लखनऊ : परिवहन विभाग के बाबुओं की कारस्तानी से आरटीओ कार्यालय (RTO Office) के अंदर से परमिट की 600 फाइलें ही गायब हो गई हैं. परमिट की कुल 5800 में से सिर्फ 5200 फाइलें ही मिलीं, शेष 600 फाइलें कहां गईं इसका कोई पता ही नहीं. यह मामला तब खुला जब आरटीओ कार्यालय की तरफ से टेंपो संचालकों को परमिट के नवीनीकरण से संबंधित पेनाल्टी के लिए नोटिस भेजी जाने लगी. अब जब विभागीय कर्मचारियों की कारस्तानी सामने आई है तो अधिकारियों के हाथ पांव फूले हुए हैं. बाकायदा ऑडिट रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि कई लाख का घपला इन फाइलों के जरिए हुआ है. 600 फाइलों का तो फिलहाल पता ही नहीं है, लेकिन ऑडिट के दौरान 5200 फाइलों में से 1100 फाइलों में पेनाल्टी का जो डिफरेंस मिला है उसे जमा करने के लिए विभाग वाहन स्वामियों पर दबाव बना रहा है. माना जा रहा है कि अधिकारियों का यह स्टंट बाबुओं को बचाने के लिए है. तमाम वाहन स्वामियों का कहना है कि उसी समय जुर्माना जमा कर दिया था आखिर अब जुर्माना किस बात का. इससे साबित होता है कि बाबुओं ने खूब खेल किया है.
केस 1 : कल्पना तिवारी को आरटीओ कार्यालय (RTO Office) की तरफ से नोटिस भेजा गया. संप्रेक्षा दल की तरफ से परमिट नवीनीकरण में विलंब शुल्क नहीं जमा होने पर राजस्व क्षति होने का जिक्र किया गया है. सात दिन के अंदर विलंब शुल्क जमा करने के निर्देश दिए गए. कल्पना तिवारी की स्थाई ठेका गाड़ी (यूपी 32 सीएन 7900) है. जिसका परमिट 28 अप्रैल 2015 तक वैध बताया गया है. 80355 रुपए का जुर्माना जमा करने के लिए नोटिस भेजा गया है.
केस 2 : राजाजीपुरम निवासी बापू सोनकर को उनकी स्थाई ठेका गाड़ी (यूपी 32 बीएन 6871) के विलंब शुल्क के लिए आरटीओ कार्यालय की तरफ से नोटिस मिली है. नोटिस में जिक्र है कि आपका वाहन 13 दिसंबर 2016 तक ही वैध है. ₹21,805 विलंब शुल्क जमा नहीं किया गया है. सात दिन के अंदर जमा करें.
केस 3 : रहीम नगर निवासी अल्वीना को भी आरटीओ कार्यालय (RTO Office) की तरफ से उनकी गाड़ी (यूपी 32 सीएन 1322) के विलंब शुल्क ना जमा किए जाने को लेकर नोटिस दी गई है. जिक्र है कि 18 जुलाई 2016 तक ही परमिट वैध था. परमिट नवीनीकरण कराए जाने पर 4900 रुपए का विलंब शुल्क जमा नहीं किया गया है. सात दिन के अंदर जमा करें.
केस 4 : आलमनगर निवासी मिथिलेश कुमार यादव को भी आरटीओ की तरफ से नोटिस जारी किया गया है. उनके वाहन (यूपी 32 जीएन 1378) जिसका परमिट 23 अगस्त 2016 तक वैध बताया गया है. परमिट नवीनीकरण कराए जाने के दौरान ₹4550 विलंब शुल्क जमा किए जाने को लेकर सात दिन के अंदर जवाब देने के साथ ही पूरी पेनाल्टी जमा करने के लिए कहा गया है.
केस 5 : चिनहट निवासी वीरेश कुमार को आरटीओ कार्यालय (RTO Office) की तरफ से नोटिस भेजा गया, जिसमें उनकी स्थाई ठेका गाड़ी (यूपी 32 सीएन 5851) का परमिट 26 मई 2016 तक वैध बताया गया. परमिट नवीनीकरण कराए जाने पर ₹450 विलंब शुल्क जमा नहीं किया गया. ऑडिट टीम ने इसकी क्षति दर्शाई है. सात दिन के अंदर नवीनीकरण विलंब शुल्क जमा करने का निर्देश दिया गया.
