लखनऊ: राजधानी में पिटबुल के हमले में बुजुर्ग महिला की मौत ने घर में कुत्ता पालने वालों में खौफ पैदा कर दिया है. खौफ इस कदर है कि बच्चों की तरह पाले गए कुत्तों से उनके मालिक दूरियां बना रहे हैं. तमाम ऐसे लोग सामने आ रहे, जो अपने डॉगी को किसी और को देने के लिए पेट शॉप्स वालों से सिफारिश कर रहे हैं. यही नहीं इस हमले से लोग पूरी तरह से इतना डरे हुए हैं कि वे अपने महंगे पालतू कुत्तों को फ्री में दूसरों को देना शुरू कर दिया है.
लखनऊ के हजरतगंज के पेट शॉप मालिक नीरज कुमार ने बताया कि 13 जुलाई को पिटबुल कांड के बाद से लोग कुत्ते पालने से डर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस हादसे के बाद से लोगों में खौफ है. उनका कहना है कि उस घटना के बाद से 25 से ज्यादा लोगों की कॉल आई है और वह अपने डॉगी को फ्री में दूसरों को दिलाने की सिफारिश कर रहे हैं. उनका कहना है कि इनमें से कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस वजह से अपने पालतू और प्यारे कुत्तों को दूसरों को देने के लिए तैयार हो रहे हैं क्योंकि आस-पास के लोग उनका विरोध कर रहे हैं.
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गौरतलब है कि, बीते दिनों कैसरबाग के बंगाली टोला निवासी सुशीला त्रिपाठी (82) को उनके घर में पल रहे पिटबुल ने नोंचकर गंभीर रूप से घायल कर दिया था. परिजनों ने उनको इलाज के लिए बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी मौत हो गई थी.
कैसरबाग के बंगाली टोला में सुशीला त्रिपाठी परिवार के साथ रहती थी. परिवार में उनके अलावा बेटा और कई अन्य लोग हैं. एक नौकरानी भी घर में ही रहती है. बेटा अमित त्रिपाठी अलीगंज स्थित एक जिम में ट्रेनर है. घर में दो पालतू स्वान हैं. एक लैब्राडोर है तो दूसरा खूंखार पिटबुल प्रजाति का है. सुशीला कुत्तों को छत पर टहला रही थी. इसी बीच अचानक से पिटबुल उन पर हमलावर हो गया था.
पिटबुल ने काटना शुरू किया था. बुजुर्ग सुशीला अपनी जान बचाने के लिए चीख रही थी. इधर-उधर भाग रही थी. लेकिन पिटबुल के चंगुल से वह बच नहीं सकी. पिटबुल ने उनके शरीर पर कई जगह वार किया था. पिटबुल ने पेट, सिर, चेहरा, पैर और हाथ में कई जगह अपने जबड़े से नोंच लिया था. जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी. पोस्टमार्टम में उनके चेहरे, पेट, सिर के पिछले हिस्से, दोनों हाथ और जांघ पर 13 जगह कुत्ते के नोंचने के निशान मिले थे.
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