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प्रमुख सचिव पॉवर, एनर्जी लखनऊ और प्रबंध निदेशक पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम को कोर्ट ने किया तलब - न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी

बिजली बिल रिकॉर्ड के साथ प्रमुख सचिव पॉवर व एनर्जी लखनऊ और प्रबंध निदेशक पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम को हाईकोर्ट ने तलब किया है. कोर्ट ने 15 फरवरी को हाजिर होकर ये बताने को कहा है कि क्यों न मिलक के उपभोक्ता विद्युत बिलों का आडिट हो.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट
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Published : Feb 10, 2022, 5:19 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रमुख सचिव पॉवर एवं एनर्जी लखनऊ और प्रबंध निदेशक पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को रिकॉर्ड के साथ 15 फरवरी को तलब किया है. उन्होंने पूछा है कि पिछले चार सालों से याची से निराधार भारी राशि की मांग कर किन परिस्थितियों में उसे परेशान किया जा रहा है. कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर ये बताने को कहा है कि क्यों न मिलक, रामपुर के उपभोक्ताओं के बिजली बिल ऑडिट कराई जाए. याचिका की सुनवाई 15 फरवरी को होगी.

ये आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने पुत्तन की याचिका पर दिया है. इससे पहले कोर्ट ने अधिशासी अभियंता को रिकॉर्ड के साथ तलब किया था. न तो वो हाजिर हुए और न ही हाजिरी माफी की अर्जी दी. बिजली विभाग के अधिवक्ता ने पेपर पेश किया, जिसे कोर्ट ने पत्रावली पर रख लिया है.

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बताया गया है कि याची के खिलाफ जारी 31 लाख 47 हजार 773 रुपये की वसूली आदेश को संशोधित कर 2 लाख 45 हजार 952 रुपये कर दिया गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि अधिशासी अभियंता ने न केवल अवैध मनमानी की है. बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण कार्य किया है और जानबूझकर कोर्ट आदेश की अवहेलना की है. जिसपर कोर्ट ने अधिकारियों को तलब किया है.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रमुख सचिव पॉवर एवं एनर्जी लखनऊ और प्रबंध निदेशक पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को रिकॉर्ड के साथ 15 फरवरी को तलब किया है. उन्होंने पूछा है कि पिछले चार सालों से याची से निराधार भारी राशि की मांग कर किन परिस्थितियों में उसे परेशान किया जा रहा है. कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर ये बताने को कहा है कि क्यों न मिलक, रामपुर के उपभोक्ताओं के बिजली बिल ऑडिट कराई जाए. याचिका की सुनवाई 15 फरवरी को होगी.

ये आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने पुत्तन की याचिका पर दिया है. इससे पहले कोर्ट ने अधिशासी अभियंता को रिकॉर्ड के साथ तलब किया था. न तो वो हाजिर हुए और न ही हाजिरी माफी की अर्जी दी. बिजली विभाग के अधिवक्ता ने पेपर पेश किया, जिसे कोर्ट ने पत्रावली पर रख लिया है.

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बताया गया है कि याची के खिलाफ जारी 31 लाख 47 हजार 773 रुपये की वसूली आदेश को संशोधित कर 2 लाख 45 हजार 952 रुपये कर दिया गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि अधिशासी अभियंता ने न केवल अवैध मनमानी की है. बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण कार्य किया है और जानबूझकर कोर्ट आदेश की अवहेलना की है. जिसपर कोर्ट ने अधिकारियों को तलब किया है.

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