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DDU Gorakhpur University: कुलपति के खिलाफ हिंदी विभाग के प्रोफेसर ने शुरू किया सत्याग्रह

दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में कुलपति के खिलाफ मंगलवार को प्रोफेसर ने सत्याग्रह शुरू किया. गोरखपुर विश्वविद्यालय के 64 वर्षों के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है.

गोरखपुर विश्वविद्यालय कुलपति के खिलाफ सत्याग्रह
गोरखपुर विश्वविद्यालय कुलपति के खिलाफ सत्याग्रह
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Published : Dec 21, 2021, 5:54 PM IST

गोरखपुर: दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के 64 वर्षों के इतिहास में 21 दिसम्बर को ऐसा पहली बार हुआ, जब मौजूदा कुलपति पर भ्रष्टाचार, अनियमितता और पद के दुरुपयोग करने का आरोप लगा है. इसके विरोध में हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर कमलेश गुप्ता ने सत्याग्रह शुरू कर दिया है.

विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन परिसर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के सामने जब प्रोफेसर कमलेश गुप्ता ने सत्याग्रह शुरू किया, तो उनको विश्वविद्यालय के तमाम प्रोफेसरों का समर्थन मिलने लगा. इस सत्याग्रह में कई अड़चनें भी आईं. प्रोफेसर कमलेश का समर्थन करने वाले साथियों से ईटीवी भारत ने बात की.

गोरखपुर विश्वविद्यालय में कुलपति के खिलाफ सत्याग्रह

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलपति मनमानी कर रहे हैं. वो खुद को संविधान से भी ऊपर समझते हैं. यहीं वजह है कि उनके खिलाफ आंदोलन और सत्याग्रह की राह प्रोफेसरों को अख्तियार करनी पड़ी. प्रोफेसर कमलेश ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को भी शिकायत भेजी है. उन्होंने अपने पत्र में कई गंभीर आरोप कुलपति पर लगाए हैं.

इस पत्र में राज्यपाल से कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह को तत्काल पद से हटाने की मांग भी की है. उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय की समस्त आय और व्यय की जांच कराने की मांग भी प्रोफेसर कमलेश ने की. लामबंद प्रोफेसर कुलपति से इन अनियमितताओं को लेकर जवाब मांग रहे हैं.


ये भी पढ़ें- जब जज की नौकरी छोड़ यूपी के सीएम बने जौनपुरिया मिशिर जी...


प्रोफेसर कमलेश ने 8 फरवरी 2018 के शासनादेश के आधार पर कुलपति के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक ये सत्याग्रह चलता रहेगा. विश्वविद्यालय के प्रोफेसर साथियों के समर्थन से वो अपने इस आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे. प्रोफेसर राजेश सिंह का विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर बने रहना विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों के लिए हित में नहीं है.

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गोरखपुर: दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के 64 वर्षों के इतिहास में 21 दिसम्बर को ऐसा पहली बार हुआ, जब मौजूदा कुलपति पर भ्रष्टाचार, अनियमितता और पद के दुरुपयोग करने का आरोप लगा है. इसके विरोध में हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर कमलेश गुप्ता ने सत्याग्रह शुरू कर दिया है.

विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन परिसर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के सामने जब प्रोफेसर कमलेश गुप्ता ने सत्याग्रह शुरू किया, तो उनको विश्वविद्यालय के तमाम प्रोफेसरों का समर्थन मिलने लगा. इस सत्याग्रह में कई अड़चनें भी आईं. प्रोफेसर कमलेश का समर्थन करने वाले साथियों से ईटीवी भारत ने बात की.

गोरखपुर विश्वविद्यालय में कुलपति के खिलाफ सत्याग्रह

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलपति मनमानी कर रहे हैं. वो खुद को संविधान से भी ऊपर समझते हैं. यहीं वजह है कि उनके खिलाफ आंदोलन और सत्याग्रह की राह प्रोफेसरों को अख्तियार करनी पड़ी. प्रोफेसर कमलेश ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को भी शिकायत भेजी है. उन्होंने अपने पत्र में कई गंभीर आरोप कुलपति पर लगाए हैं.

इस पत्र में राज्यपाल से कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह को तत्काल पद से हटाने की मांग भी की है. उनके कार्यकाल में विश्वविद्यालय की समस्त आय और व्यय की जांच कराने की मांग भी प्रोफेसर कमलेश ने की. लामबंद प्रोफेसर कुलपति से इन अनियमितताओं को लेकर जवाब मांग रहे हैं.


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प्रोफेसर कमलेश ने 8 फरवरी 2018 के शासनादेश के आधार पर कुलपति के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक ये सत्याग्रह चलता रहेगा. विश्वविद्यालय के प्रोफेसर साथियों के समर्थन से वो अपने इस आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे. प्रोफेसर राजेश सिंह का विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर बने रहना विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों के लिए हित में नहीं है.

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