्र को चुनौती देने वाली याचिका खारिज हो चुकी है.


वर्ष 2011 में दर्ज हुए इस मामले में सीबीआई ने तमाम कम्पनियों और लोगों को कोयला घोटाला करने का आरोपी बनाते हुए, आरोप पत्र दाखिल किया था. आरोप पत्र को फेट्रिको मार्केटिंग एंड इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड, स्वास्तिक सीमेंट प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, ड्रोलिआ कोक इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और जय दुर्गा इंडस्ट्रीज ने चुनौती दी थी.

ये भी पढ़ें- मोहसिन रजा को बड़ी राहत, कोर्ट ने मारपीट और धमकाने के केस में किया बरी

इस मामले में मार्च 2011 में सीबीआई ने तमाम कम्पनियों के परिसरों पर छापा मारा गया. इसमें पाया गया कि सरकारी स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज को सप्लाई किये जाने वाले करोड़ों की कीमत के कोयले को सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से बाजार में बेचा जा रहा था. मामले की जांच में डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्रीज सेंटर, चंदौली के तत्कालीन महाप्रबंधक रामजी सिंह और सहायक प्रबंधक योगेंद्र नाथ पांडेय की मिलीभगत भी सामने आई. सीबीआई ने जांच के उपरांत दोनों अधिकारियों के खिलाफ भी चार्जशीट निचली अदालत में दाखिल की है.

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लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने करोड़ों रुपये के कोयला घोटाला मामले में तीन अभियुक्तों की अग्रिम जमानत याचिकाएं मंजूर कर लीं. न्यायालय ने आदेश दिया है कि यदि अभियुक्तों की इस मामले में गिरफ्तारी होती है, तो उन्हें दो जमानतों और व्यक्तिगत मुचलके पर रिहा कर दिया जाए.

यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने ड्रोलिआ कोक इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक रतन सिंह, महाप्रबंधक डीआईसी चंदौली रामजी सिंह और सहायक प्रबंधक डीआईसी चंदौली योगेंद्र नाथ पांडेय की अग्रिम जमानत याचिकाओं पर दिया. याचियों की ओर से दलील दी गई कि इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है और विवेचना के दौरान उन्होंने जांच एजेंसी की पूरा सहयोग किया था. लिहाजा सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आदेश के मद्देनजर उनको अग्रिम जमानत दी जाए. वहीं सीबीआई के अधिवक्ता की ओर से याचिका का विरोध किया गया. कहा गया कि इस मामले में आरोप पत्र को चुनौती देने वाली याचिका खारिज हो चुकी है.


वर्ष 2011 में दर्ज हुए इस मामले में सीबीआई ने तमाम कम्पनियों और लोगों को कोयला घोटाला करने का आरोपी बनाते हुए, आरोप पत्र दाखिल किया था. आरोप पत्र को फेट्रिको मार्केटिंग एंड इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड, स्वास्तिक सीमेंट प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, ड्रोलिआ कोक इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और जय दुर्गा इंडस्ट्रीज ने चुनौती दी थी.

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इस मामले में मार्च 2011 में सीबीआई ने तमाम कम्पनियों के परिसरों पर छापा मारा गया. इसमें पाया गया कि सरकारी स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज को सप्लाई किये जाने वाले करोड़ों की कीमत के कोयले को सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से बाजार में बेचा जा रहा था. मामले की जांच में डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्रीज सेंटर, चंदौली के तत्कालीन महाप्रबंधक रामजी सिंह और सहायक प्रबंधक योगेंद्र नाथ पांडेय की मिलीभगत भी सामने आई. सीबीआई ने जांच के उपरांत दोनों अधिकारियों के खिलाफ भी चार्जशीट निचली अदालत में दाखिल की है.

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