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बरेली को नई पहचान देगा बांस और बेंत, 'एक जनपद-एक उत्पाद' में हुआ शामिल

उत्तर प्रदेश का बरेली शहर बांस और बेंत के लिए जाना जाता है. शहर को नई पहचान देने के लिए बांस और बेंत के व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए इसे 'एक जनपद एक उत्पाद' में शामिल किया गया है.

बांस और बेंत व्यवसाय.
बांस और बेंत व्यवसाय एक जनपद एक उत्पाद में शामिल.
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Published : Dec 1, 2019, 7:39 PM IST

बरेली: जिले का नाम सुरमा या झुमके से ही नहीं बल्कि बांस और बेंत के लिए भी काफी मशहूर है, इसलिए बरेली को बांस बरेली भी कहा जाता है. बरसों पुराना बांस और बेंत का व्यवसाय धीरे-धीरे कम होता चला गया. अब इसे शहर के आलाधिकारी नई पहचान देने के लिए तैयार है. बांस और बेंत के व्यवसाय को उच्च स्तर पर लाने के लिए इसे 'एक जनपद एक उत्पाद' योजना में शामिल किया गया है.

बरेली जिले को नई पहचान देगा बांस और बेंत व्यवसाय.

खत्म होता दिख रहा बांस-बेंत का व्यवसाय

  • बरेली के बांस और बेंत को 'एक जनपद एक उत्पाद' में शामिल करने की पैरवी की गई है.
  • इंडस्ट्री लगाने से लेकर छोटे-छोटे उद्योगों को बढ़ाने के लिए सरकार सब्सिडी के अलावा कई और सहूलियतें दे रही है.
  • बांस और बेंत व्यापारियों का कहना है कि यह व्यापार धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है.
  • उनका कहना है कि जो गाड़ी माल लेकर आती थीं, अब वे भी नहीं आ रही हैं.
  • हम बांस-बेंत को मंगाते हैं, तो बिचौलियों के कारण माल नहीं आ पाता है.
  • शहर में बांस-बेंत की केवल तीन या चार ही दुकानें रह गई हैं.

इसे भी पढ़ें- मोदी के नाम पर वोट लेकर उद्धव ठाकरे ने जनता को ठगा: डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय

बरेली: जिले का नाम सुरमा या झुमके से ही नहीं बल्कि बांस और बेंत के लिए भी काफी मशहूर है, इसलिए बरेली को बांस बरेली भी कहा जाता है. बरसों पुराना बांस और बेंत का व्यवसाय धीरे-धीरे कम होता चला गया. अब इसे शहर के आलाधिकारी नई पहचान देने के लिए तैयार है. बांस और बेंत के व्यवसाय को उच्च स्तर पर लाने के लिए इसे 'एक जनपद एक उत्पाद' योजना में शामिल किया गया है.

बरेली जिले को नई पहचान देगा बांस और बेंत व्यवसाय.

खत्म होता दिख रहा बांस-बेंत का व्यवसाय

  • बरेली के बांस और बेंत को 'एक जनपद एक उत्पाद' में शामिल करने की पैरवी की गई है.
  • इंडस्ट्री लगाने से लेकर छोटे-छोटे उद्योगों को बढ़ाने के लिए सरकार सब्सिडी के अलावा कई और सहूलियतें दे रही है.
  • बांस और बेंत व्यापारियों का कहना है कि यह व्यापार धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है.
  • उनका कहना है कि जो गाड़ी माल लेकर आती थीं, अब वे भी नहीं आ रही हैं.
  • हम बांस-बेंत को मंगाते हैं, तो बिचौलियों के कारण माल नहीं आ पाता है.
  • शहर में बांस-बेंत की केवल तीन या चार ही दुकानें रह गई हैं.

इसे भी पढ़ें- मोदी के नाम पर वोट लेकर उद्धव ठाकरे ने जनता को ठगा: डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय

Intro:एंकर:- बरेली को बांस बेंत नई पहचान देगा। एक उत्पाद और एक योजना में बांस और बेंत को शामिल करने की कवायद शुरू कर दी गयी है। इस प्रस्ताव को हरी झंडी भी दे दी गयी है।


Body:Vo:-आपको बता दे कि बरेली का नाम सुरमा या झुमके से ही नहीं बल्कि बांस और बेंत के लिए भी बहुत प्रख्यात है इसलिए बरेली को बांस बरेली भी कहा जाता है। बरसों पुराना बांस और बेंत का व्यवसाय धीरे धीरे काम होता चला गया लेकिन अब इसको शहर के आलाधिकारी नई पहचान देने के लिए तैयार है। बांस और बेंत के व्यवसाय को एक उच्च स्तर देने के लिए बांस और बेत को एक उत्पाद योजना में शामिल किया गया है।

बाईट:- सत्येंद्र कुमार सीडीओ

Vo2:-  एक उत्पाद योजना में ज़री ज़रदोज़ी को रखा गया है। इंडस्ट्री लगाने से लेकर छोटे छोटे उधोगों को बढ़ाने के लिए उधोग विभाग सब्सिडी के अलावा कई और सहूलियतें दे रहा है। बरेली के बांस और बेंत को एक जनपद उत्पाद में शामिल करने की पैरवी की गई है। वहीं बांस बेंत व्यापारियों का कहना है कि बांस और बेंत का व्यापार तो खत्म होता जा रहा है अब तो जो गाड़ी माल लेकर आती थीं वो भी नहीं आ रही है। अगर हम बांस बेंत को मांगते हैं तो बीचोलियों के कारण माल नहीं आ पाता है शहर में गिनती की तीन चार दुकाने रह गईं है।

बाईट:- असीम व्यापारी




Conclusion:Fvo:- अब देखना ये की एक उत्पाद योजना इन लघु उद्दोगों को कितना लाभ पहुँचाती है। ये सिर्फ ये कागज़ी पुलिंदा बनकर रह जायेगी।

रंजीत शर्मा

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