यह मामले तो महज बानगी हैं. इसी तरह के हजारों वाहन स्वामियों को आरटीओ कार्यालय की तरफ से तीन से पांच साल बाद नोटिस जारी किए जा रहे हैं. इस नोटिस को लेकर वाहन स्वामी काफी परेशान हो गए हैं. आरटीओ कार्यालय में अपनी बात रखने के लिए पहुंच रहे हैं. कई वाहन मालिकों का कहना है कि जिस समय परमिट का नवीनीकरण कराया था उस समय पेनाल्टी का पूरा भुगतान किया था, लेकिन अब पता नहीं किस बात की परमिट के नवीनीकरण को लेकर पेनॉल्टी जमा करने की नोटिस भेजी जा रही है.
आखिर क्यों नहीं पकड़ पाई ऑडिट टीम : आरटीओ कार्यालय (RTO Office) से 5800 में से 600 फाइलें जो गुम हो गई हैं उनकी बात छोड़िए, लेकिन शेष फाइलों में परमिट के नवीनीकरण के दौरान वसूली गई जुर्माने की रकम का गबन ऑडिट टीम की पकड़ में पहले क्यों नहीं आया, जबकि हर साल ऑडिट टीम सभी फाइलों की जांच करती है. सवाल ऑडिट टीम की जांच पर भी उठ रहे हैं. जनवरी 2016 से जनवरी 2020 तक परमिट नवीनीकरण के जुर्माने की रकम की ऑडिट टीम ने जांच की है.
इस तरह बाबुओं ने किया खेल : परमिट अनुभाग के कर्मचारी रिन्यूअल की पेनाल्टी की रकम मैनुअल काउंटर पर जमा कराते थे, जबकि इसकी फीस परमिट अनुभाग में ऑनलाइन कंप्यूटर से जमा होती थी. साफ है कि रकम परमिट सेक्शन से लेकर काउंटर तक के बाबुओं में विभाजित होती थी. बाबुओं ने परमिट के नवीनीकरण की धनराशि कम करके विभाग को भरपूर चूना लगा दिया.
कमेटी की जांच का पता नहीं : ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद गबन के सत्यापन के लिए पूर्व में शासन के निर्देश पर तीन सदस्यीय जांच कमेटी भी गठित हुई थी. जिनमें परिवहन विभाग के उच्चाधिकारी शामिल थे, लेकिन इस जांच का क्या हुआ अभी तक इसका कोई पता ही नहीं है, जबकि इतने समय में आरटीओ रिटायर भी हो गए, कई का ट्रांसफर भी हो गया. बाबू भी कई सेवानिवृत्त हो चुके हैं और कई अन्य स्थानों पर भेजे जा चुके हैं.
क्या कहते हैं वाहन स्वामी : वाहन स्वामी अल्विना आरटीओ कार्यालय (RTO Office) की तरफ से भेजी गई नोटिस के चलते काफी परेशान हैं. उनके पति की मृत्यु भी हो चुकी है. वह कहती हैं कि ऐसा कभी हुआ ही नहीं कि समय पर परमिट की फीस न भरी हो तो जुर्माने का सवाल ही पैदा नहीं होता. आरटीओ कार्यालय की तरफ से जो नोटिस भेजी गई है वह सही नहीं है. जो कार्यालय चालान में एक पैसा नहीं छोड़ता है वह भला इतने दिन तक वाहन स्वामियों से नवीनीकरण के लिए पेनाल्टी कैसे भूल सकता है.
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इस बारे में आरटीओ आरपी द्विवेदी का कहना है कि ऑडिट जांच में सामने आया है कि परमिट नवीनीकरण का विलंब शुल्क वाहन स्वामियों ने समय पर जमा नहीं किया है. पेनॉल्टी की वसूली के लिए नोटिस भेजी गई है. गुम हुई फाइलें कहां गईं इसका जवाब नहीं है.
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