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राइट टू एजुकेशन में पिछड़ी सीएम सिटी, स्कूल चलो अभियान में भी नहीं मिली सफलता - gorakhpur school association

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संसदीय क्षेत्र गोरखपुर राइट टू एजुकेशन में पिछड़ रहा है. शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत चयनित बच्चों का दाखिला नहीं हो पा रहा है, जिसमें गोरखपुर सबसे पीछे है.

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राइट टू एजुकेशन
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Published : Jul 5, 2022, 3:50 PM IST

गोरखपुर: शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद सफलता नहीं मिल रही है. शहर के पब्लिक स्कूलों में बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास किया जा रहा है. इस अधिनियम के तहत बच्चों का पंजीकरण किया गया है, जिसमें सबसे अधिक बच्चे राजधानी लखनऊ में पंजीकृत हुए हैं. दूसरे नंबर पर आगरा और तीसरे नंबर पर वाराणसी शहर को स्थान मिला है. लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शहर गोरखपुर इस आंकड़े में काफी निचले पायदान पर है.

राइट टू एजुकेशन के तहत चयनित बच्चों में 50 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनका अभी स्कूलों में दाखिला नहीं हो पाया है. अशिक्षित और कमजोर वर्ग के अभिभावक सुविधा मिलने के बाद भी बच्चों का एडमिशन स्कूलों में नहीं करा पा रहे हैं. पिछले वर्षों में इस अधिनियम के तहत जिन बच्चों का पब्लिक और कान्वेंट स्कूल में दाखिला हुआ था. उन बच्चों की फीस जो सरकार की तरफ से स्कूल प्रबंधन को मिलनी चाहिए थी. वह अभी तक नहीं मिल पाई है.

गोरखपुर में 50 फीसदी बच्चों का एडमिशन स्कूलों में इसी वजह से नहीं हो पा रहा है. लेकिन स्कूल प्रबंधन और अधिकारी इसके पीछे कई अन्य कारण बता रहे हैं. जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी रमेंद्र सिंह ने बताया कि चयन के बाद भी कई अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं ले जा रहे हैं. वहीं, गोरखपुर स्कूल एसोसिएशन के महामंत्री हेमंत मिश्रा ने कहा कि इन बच्चों के एडमिशन के एवज में स्कूलों को फीस सरकार देती है, जो पिछले दो सत्रों से मिल नहीं पाई है.

यह भी पढ़ें: सहारनपुर में भरभरा कर गिरी छत, मलबे में 3 बच्चे सहित 4 लोग दबे, एक की मौत

शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार करीब 64 हजार समूह और दुर्बल वर्ग के बच्चों का प्रवेश इस शैक्षिक सत्र में स्कूलों में हुआ है, जबकि आरटीई के तहत प्रदेश में करीब एक लाख बच्चों का चयन किया गया है. इसमें 64 हजार बच्चों का दाखिला स्कूलों में हो गया है. वहीं, करीब 38 हजार सीट अभी खाली हैं.

प्रदेश में 10 जिले ऐसे भी मिले हैं, जहां 100 बच्चों ने भी प्रवेश नहीं लिया है. इनमें अंबेडकरनगर, औरैया, बलरामपुर, बस्ती, चित्रकूट आदि जिले शामिल हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर में बच्चों के दाखिले का प्रतिशत 50 से भी कम है. गोरखपुर में दो सूची जारी होने के बाद करीब पच्चीस सौ बच्चों का चयन किया गया. लेकिन ग्यारह सौ बच्चों का ही दाखिला स्कूलों में हो सका है. बीएसए ने कहा है कि सरकार की मनसा आरटीई के तहत ज्यादा बच्चों को स्कूलों में प्रवेश मिले.

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गोरखपुर: शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद सफलता नहीं मिल रही है. शहर के पब्लिक स्कूलों में बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास किया जा रहा है. इस अधिनियम के तहत बच्चों का पंजीकरण किया गया है, जिसमें सबसे अधिक बच्चे राजधानी लखनऊ में पंजीकृत हुए हैं. दूसरे नंबर पर आगरा और तीसरे नंबर पर वाराणसी शहर को स्थान मिला है. लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शहर गोरखपुर इस आंकड़े में काफी निचले पायदान पर है.

राइट टू एजुकेशन के तहत चयनित बच्चों में 50 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनका अभी स्कूलों में दाखिला नहीं हो पाया है. अशिक्षित और कमजोर वर्ग के अभिभावक सुविधा मिलने के बाद भी बच्चों का एडमिशन स्कूलों में नहीं करा पा रहे हैं. पिछले वर्षों में इस अधिनियम के तहत जिन बच्चों का पब्लिक और कान्वेंट स्कूल में दाखिला हुआ था. उन बच्चों की फीस जो सरकार की तरफ से स्कूल प्रबंधन को मिलनी चाहिए थी. वह अभी तक नहीं मिल पाई है.

गोरखपुर में 50 फीसदी बच्चों का एडमिशन स्कूलों में इसी वजह से नहीं हो पा रहा है. लेकिन स्कूल प्रबंधन और अधिकारी इसके पीछे कई अन्य कारण बता रहे हैं. जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी रमेंद्र सिंह ने बताया कि चयन के बाद भी कई अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं ले जा रहे हैं. वहीं, गोरखपुर स्कूल एसोसिएशन के महामंत्री हेमंत मिश्रा ने कहा कि इन बच्चों के एडमिशन के एवज में स्कूलों को फीस सरकार देती है, जो पिछले दो सत्रों से मिल नहीं पाई है.

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शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार करीब 64 हजार समूह और दुर्बल वर्ग के बच्चों का प्रवेश इस शैक्षिक सत्र में स्कूलों में हुआ है, जबकि आरटीई के तहत प्रदेश में करीब एक लाख बच्चों का चयन किया गया है. इसमें 64 हजार बच्चों का दाखिला स्कूलों में हो गया है. वहीं, करीब 38 हजार सीट अभी खाली हैं.

प्रदेश में 10 जिले ऐसे भी मिले हैं, जहां 100 बच्चों ने भी प्रवेश नहीं लिया है. इनमें अंबेडकरनगर, औरैया, बलरामपुर, बस्ती, चित्रकूट आदि जिले शामिल हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर में बच्चों के दाखिले का प्रतिशत 50 से भी कम है. गोरखपुर में दो सूची जारी होने के बाद करीब पच्चीस सौ बच्चों का चयन किया गया. लेकिन ग्यारह सौ बच्चों का ही दाखिला स्कूलों में हो सका है. बीएसए ने कहा है कि सरकार की मनसा आरटीई के तहत ज्यादा बच्चों को स्कूलों में प्रवेश मिले.

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