कानपुर: आईआईटी के प्रोफेसर व छात्र अपने हुनर से देश-दुनिया में हमेशा छाए रहते हैं. चाहें आईआईटी की इंक्यूबेटेड कंपनियों द्वारा किया गया कोई शोध कार्य हो या फिर आईआईटी के प्रोफेसरों द्वारा दी गई कोरोना महामारी से जुड़ी सटीक जानकारियां. हमेशा ही आईआईटी के छात्रों व प्रोफेसरों की मेधा का डंका बजता है. इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए अब आईआईटी कानपुर इग्नू के 60 हजार छात्रों की डिग्रियां सुरक्षित करेगा.
दरअसल आईआईटी कानपुर में कुछ माह पहले ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को विकसित किया गया था. इसी तकनीक का उपयोग करते हुए आईआईटी कानपुर में एक ऐसा फोल्डर तैयार किया गया है, जिसमें इग्नू के 60 हजार छात्रों की डिग्रियों को सुरक्षित रखा गया है. सभी छात्रों को ब्लॉकचेन तकनीक की मदद से डिजिटल माध्यम से पहली बार उपाधियां दी जाएंगी.
आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने कहा कि यह संस्थान के लिए गर्व की बात है कि इस तकनीक को संस्थान के स्टार्टअप क्रूबन ने नेशनल ब्लॉकचेन प्रोजेक्ट ऑफ नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सीआई के तहत प्रो. मणींद्र अग्रवाल, प्रो. संदीप शुक्ला व अन्य विशेषज्ञों की देख-रेख में तैयार किया. उन्होंने बताया कि इस तकनीक का तोड़ हैकरों के पास भी नहीं है. यह दुनिया की सबसे सुरक्षित तकनीक है.
कुछ दिनों पहले आईआईटी के 54वें दीक्षा समारोह में जब पीएम मोदी आए थे, तब उन्होंने आईआईटी कानपुर में विकसित इस ब्लॉकचेन तकनीक का शुभारंभ किया था. उस दीक्षा समारोह में सभी आईआईटीयंस को ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग कर डिग्रियां दी गई थी. जल्द ही इस मामले में छत्रपति शाहू जी महाराज विवि (सीएसजेएमयू) और आईआईटी कानपुर के बीच करार होगा. जिसके बाद सीएसजेएमयू के छात्रों को ब्लॉकचेन तकनीक से डिग्रियां दी जाएंगी.
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