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ज्ञानवापी विवाद: अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट आज बहस हुई. अब तक हिंदू पक्ष और इंतजामिया कमेटी ने अपनी बहस पूरी कर ली है. अब अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी.

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ज्ञानवापी मस्जिद केस
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Published : Aug 3, 2022, 8:32 AM IST

Updated : Aug 3, 2022, 8:49 PM IST

प्रयागराज: काशी विश्वेश्वर नाथ ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल याचिका की सुनवाई जारी है. अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से दाखिल याचिकाओं की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं.

याची अधिवक्ता पुनीत कुमार गुप्ता ने 26 दिसंबर 1944 का गजट नोटिफिकेशन दाखिल कर कहा कि विवादित संपत्ति वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज है. विपक्षी अधिवक्ता अजय सिंह ने इसका जवाब दाखिल करने के लिए दस दिन का समय मांगा.

गुप्ता ने कहा कि सिविल वाद में स्वीकार किया गया है कि 15 अगस्त 1947 को वहां मस्जिद विद्यमान थी, इसलिए प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा चार के तहत सिविल वाद दाखिल नहीं किया जा सकता. अपने हक में कुछ नजीरे भी पेश की.

ये भी पढ़ें- रेप का अजीब केस, 27 साल बाद DNA टेस्ट से पकड़ा गया आरोपी

दूसरी तरफ अजय सिंह ने कहा कि 15 अगस्त 1945 को संपत्ति के धार्मिक चरित्र को देखा जायेगा. जिसके लिए साक्ष्य देखा जायेगा. इसलिए सिविल वाद पोषणीय है. विशेष एक्ट के तहत आपत्ति तय करने के लिए साक्ष्य देखा कर ही तय किया जा सकता है. समय की कमी के कारण सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. बता दें कि हाई कोर्ट में हिंदू पक्ष की बहस पहले ही हो पूरी हो चुकी है.

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प्रयागराज: काशी विश्वेश्वर नाथ ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल याचिका की सुनवाई जारी है. अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से दाखिल याचिकाओं की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं.

याची अधिवक्ता पुनीत कुमार गुप्ता ने 26 दिसंबर 1944 का गजट नोटिफिकेशन दाखिल कर कहा कि विवादित संपत्ति वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज है. विपक्षी अधिवक्ता अजय सिंह ने इसका जवाब दाखिल करने के लिए दस दिन का समय मांगा.

गुप्ता ने कहा कि सिविल वाद में स्वीकार किया गया है कि 15 अगस्त 1947 को वहां मस्जिद विद्यमान थी, इसलिए प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा चार के तहत सिविल वाद दाखिल नहीं किया जा सकता. अपने हक में कुछ नजीरे भी पेश की.

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दूसरी तरफ अजय सिंह ने कहा कि 15 अगस्त 1945 को संपत्ति के धार्मिक चरित्र को देखा जायेगा. जिसके लिए साक्ष्य देखा जायेगा. इसलिए सिविल वाद पोषणीय है. विशेष एक्ट के तहत आपत्ति तय करने के लिए साक्ष्य देखा कर ही तय किया जा सकता है. समय की कमी के कारण सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. बता दें कि हाई कोर्ट में हिंदू पक्ष की बहस पहले ही हो पूरी हो चुकी है.

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Last Updated : Aug 3, 2022, 8:49 PM IST
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