लखनऊ: जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार करके बिना एस्टीमेट टेंडर देने, कार्यों की टीपीआई कराने में मनमानी दर तय करने और बिना रजिस्ट्रेशन के बने राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन से एक लाख 20 हजार करोड़ की पेयजल योजना का काम कराये जाने को लेकर हजारों करोड़ का घोटाला करने का आरोप लगाते हुए संजय श्रीवास्तव ने लोकायुक्त से शिकायत की थी.
शिकायत में संजय श्रीवास्तव ने आरोप लगाया था कि विभाग में सोसायटी पंजीकरण नहीं कराए जाने व बिना एस्टीमेट के टेंडर तय होने और कई अन्य राज्यों की तुलना में अधिक दरों पर टीपीआई का काम करने से जल शक्ति मिशन को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. उन्होंने जलशक्ति मिशन के अधिकारियों पर विभाग की गाइडलाइन, शासनादेशों को दरकिनार करते हुए मनमाने ढंग से कंपनियों को लाभ पहुंचाने और अनियमितता का आरोप लगाया है. शिकायत के साथ भ्रष्टाचार को लेकर साक्ष्य भी लोकायुक्त संगठन को दिए गए हैं.
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शिकायतकर्ता संजय श्रीवास्तव ने भ्रष्टाचार को लेकर लिखित रूप से शिकायत के साथ शपथ पत्र भी दिया था, जिनमें राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन को एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत नहीं कराए जाने और आरटीआई से मिले जवाबों को संलग्न किया गया है. इसमें साफ तौर पर राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन को रजिस्ट्रार चिट्स फंड एंड सोसायटी ने अपने अभिलेख में सोसायटी के रूप में दर्ज नहीं होने की बात कही है.
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शिकायत में विभाग के कई अधिषासी अभियंता के उन पत्रों का हवाला देकर ये कहा गया था कि कैसे जल निगम की स्वीकृत दरों से 30 से 40 फीसदी की ज्यादा दरों पर कंपनियां उनसे एस्टीमेट बनाने का दबाव डाल रही हैं, इससे प्रतीत होता है कि अधिषासी अभियंता की एग्रीमेंट करने की सीमा एक करोड़ तक ही है, जबकि योजनाओं का एस्टीमेट 2 करोड़ से अधिक का बना है.