बरेली: जिले का नाम सुरमा या झुमके से ही नहीं बल्कि बांस और बेंत के लिए भी काफी मशहूर है, इसलिए बरेली को बांस बरेली भी कहा जाता है. बरसों पुराना बांस और बेंत का व्यवसाय धीरे-धीरे कम होता चला गया. अब इसे शहर के आलाधिकारी नई पहचान देने के लिए तैयार है. बांस और बेंत के व्यवसाय को उच्च स्तर पर लाने के लिए इसे 'एक जनपद एक उत्पाद' योजना में शामिल किया गया है.
खत्म होता दिख रहा बांस-बेंत का व्यवसाय
- बरेली के बांस और बेंत को 'एक जनपद एक उत्पाद' में शामिल करने की पैरवी की गई है.
- इंडस्ट्री लगाने से लेकर छोटे-छोटे उद्योगों को बढ़ाने के लिए सरकार सब्सिडी के अलावा कई और सहूलियतें दे रही है.
- बांस और बेंत व्यापारियों का कहना है कि यह व्यापार धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है.
- उनका कहना है कि जो गाड़ी माल लेकर आती थीं, अब वे भी नहीं आ रही हैं.
- हम बांस-बेंत को मंगाते हैं, तो बिचौलियों के कारण माल नहीं आ पाता है.
- शहर में बांस-बेंत की केवल तीन या चार ही दुकानें रह गई हैं.
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