प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी विद्युत निगम के विद्युत वितरण खंड मुरादाबाद के अधिशासी अभियंता पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाते हुए यह राशि चेक या बैंक ड्राफ्ट से याची को देने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने कहा कि अधिशासी अभियंता ने हाईकोर्ट के आदेश के विपरीत प्रिंटेड प्रोफार्मा में खाली स्थान भरकर नैसर्गिक न्याय को तिलांजलि देते मनमाने तरीके से अवैध आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा जब कोई आदेश रद्द कर दिया गया हो, तो नये सिरे से कार्यवाही की जानी चाहिए. आपत्ति पर विचार कर सुनवाई का मौका देकर आदेश पारित करना चाहिए।
अधिशासी अभियंता ने गलत आदेश दिया और याचिका लंबित रहते बिना कोर्ट की अनुमति अपना आदेश वापस ले लिया. हलफनामे में नहीं बताया कि कानून के किस उपबंध में अपना आदेश वापस लेने का अधिकार दिया गया है. कोर्ट ने कहा अभियंता के आदेश से ही कदाचार स्पष्ट हो रहा है. कोर्ट ने याची की आपत्तियों पर सुनवाई का मौका देते हुए आदेश पारित करने का निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति सी के राय की खंडपीठ ने नवी हसन की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. बिजली विभाग ने याची के खिलाफ 544525 रूपये की बकाया वसूली आदेश जारी किया. हाईकोर्ट ने याची की आपत्तियों पर सुनवाई का मौका देकर नये सिरे से आदेश देने का निर्देश दिया और याची को 25 हजार रुपए जमा करने को कहा.
कोर्ट ने अभियंता को कुल राशि से 25 हजार जमा राशि घटाकर शेष 519525 रूपये बकाया जमा करने का प्रिंटेड प्रोफार्मा में आदेश दिया. याची ने चुनौती दी कहा कोर्ट आदेश का सम्मान नहीं किया गया और विवेक का इस्तेमाल न कर मनमाना आदेश दिया गया है.जिसपर कोर्ट ने व्यक्तिगत हलफनामा मांगा. बिजली विभाग के अधिवक्ता प्रांजल मेहरोत्रा ने कहा कि आदेश वापस ले लिया गया है.इसपर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा कि किस उपबंध में अपने आदेश पर पुनर्विचार कर सकते हैं या वापस ले सकते हैं. कोर्ट ने भारी हर्जाना लगाया है.
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