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गोरखपुर में थाना दिवस पर वृद्ध ने काटी हाथ की नस, दी आत्महत्या की चेतावनी

कोलवाली में आयोजित समाधान दिवास पर एक बुजुर्ग ने अपने दोनों हाथों की नस काट ली और आत्महत्या करने की चेतावनी दी.

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वृद्ध ने काटी हाथ की नस
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Published : May 28, 2022, 7:57 PM IST

गोरखपुर : जिले के बड़हलगंज कोतवाली में शनिवार को आयोजित समाधान दिवस पर एक बुजुर्ग ने एसडीएम को पत्र दिया और बाहर निकलकर अपने दोनों हाथों की नस को ब्लेड से काट लिया. घटना के बाद अफरा-तफरी मच गई. वृद्ध को तुरंत सरकारी अस्पताल में उपचार कराकर घर भेज दिया गया.

क्षेत्र के बिशुनपुरा गांव निवासी रामलखन शर्मा ने अपने शिकायती पत्र में कहा कि सन् 1996 में उसके पड़ोसी ने अपने घर के सामने की 27 रकबा में 15 डिस्मिल जमीन उससे लिखवा ली थी. उसी रकबे में बची 17.5 डिस्मिल जमीन 1997 में भी पड़ोसी के नाम लिख दी. वह अपने मां-बाप की एकमात्र संतान हैं और पश्चिम बंगाल में रहते हैं.

जमीन लिखवाने के बाद वह पश्चिम बंगाल चले गए. तीन साल तक घर नहीं आ पाए. इसी बीच पड़ोसी ने अपने बूढ़े पिता को आगे कर और तत्कालीन ग्राम प्रधान से उनकी बाकी जमीन खरीद ली. उन्हें विश्वास में लेकर विश्वासघात कर उनकी जमीन पर सार्वजनिक रास्ता बना दिया गया. इससे उनके सम्मान पर ठेस पहुंची है.

वृद्ध ने बताया, 'वह 25 साल से वह हर स्तर से लड़ाई लड़ रहा है. फिर भी मेरी जमीन मुझे नहीं मिली. जब भी मेरी जमीन की पैमाइश का समय आता है तब किसी न किसी कारण से पैमाइश नहीं कराने दी जाती है. यह सब विपक्षी के धन व लेखपाल की मनमानी है. अब मैं वृद्ध हो गया हूं. न्याय पाने के लिए प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी, थाना प्रभारी सभी को सूचित कर चुका हूं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इस कारण मैं आज आत्महत्या करने आया था'.

यह भी पढ़ें-8 सहायक विकास अधिकारी और 55 ग्राम पंचायत सचिवों का वेतन रोकने का डीएम ने दिया निर्देश

उसने कहा कि अगर दो दिन के अंदर न्याय नहीं मिला तो वह अधिकारियों के सामने आत्महत्या कर लेगा. इसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी. इसके लिए वृद्ध ने अखबार में पेम्फलेट भी डलवाया है जिसे सभी संज्ञान में ले सके.

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गोरखपुर : जिले के बड़हलगंज कोतवाली में शनिवार को आयोजित समाधान दिवस पर एक बुजुर्ग ने एसडीएम को पत्र दिया और बाहर निकलकर अपने दोनों हाथों की नस को ब्लेड से काट लिया. घटना के बाद अफरा-तफरी मच गई. वृद्ध को तुरंत सरकारी अस्पताल में उपचार कराकर घर भेज दिया गया.

क्षेत्र के बिशुनपुरा गांव निवासी रामलखन शर्मा ने अपने शिकायती पत्र में कहा कि सन् 1996 में उसके पड़ोसी ने अपने घर के सामने की 27 रकबा में 15 डिस्मिल जमीन उससे लिखवा ली थी. उसी रकबे में बची 17.5 डिस्मिल जमीन 1997 में भी पड़ोसी के नाम लिख दी. वह अपने मां-बाप की एकमात्र संतान हैं और पश्चिम बंगाल में रहते हैं.

जमीन लिखवाने के बाद वह पश्चिम बंगाल चले गए. तीन साल तक घर नहीं आ पाए. इसी बीच पड़ोसी ने अपने बूढ़े पिता को आगे कर और तत्कालीन ग्राम प्रधान से उनकी बाकी जमीन खरीद ली. उन्हें विश्वास में लेकर विश्वासघात कर उनकी जमीन पर सार्वजनिक रास्ता बना दिया गया. इससे उनके सम्मान पर ठेस पहुंची है.

वृद्ध ने बताया, 'वह 25 साल से वह हर स्तर से लड़ाई लड़ रहा है. फिर भी मेरी जमीन मुझे नहीं मिली. जब भी मेरी जमीन की पैमाइश का समय आता है तब किसी न किसी कारण से पैमाइश नहीं कराने दी जाती है. यह सब विपक्षी के धन व लेखपाल की मनमानी है. अब मैं वृद्ध हो गया हूं. न्याय पाने के लिए प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी, थाना प्रभारी सभी को सूचित कर चुका हूं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इस कारण मैं आज आत्महत्या करने आया था'.

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उसने कहा कि अगर दो दिन के अंदर न्याय नहीं मिला तो वह अधिकारियों के सामने आत्महत्या कर लेगा. इसकी सारी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी. इसके लिए वृद्ध ने अखबार में पेम्फलेट भी डलवाया है जिसे सभी संज्ञान में ले सके.

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