आगरा: ताजनगरी में डेंगू के मरीजों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. शहर और देहात में 16 डेंगू के मरीज अब तक मिल चुके हैं. डेंगू के साथ ही वायरल भी लोगों की प्लेटलेट्स जला रहा है. ऐसे में जिले की ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स के मिनी और जंबो पैक की डिमांड बढ़ी है. डेंगू और वायरल में सबसे बड़ी समस्या प्लेटलेट्स डोनर को लेकर आ रही है. क्योंकि, डेंगू व वायरल के गंभीर मरीजों के परिजन और परिचित प्लेटलेट्स डोनेट करना चाहते हैं.
मगर जांच में ऐसे डोनर्स वायरल के एसिमटोमैटिक मरीज रहे हैं. इस वजह से डोनर्स में प्लेटलेट्स का स्तर मानक से कम है. ऐसे में वॉलिंटियर्स डोनर्स अब लोगों की जान बचाने को आगे आ रहे हैं. इनमें कई डोनर्स ऐसे हैं. जिन्होंने कोरोना काल में प्लाज्मा डोनेट करके कोरोना संक्रमितों की जान बचाई थी. अब प्लेटलेट्स का मिनी या जंबो पैक डोनेट करके डेंगू के गंभीर मरीजों की जान बचा रहे हैं.
आगरा में डेंगू पैर पसार रहा है. शहर के साथ ही गांव देहात में भी लगातार डेंगू के मरीज मिल रहे हैं. वायरल भी खूब लोगों को परेशान कर रहा है. डेंगू के बढ़ते मामलों को देखकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग भले ही डोर-टू-डोर सर्वे और एंटी लार्वा गतिविधि करा रहा है. लेकिन, अब भी लगातार हर दिन 3 से 4 डेंगू के मरीज मिल रहे हैं. सरकारी अस्पतालों के साथ ही निजी अस्पतालों में भी डेंगू के मरीज भर्ती हैं.
इसमें पीआरबीसी और एफएफपी डोनर के शरीर में वापस कर दी जाती है. इसमें जो एसडीपी (सिंगल डोनर प्लेटलेट्स) बन रही है. जंबो पैक में प्लेटलेट्स का काउंट 60 हजार होता है. इसलिए एक जंबो पैक देने से मरीज की प्लेटलेट्स 60 हजार तक बढ़ जाती हैं. एक मिनी पैक (रेंडम डोनर प्लेटलेट्स ) मरीज को चढ़ाने से सात से दस हजार तक ही प्लेटलेट्स बढ़ जाती हैं. इसलिए मिनी पैक की अपेक्षा जंबो पैक मरीज को देना फायदेमंद होता है.
दयालबाग निवासी चमन सत्संगी ने कहा कि मैं प्रारंभ संस्था से जुड़ा हूं. डेंगू के गंभीर मरीज की जान बचाने के लिए मुझसे प्लाज्मा डोनेट करने के लिए संपर्क किया था. इसीलिए मैं एसएनएमसी की ब्लड बैंक आया हूं. मैं लगातार ब्लड डोनेट कर रहा हूं. अब डेंगू के गंभीर मरीजों की वजह से जंबो पैक की डिमांड बढ़ी है. डेंगू के इस संकट गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए अब मैं प्लाज्मा डोनेट करने आया हूं. मेरा एक ही उद्देश्य है कि लोगों की जान बचाई जा सके.
ताजगंज निवासी संदीप शर्मा ने बताया कि मैं पेशे से शिक्षक हूं. प्रारंभ संस्था से जुड़ा हुआ हूं. कोरोना काल में मैंने संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए प्लाज्मा डोनेट किया था. कई बार मैं ब्लड डोनेट भी कर चुका हूं. अभी मुझे प्लेटलेट्स के जंबो पैक के लिए संपर्क किया गया. मैं प्लेटलेट्स डोनेट करने आया हूं. मेरा भी यही उद्देश्य है कि मैं किसी के काम आ सकूं. अभी देखने के लिए मिल रहा है कि डेंगू के मरीजों के तीमारदारों में प्लेटलेट्स कम हैं. इस वजह से मेरे जैसे तमाम अन्य वॉलिंटियर प्लेटलेट्स का जंबो पैक डोनेट करने के लिए आ रहे हैं.