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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को पुलिस भर्ती नियमों में बदलाव करने का दिया सुझाव

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस की भर्ती नियमावली में संशोधन पर विचार करने का सुझाव दिया है. अदालत ने कहा कि एक ही भर्ती में अभ्यर्थी की लंबाई दो बार नापे जाने का औचित्य नहीं है.

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Published : Aug 19, 2021, 10:42 PM IST

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को यूपी पुलिस कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल सेवा भर्ती नियमावली में संशोधन करने पर विचार करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि एक ही भर्ती में अभ्यर्थी की लंबाई दो बार नापे जाने का औचित्य नहीं है. यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने प्रदेश सरकार की अपील पर दिया.

अमन कुमार ने कांस्टेबल भर्ती के लिए आवेदन किया था. शारीरिक दक्षता परीक्षा में उसकी लंबाई निर्धारित मानक 168 सेंटीमीटर से कम पाई गई थी. उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. एकल न्यायपीठ के आदेश पर सीएमओ द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने उसकी लंबाई की जांच की तो लंबाई 168 सेंटीमीटर से अधिक पाई गई. इस पर कोर्ट ने उसकी नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया.

ये भी पढ़ें- धर्मांतरण गैंग के सरगना उमर गौतम समेत छह के खिलाफ UP ATS ने दाखिल की चार्जशीट

इस आदेश को प्रदेश सरकार ने विशेष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी. सरकारी वकील का कहना था कि भर्ती नियमावली के अनुसार शारीरिक दक्षता परीक्षा में लंबाई मानक के अनुरूप पाए जाने के बाद ही मेडिकल कराने का प्रावधान है, इसीलिए दोबारा लंबाई की जांच होती है. एकलपीठ द्वारा शारीरिक परीक्षा में अनफिट अभ्यर्थी की मेडिकल जांच कराने का आदेश देते समय इस तथ्य की अनदेखी की गयी.

ये भी पढ़ें- 'भारत में तालिबान से ज्यादा क्रूरता, यहां रामराज नहीं, कामराज' : मुनव्वर राना


कोर्ट ने कहा जब अदालत के आदेश पर मेडिकल जांच कराई गई है तो उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. सरकार पुनर्विचार करे कि शारी‌रिक दक्षता और मेडिकल जांच दोनों में लंबाई नापने का क्या औचित्य है. यदि दोनों के परिणाम में अंतर आएगा तो भर्ती बोर्ड का टेस्ट स्वयं में विरोधाभासी हो जाएगा. कई राज्यों में लंबाई और सीने की नाप एक बार में ही की जाती है. पीठ का यह भी कहना था कि अदालतों को भी ऐसे मामलों में रूटीन मेडिकल जांच करने का आदेश देने से बचना चाहिए.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को यूपी पुलिस कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल सेवा भर्ती नियमावली में संशोधन करने पर विचार करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि एक ही भर्ती में अभ्यर्थी की लंबाई दो बार नापे जाने का औचित्य नहीं है. यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने प्रदेश सरकार की अपील पर दिया.

अमन कुमार ने कांस्टेबल भर्ती के लिए आवेदन किया था. शारीरिक दक्षता परीक्षा में उसकी लंबाई निर्धारित मानक 168 सेंटीमीटर से कम पाई गई थी. उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. एकल न्यायपीठ के आदेश पर सीएमओ द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने उसकी लंबाई की जांच की तो लंबाई 168 सेंटीमीटर से अधिक पाई गई. इस पर कोर्ट ने उसकी नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया.

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इस आदेश को प्रदेश सरकार ने विशेष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी. सरकारी वकील का कहना था कि भर्ती नियमावली के अनुसार शारीरिक दक्षता परीक्षा में लंबाई मानक के अनुरूप पाए जाने के बाद ही मेडिकल कराने का प्रावधान है, इसीलिए दोबारा लंबाई की जांच होती है. एकलपीठ द्वारा शारीरिक परीक्षा में अनफिट अभ्यर्थी की मेडिकल जांच कराने का आदेश देते समय इस तथ्य की अनदेखी की गयी.

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कोर्ट ने कहा जब अदालत के आदेश पर मेडिकल जांच कराई गई है तो उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. सरकार पुनर्विचार करे कि शारी‌रिक दक्षता और मेडिकल जांच दोनों में लंबाई नापने का क्या औचित्य है. यदि दोनों के परिणाम में अंतर आएगा तो भर्ती बोर्ड का टेस्ट स्वयं में विरोधाभासी हो जाएगा. कई राज्यों में लंबाई और सीने की नाप एक बार में ही की जाती है. पीठ का यह भी कहना था कि अदालतों को भी ऐसे मामलों में रूटीन मेडिकल जांच करने का आदेश देने से बचना चाहिए.

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