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कानपुर के किसी विधायक के सिर नहीं सजा मंत्री पद का ताज, जानें राजनीतिक हल्कों में देर शाम तक क्या रही चर्चा

योगी सरकार का शुक्रवार को दोबारा गठन हुआ. इसमें कानपुर के किसी विधायक के सिर मंत्री पद का ताज नहीं सजा है. इसे लेकर स्थानीय स्तर पर राजनीतिक हल्कों में देर शाम तक चर्चा होती रही.

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डीएवी कालेज में राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ.दीपशिखा चतुर्वेदी
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Published : Mar 25, 2022, 10:27 PM IST

कानपुर. योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में कानपुर से सतीश महाना जहां औद्योगिक विकास मंत्री के रूप में अपना जिम्मा संभाल रहे थे तो वहीं कल्याणपुर से विधायक बनीं नीलिमा कटियार उच्च शिक्षा राज्यमंत्री के पद पर कार्यरत थीं. हालांकि शुक्रवार को जब योगी सरकार का दोबारा गठन हुआ तो उनमें कानपुर से किसी विधायक के सिर मंत्री पद का ताज नहीं सजा. यह बात देर शाम तक राजनीतिक हल्कों में चर्चा का विषय बनी रही.

डीएवी कालेज में राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ.दीपशिखा चतुर्वेदी

दरअसल, मंत्रिमंडल गठन से पहले प्रदेश में दूसरे सबसे वरिष्ठ विधायक सतीश महाना का मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा था. वैसे भी योगी की पिछली सरकार में कानपुर से चार विधायकों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया था. हालांकि इस बार जब मंत्रिमंडल का गठन हुआ तो शहर के विधायक निराश रह गए.

इसे भी पढ़ेंः सीएम योगी के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं पहुंचे अखिलेश यादव, दी ये नसीहत
पहली बार एक भी मंत्री नहीं
भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बताया कि इससे पहले जब-जब भाजपा की सरकार बनी, तब-तब कानपुर से हमेशा किसी न किसी विधायक को मंत्रिमंडल में स्थान मिला. मगर, ऐसा पहली बार हुआ जब शहर से किसी विधायक को मंत्री पद नहीं मिला. इससे कार्यकर्ता भी बेहद हताश और मायूस हैं.

महापौर और सलिल विश्नोई के नाम की खूब रही चर्चा

शहर से एक ओर जहां सतीश महाना का मंत्री बनना तय माना जा रहा था तो वहीं अचानक दोपहर में महापौर प्रमिला पांडेय और एमएलसी सलिल विश्नोई के नाम की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया. हालांकि, महापौर ने इस बात का खंडन किया और बताया कि वह सीएम से शिष्टाचार भेंट करने गईं थीं. इसी तरह एमएलसी सलिल विश्नोई ने कहा कि वह भी सीएम को बधाई देने गए थे.

इस बाबत सिविल लाइंस स्थित डीएवी काॅलेज में राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ. दीपशिखा चतुर्वेदी कहती हैं कि 2017 के बाद 2022 में योगी सरकार का जो मंत्रिमंडल बना, उसमें कानपुर से किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया. इसके पीछे जो अहम कारण है, वह है सबका साथ, सबका विकास का नारा. यानी भाजपा हर बार प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों को प्रतिनिधित्व देना चाहती है. वह बताती हैं कि योगी सरकार में इस बार उन विधायकों को तरजीह दी गई जो युवा हैं. निराश होने जैसी कोई बात नहीं है. पिछली सरकार में कानपुर से दो मंत्री थी, इसके चलते शहर में विकास का पहिया तेजी से घूमा लेकिन अब मंत्री नहीं तो विकास नहीं होगा यह कहना जल्दबाजी होगी.

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कानपुर. योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में कानपुर से सतीश महाना जहां औद्योगिक विकास मंत्री के रूप में अपना जिम्मा संभाल रहे थे तो वहीं कल्याणपुर से विधायक बनीं नीलिमा कटियार उच्च शिक्षा राज्यमंत्री के पद पर कार्यरत थीं. हालांकि शुक्रवार को जब योगी सरकार का दोबारा गठन हुआ तो उनमें कानपुर से किसी विधायक के सिर मंत्री पद का ताज नहीं सजा. यह बात देर शाम तक राजनीतिक हल्कों में चर्चा का विषय बनी रही.

डीएवी कालेज में राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ.दीपशिखा चतुर्वेदी

दरअसल, मंत्रिमंडल गठन से पहले प्रदेश में दूसरे सबसे वरिष्ठ विधायक सतीश महाना का मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा था. वैसे भी योगी की पिछली सरकार में कानपुर से चार विधायकों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया था. हालांकि इस बार जब मंत्रिमंडल का गठन हुआ तो शहर के विधायक निराश रह गए.

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पहली बार एक भी मंत्री नहीं
भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बताया कि इससे पहले जब-जब भाजपा की सरकार बनी, तब-तब कानपुर से हमेशा किसी न किसी विधायक को मंत्रिमंडल में स्थान मिला. मगर, ऐसा पहली बार हुआ जब शहर से किसी विधायक को मंत्री पद नहीं मिला. इससे कार्यकर्ता भी बेहद हताश और मायूस हैं.

महापौर और सलिल विश्नोई के नाम की खूब रही चर्चा

शहर से एक ओर जहां सतीश महाना का मंत्री बनना तय माना जा रहा था तो वहीं अचानक दोपहर में महापौर प्रमिला पांडेय और एमएलसी सलिल विश्नोई के नाम की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया. हालांकि, महापौर ने इस बात का खंडन किया और बताया कि वह सीएम से शिष्टाचार भेंट करने गईं थीं. इसी तरह एमएलसी सलिल विश्नोई ने कहा कि वह भी सीएम को बधाई देने गए थे.

इस बाबत सिविल लाइंस स्थित डीएवी काॅलेज में राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ. दीपशिखा चतुर्वेदी कहती हैं कि 2017 के बाद 2022 में योगी सरकार का जो मंत्रिमंडल बना, उसमें कानपुर से किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया. इसके पीछे जो अहम कारण है, वह है सबका साथ, सबका विकास का नारा. यानी भाजपा हर बार प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों को प्रतिनिधित्व देना चाहती है. वह बताती हैं कि योगी सरकार में इस बार उन विधायकों को तरजीह दी गई जो युवा हैं. निराश होने जैसी कोई बात नहीं है. पिछली सरकार में कानपुर से दो मंत्री थी, इसके चलते शहर में विकास का पहिया तेजी से घूमा लेकिन अब मंत्री नहीं तो विकास नहीं होगा यह कहना जल्दबाजी होगी.

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