लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिना पंजीकरण के कारखानों का धड़ल्ले से संचालन किया जा रहा है. इन कारखानों के पास न तो प्रदूषण विभाग का पंजीयन है न ही फैक्ट्री एक्ट के अधीन आने वाले अन्य पंजीयन कराए गए हैं. इसका खुलासा उत्तर प्रदेश के श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुनील भराला ने किया.
उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुनील भराला. इंदिरा भवन में आयोजित प्रदेश के सभी निदेशक और सहायक निदेशक के साथ हुई बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुनील भराला ने कहा कि बीते दिनों हापुड़ में एक कारखाने में हादसा हो गया था. जिसमें कई मजदूरों को जान गंवानी पड़ी थी. जांच में सामने आया था कि जिन फैक्ट्रियों में हादसे हो रहे हैं, उनके पास ना तो प्रदूषण और ना ही फैक्ट्री एक्ट के तहत होने वाले कोई पंजीयन हैं. उन्होंने कहा कि बोर्ड की बैठक में कर्मचारियों की तरफ से बार-बार प्रदेश में हजारों कारखाने बिना पंजीयन चलाए जाने की बात कही गई है. सुनील भराला ने कहा कि इन कारखाना संचालकों को मुख्यमंत्री की तरफ से ऑनलाइन पंजीयन का भी अवसर दिया जा चुका है. मुख्यमंत्री के द्वारा दिए गए समय को करीब 2 साल पूरे हो चुके हैं. सभी सहायक निदेशक को अपने इलाके में कारखानों का औचक निरीक्षण और मौके पर इनका पंजीयन कराने के निर्देश दिये गये हैं. पंजीयन न कराने वाले कारखानों को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाएगा. ये भी पढ़ें : योगी कैबिनेट बैठक: तबादला नीति 2022 को मंजूरी, यूपी पुलिस में 40 हजार पदों पर होगी भर्ती
सुनील भराला ने बताया कि मृत श्रमिकों के परिजनों को 100000 का मुआवजा दिया जाना है. इसके अलावा प्रैक्टिस श्रमिक के परिजनों को पंचवर्षीय योजना के माध्यम से 10000 अतिरिक्त दिए जाने हैं. उन्होंने बताया कि इसके संबंध में भी अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप