बुलंदशहर: जिले के सैदपुर गांव निवासी सूबेदार स्वरूप सिंह ने सेना में भर्ती होकर कई बार अपने आपको को एक अच्छा सैनिक साबित किया. इसी के चलते उन्हें 1971 की जंग जीतने के बाद भारत सरकार ने सम्मानित किया. 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के हीरो सूबेदार स्वरूप सिंह उम्र को आज भी बढ़ा हुआ नहीं मानते हैं.
सूबेदार स्वरूप सिंह वर्ष 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई लड़ाई के दौरान सेना में तैनात थे. सेना में वीरता पदक से सम्मानित रिटायर्ड सूबेदार स्वरूप सिंह ने ईटीवी भारत के साथ गणतंत्र दिवस के मौके पर बातचीत की. उन्होंने बताया 1971 के युद्ध में किस तरह हमारे वीर सपूतों ने दुश्मन के दांत खट्टे किये थे और कैसे दुश्मन के अभेद टैंकों को नेस्तनाबूत कर दिया था.
'देश की सेवा में खुद को समर्पित करता है सैनिक'
सूबेदार स्वरूप सिंह ने बताया कि हमारी सेना हर हाल में खुद को बेहतर साबित करती है. सेना में तैनात वीर योद्धा खुद को पूरी तन्मयता से देश की सेवा में समर्पित कर देता है. सूबेदार का कहना है कि वर्ष 1971 में दुश्मन ने गलती करी थी कि 3 दिसंबर को भारत पर हमला किया था, जिसके बाद हमारे वीरों ने मोर्चा संभाला तो पहले अटैक में हमारा कुछ नुकसान हुआ.
मुराला डैम को किया था बर्बाद
उन्होंने बताया उस समय हमारा रणक्षेत्र छम्ब जौड़िया था. हमने मुराला हेड डैम को बर्बाद कर दिया था. इस डैम से पाकिस्तान को बिजली सप्लाई होती थी. जब सीजफायर हुआ तब तक हमारी सेना की टुकड़ी 19 दिसम्बर को करीब 90 किलोमीटर पाकिस्तान में अंदर तक पहुंच गई थी. उस पल को याद करते हुए रिटायर्ड सूबेदार स्वरूप सिंह का चेहरा सुर्ख हो जाता है. उन्होंने बताया कि उस वक्त हमारे 27 सैनिक शहीद हुए और 9 टैंक बर्बाद हुए थे.
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पैटन टैंकों को किया नेस्तनाबूत
उसके बदले में हमने दुश्मन के अमेरिका निर्मित 29 टी-59 टैंक बर्बाद कर दिए थे. इसके साथ ही पाकिस्तान निर्मित 9 सफी टैंकों को नेस्तनाबूत करके अपने कब्जे में ले लिया था. दुनिया की किसी भी ताकत द्वारा न भेदे जाने वाले 19 पैंटन टैंकों को चकनाचूर कर कैप्चर कर लिया था. ये टैंक आज हमारे देश में अलग-अलग जगह स्मारकों पर झुककर 1971 की जीत को स्वीकारते देखे जा सकते हैं.