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यूपी हज समिति के गेट से गायब हुई उर्दू, नई समिति के गठन के बाद बदला दफ्तर का रंग-रूप

उत्तर प्रदेश राज्य हज समिति के गठन के बाद अब विवाद खड़ा होता दिखाई दे रहा है. नई समिति के गठन होने के बाद से परिसर और दफ्तर को नया रंग-रूप दिया गया है. हालांकि हज समिति के मुख्य द्वार पर लगा नया बोर्ड विवाद का कारण भी बनता नजर आ रहा है.

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Published : Aug 3, 2022, 10:36 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य हज समिति के गठन के बाद अब विवाद खड़ा होता दिखाई दे रहा है. नई समिति के गठन होने के बाद से परिसर और दफ्तर को नया रंग-रूप दिया गया है. हालांकि हज समिति के मुख्य द्वार पर लगा नया बोर्ड विवाद का कारण भी बनता नजर आ रहा है. यूपी हज समिति के दफ्तर से उर्दू गायब हो गई है, जिस पर मौलाना और उर्दू के क्षेत्र में काम करने वालों ने ऐतराज जताया है.

दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सूफियान निजामी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि उर्दू हमारे प्रदेश की सरकारी भाषा है और यह सिर्फ किसी एक मजहब तक सीमित नहीं है, लिहाजा हर शख्स और खासतौर से लखनऊ के लोगों की यह जिम्मेदारी है कि हम इस भाषा की हिफाज़त करें. मौलाना सूफियान ने कहा कि हज समिति के जिम्मेदारों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि अभी तक हमारे तमाम सरकारी विभागों में नेम प्लेट पर उर्दू में लिखा जाता रहा है. उन्होंने कहा कि हज समिति का दफ्तर एक खास मजहब के काम काज से जुड़ा है और वहां पर उर्दू का होना और भी अहम हो जाता है. ऐसे में अगर हज समिति के दफ्तर से उर्दू को नजरंदाज किया जायेगा तो लाज़मी है लोगों को ऐतराज करने का मौका मिलेगा. मौलाना ने यूपी हज समिति के जिम्मेदारों को नसीहत देते हुए कहा कि किसी को भी सरकारी तौर पर उर्दू के साथ भेदभाव का रवैया नहीं अपनाना चाहिए, जिससे सरकार के खिलाफ माहौल बने.


उर्दू भाषा के लिए लंबे समय से काम कर रहे अब्दुल नसीर नासिर ने कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि वह हज समिति के अध्यक्ष से बात करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि वह फिर गुरुवार को इस मामले पर बात करने की कोशिश करेंगे और इसको ठीक कराने की मांग करेंगे, नहीं तो इजाज़त लेकर वह खुद ही बोर्ड पर वापस उर्दू से लिख देंगे. अब्दुल नसीर नासिर ने कहा कि हिंदी के बाद उर्दू दूसरी सरकारी भाषा है और इसके लिए वह सुप्रीम कोर्ट तक गए हैं. उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट की बात हज समिति के जिम्मेदार ने नहीं मानी तो वह उनके खिलाफ कंटेंप्ट फाइल करेंगे.

उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ व हज मंत्री दानिश आज़ाद ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस मामले पर वह वहां के जिम्मेदारों और चेयरमैन से बात करेंगे और पूरी जानकारी लेंगे. बताते चलें कि इससे पहले हज समिति को भगवा रंग में पोत दिया गया था. जिस पर विवाद खड़ा होता देख आनन- फानन में वापस रंगाई की गई थी.

इसे भी पढ़ें : बाल संरक्षण आयोग व CWC की नूराकुश्ती के बीच अधर में लटका 39 बच्चों को भविष्य

वहीं नई समिति के चेयरमैन मोहसिन रजा के कार्यकाल के दौरान एक बार फिर हज समिति विवादों में घिरती नज़र आ रही है.
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य हज समिति के गठन के बाद अब विवाद खड़ा होता दिखाई दे रहा है. नई समिति के गठन होने के बाद से परिसर और दफ्तर को नया रंग-रूप दिया गया है. हालांकि हज समिति के मुख्य द्वार पर लगा नया बोर्ड विवाद का कारण भी बनता नजर आ रहा है. यूपी हज समिति के दफ्तर से उर्दू गायब हो गई है, जिस पर मौलाना और उर्दू के क्षेत्र में काम करने वालों ने ऐतराज जताया है.

दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सूफियान निजामी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि उर्दू हमारे प्रदेश की सरकारी भाषा है और यह सिर्फ किसी एक मजहब तक सीमित नहीं है, लिहाजा हर शख्स और खासतौर से लखनऊ के लोगों की यह जिम्मेदारी है कि हम इस भाषा की हिफाज़त करें. मौलाना सूफियान ने कहा कि हज समिति के जिम्मेदारों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि अभी तक हमारे तमाम सरकारी विभागों में नेम प्लेट पर उर्दू में लिखा जाता रहा है. उन्होंने कहा कि हज समिति का दफ्तर एक खास मजहब के काम काज से जुड़ा है और वहां पर उर्दू का होना और भी अहम हो जाता है. ऐसे में अगर हज समिति के दफ्तर से उर्दू को नजरंदाज किया जायेगा तो लाज़मी है लोगों को ऐतराज करने का मौका मिलेगा. मौलाना ने यूपी हज समिति के जिम्मेदारों को नसीहत देते हुए कहा कि किसी को भी सरकारी तौर पर उर्दू के साथ भेदभाव का रवैया नहीं अपनाना चाहिए, जिससे सरकार के खिलाफ माहौल बने.


उर्दू भाषा के लिए लंबे समय से काम कर रहे अब्दुल नसीर नासिर ने कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि वह हज समिति के अध्यक्ष से बात करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि वह फिर गुरुवार को इस मामले पर बात करने की कोशिश करेंगे और इसको ठीक कराने की मांग करेंगे, नहीं तो इजाज़त लेकर वह खुद ही बोर्ड पर वापस उर्दू से लिख देंगे. अब्दुल नसीर नासिर ने कहा कि हिंदी के बाद उर्दू दूसरी सरकारी भाषा है और इसके लिए वह सुप्रीम कोर्ट तक गए हैं. उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट की बात हज समिति के जिम्मेदार ने नहीं मानी तो वह उनके खिलाफ कंटेंप्ट फाइल करेंगे.

उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण, मुस्लिम वक्फ व हज मंत्री दानिश आज़ाद ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस मामले पर वह वहां के जिम्मेदारों और चेयरमैन से बात करेंगे और पूरी जानकारी लेंगे. बताते चलें कि इससे पहले हज समिति को भगवा रंग में पोत दिया गया था. जिस पर विवाद खड़ा होता देख आनन- फानन में वापस रंगाई की गई थी.

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वहीं नई समिति के चेयरमैन मोहसिन रजा के कार्यकाल के दौरान एक बार फिर हज समिति विवादों में घिरती नज़र आ रही है.
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