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गोमती रिवर फ्रंट घोटाला, ब्रांड ईगल्स के बद्री श्रेष्ठ की अग्रिम जमानत याचिका खारिज - गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की रिपोर्ट

गोमती रिवर फ्रंट घोटाले (Gomti River Front scam) के अभियुक्त मेसर्स ब्रांड ईगल्स के वरिष्ठ परामर्शदाता बद्री श्रेष्ठ की अग्रिम जमानत अर्जी को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अजय विक्रम सिंह ने खारिज कर दिया है.

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Published : Oct 11, 2022, 9:35 PM IST

लखनऊ : गोमती रिवर फ्रंट घोटाले (Gomti River Front scam) के अभियुक्त मेसर्स ब्रांड ईगल्स के वरिष्ठ परामर्शदाता बद्री श्रेष्ठ की अग्रिम जमानत अर्जी को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अजय विक्रम सिंह ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि मामले में अभियुक्त की भूमिका को देखते हुए, उसे अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाना उचित नहीं है.

वहीं सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा गया कि गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की रिपोर्ट सबसे पहले गोमती नगर थाने में वर्ष 2017 में दर्ज कराई गई थी. इसके बाद 30 नवंबर 2017 को राज्य सरकार की सिफारिश पर जांच सीबीआई को स्थानांतरित की गई. आरोप है कि गोमती रिवर फ्रंट विकास परियोजना में एक साजिश के तहत गुलेश चंद्र, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिवमंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव एवं सुरेंद्र यादव द्वारा कार्य कराया गया था. बताया गया है कि अभियुक्त बद्री श्रेष्ठ ने अन्य आरोपियों के साथ साजिश में शामिल होकर लाभ प्राप्त किया. यह भी कहा गया कि आरोपी रूप सिंह यादव ने केके स्पन पाइप प्राइवेट लिमिटेड को सिंचाई विभाग में पंजीकरण न होते हुए भी उसे टेंडर दिलाने के लिए निविदा सूचना में पंजीकरण से सम्बंधित शर्तों में छूट प्रदान करने के लिए नोट शीट में नोटिंग कर के मुख्य अभियंता एसएन शर्मा से अप्रूव करा लिया, जबकि छूट प्रदान करने के लिए शासन से अनुमति लेना चाहिए था. इसके अलावा मेमोरेंडम का प्रकाशन नहीं कराया गया जो कि अनिवार्य था. इस कारण अन्य कम्पनियां भाग भी नहीं ले पाईं. जमानत के विरोध में यह भी कहा गया कि जांच के दौरान पता चला कि आरोपी अभियुक्त ने 25 अगस्त 2015 को निविदा के दस्तावेज खरीदने के लिए शाहिद नाम के व्यक्ति को प्राधिकृत किया, जबकि उसको तथ्य की जानकारी नहीं थी. अभियुक्त ने केके स्पन पाइप को निविदा दिलाकर सरकार को आर्थिक हानि पहुंचाई है. दलील दी गई कि करोड़ों के इस घोटाले में अभियुक्त की अहम भूमिका है.

लखनऊ : गोमती रिवर फ्रंट घोटाले (Gomti River Front scam) के अभियुक्त मेसर्स ब्रांड ईगल्स के वरिष्ठ परामर्शदाता बद्री श्रेष्ठ की अग्रिम जमानत अर्जी को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अजय विक्रम सिंह ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि मामले में अभियुक्त की भूमिका को देखते हुए, उसे अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाना उचित नहीं है.

वहीं सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा गया कि गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की रिपोर्ट सबसे पहले गोमती नगर थाने में वर्ष 2017 में दर्ज कराई गई थी. इसके बाद 30 नवंबर 2017 को राज्य सरकार की सिफारिश पर जांच सीबीआई को स्थानांतरित की गई. आरोप है कि गोमती रिवर फ्रंट विकास परियोजना में एक साजिश के तहत गुलेश चंद्र, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिवमंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव एवं सुरेंद्र यादव द्वारा कार्य कराया गया था. बताया गया है कि अभियुक्त बद्री श्रेष्ठ ने अन्य आरोपियों के साथ साजिश में शामिल होकर लाभ प्राप्त किया. यह भी कहा गया कि आरोपी रूप सिंह यादव ने केके स्पन पाइप प्राइवेट लिमिटेड को सिंचाई विभाग में पंजीकरण न होते हुए भी उसे टेंडर दिलाने के लिए निविदा सूचना में पंजीकरण से सम्बंधित शर्तों में छूट प्रदान करने के लिए नोट शीट में नोटिंग कर के मुख्य अभियंता एसएन शर्मा से अप्रूव करा लिया, जबकि छूट प्रदान करने के लिए शासन से अनुमति लेना चाहिए था. इसके अलावा मेमोरेंडम का प्रकाशन नहीं कराया गया जो कि अनिवार्य था. इस कारण अन्य कम्पनियां भाग भी नहीं ले पाईं. जमानत के विरोध में यह भी कहा गया कि जांच के दौरान पता चला कि आरोपी अभियुक्त ने 25 अगस्त 2015 को निविदा के दस्तावेज खरीदने के लिए शाहिद नाम के व्यक्ति को प्राधिकृत किया, जबकि उसको तथ्य की जानकारी नहीं थी. अभियुक्त ने केके स्पन पाइप को निविदा दिलाकर सरकार को आर्थिक हानि पहुंचाई है. दलील दी गई कि करोड़ों के इस घोटाले में अभियुक्त की अहम भूमिका है.

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