आगरा: चिकित्सकों का दावा है कि कोरोना संक्रमण अभी थमा है, खत्म नहीं हुआ है. अब भी सतर्कता की जरूरत है. वैसे भी आगरा में कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाया था. मगर जिस तरह से अभी लापरवाही बढ़ी है. इम्युनिटी का लेवल भी कम हो रहा है. उससे संभावना है कि नवंबर से दिसंबर के बीच कोरोना की तीसरी लहर आएगी. चिकित्सकों का मानना है कि स्पेनिश फ्लू के पैटर्न की तरह ही कोरोना की थर्ड आएगी. इसलिए वैक्सीनेशन जरूरी है. मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, जिससे कोरोना की तीसरी लहर के पीक को कम किया जा सके.
आगरा में रविवार की रात को नेशनल मेडिको आर्गनाइजेशन की कांफ्रेस लाइफ इन कोविड प्रजेंट, पास्ट एंड फयूचर में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चिकित्सकों ने चर्चा की. कांफ्रेस में रियलटी आफ थर्ड वेव सत्र था. इसमें चिकित्सकों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए.
एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉ. शैलेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि जिस तरह की परिस्थिति बन रही हैं, उन्हें देखकर लग रहा है कि कोरोना की थर्ड वेव आएगी. मगर उसके लिए हमें पैनिक से ज्यादा तैयारी करने की जरूरत है. थर्ड वेव की संभावना इसलिए भी है क्योंकि लोगों का इम्युनिटी लेवल कम हो रहा है. कोरोना की एंटीबॉडी का छह से आठ माह में काफी लेवल कम हो जाता है. पिछले पीक को छह से आठ माह गुजर चुकें हैं. अब लोग लापरवाह हो गए हैं. लोगों न ही हाथ धो रहे हैं और न ही मास्क लगा रहे हैं. सोशल डिस्टेंस का पालन भी नहीं किया जा रहा है. ऐसे में तीसरी लहर की संभावना अधिक है. पहली वेव के छह माह बाद दूसरी वेव आई थी. ऐसे ही छह माह बाद तीसरी वेव आएगी. नवंबर और दिसंबर के बीच में तीसरी लहर आएगी.
एसएनएमसी के डॉ. वीरेश ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर आएगी. हमारी इम्युनिटी पर यह निर्भर है. हम इसका असर कम कर सकते हैं. अब मास्क बहुत कम लोग लगा रहे हैं. जब बीमारी आती है तो खूब सोचते हैं. बोलते हैं कि बीमारी आ गई. मगर अब हम क्या कर रहे हैं. मास्क और वैक्सीनेशन, ये दो हथियार हैं. इनसे हम कोरोना की तीसरी लहर को काफी हद तक टाल सकते हैं. अभी तक लाइफ टाइम इम्युनिटी वाली वैक्सीन अभी नहीं बन पाई है. इसलिए सभी लोग मास्क लगाएं और सोशल डिस्टेंस का पालन करें.
एसएनएमसी के डॉ. भूपेंद्र चाहर ने बताया कि कोरोना ने अब तक जो किया है. उससे हमने क्या सबक लिया है. अब हमारा अगला स्टेप क्या होगा. कल यदि थर्ड वेव आ रही है. उसको लेकर हम कितने तैयार हैं. हमने अब तक जो सीखा है, उसे कैसे हम लागू कर सकते हैं. दूसरी लहर में मौत ज्यादा हुईं. अब थर्ड वेव में हम कैसे रोक सकते हैं. उन्हें कम कैसे किया जा सकता है. इस पर ही चर्चा हुई है.
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एसएनएमसी के डॉ. निखिल शर्मा का कहना है कि लोगों की लापरवाही चरम पर है. पहली लहर के मुकाबले कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक थी. जिसमें लोगों की जानें गईं. हर परिवार पीड़ित हुआ. हमें यह डर है कि तीसरी लहर भी ज्यादा खतरनाक न हो. यह वायरस हमेशा रूप बदलता रहता है. हमारी एंटीबॉडी पुराने वायरस को पहचानती है. नए वायरस को लेकर असमंजस है, इसलिए अभी सतर्कता ही हमें कोरोना की तीसरी लहर में बचाएगी.