प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में सूचना तकनीक का इस्तेमाल करते हुए करीब एक दशक बीतने जा रहा है. इसके बावजूद व्यवस्था सही होने के बजाय बिगड़ती ही जा रही है. प्रबुद्ध अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बी पी शुक्ल ने बताया कि 18 नवंबर को वकीलों को 17 नवंबर को कोर्ट में लगे केस का मैसेज आने लगे. एक बार नहीं, कई बार मैसेज दोहराए गये.
इस वाकये को लेकर सोशल मीडिया पर वकीलों की नाराजगी जाहिर की. वकीलों का कहना था कि जो मुकद्दमे दाखिल किए गए हैं, उनकी सुनवाई का मैसेज नहीं आया और जिन प्रकरणों की सुनवाई हो चुकी है, उनके मैसेज भेजा जा रहा है. निबंधक शिष्टाचार आशीष श्रीवास्तव की जानकारी में ये मामला लाया गया, लेकिन उनकी या न्यायालय प्रशासन की तरफ से कोई सूचना जारी नहीं की गई.
प्रबुद्ध अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बीपी शुक्ल ने कहा कि बार एसोसिएशन का चुनाव चल रहा है. सभी प्रत्याशी वायदे व व्यवस्था में सुधार के दावे करते दिखे रहे हैं. किन्तु कोर्ट में वादकारियों को न्याय कैसे मिलेगा. लचर सूचना तकनीकी व्यवस्था में सुधार कैसे होगा. कोई भी प्रत्याशी इस मुद्दे को नहीं उठा रहा है. प्रबुद्ध अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बी पी शुक्ल ने न्यायालय प्रशासन व बार नेताओं के रवैए की आलोचना की और मुख्य न्यायाधीश से हाईकोर्ट में सूचना प्रौद्योगिकी कैडर बनाने तथा योग्य अभियंताओं की नियुक्ति कर समस्या का समाधान करने की मांग की.
अध्यक्ष बीपी शुक्ल ने कहा कि केस स्टेटस ठीक से काम नहीं कर रहा है. केस कोर्ट में लगा है और स्टेटस 'रिकार्ड इज नाट फाउंड' बताता है. तीसरा विकल्प वकील के नाम से वेबसाइट पर सर्च करना है. यह साइट भी दो साल से ठीक नहीं चल रही है. फलस्वरूप आये दिन वकीलों और स्टाफ के बीच विवाद होता है.
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बीपी शुक्ल ने कहा कि न्यायालय प्रशासन का आलम यह है कि सभी न्याय कक्षों में डिस्प्ले बोर्ड लगाए गए हैं. ये बोर्ड पिछले सात साल लगे हैं और चल नहीं रहे हैं. करोड़ों रुपए बर्बाद हो गये. अध्यक्ष बी पी शुक्ल ने मुख्य न्यायाधीश से इस समस्या को दूर करने की मांग की.
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