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चंबल नदी के उफान से ग्रामीण इलाकों में बाढ़, जनजीवन हुआ अस्त व्यस्त

कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने की वजह से आगरा में चंबल नदी का जलस्तर बढ़ (Chambal river water level rises) गया है. इससे कई गांव बाढ़ (Chambal floods in Agra) की चपेट में आ गए हैं. बाढ़ प्रभावित लोग गांव से पलायन करने को बेबस हैं.

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Published : Aug 25, 2022, 12:24 PM IST

Updated : Aug 25, 2022, 2:55 PM IST

आगरा: चंबल नदी का जलस्तर (Chambal river water level rises) बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. राजस्थान और मध्यप्रदेश में हुई बारिश के साथ ही कोटा बैराज से छोड़े गए 20 लाख क्यूसेक पानी से चंबल नदी उफान पर है. आगरा के बाह और पिनाहट क्षेत्र में चंबल नदी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है.

जानकारी देते ग्रामीण.

चंबल नदी के उफान से बाढ़ (Chambal floods in Agra) आ गई है. कई ग्रामीण इलाकों में घरों में पानी भर गया है. इससे ग्रामीणों ने गांव से पलायन शुरू कर दिया है. इस वजह से क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति भी बंद कर दी गई है. टॉर्च की रोशनी में बाढ़ से प्रभावित परिवार बीहड़ के टीलों पर तंबू तानकर रहने को मजबूर हैं. दूसरी तरफ बाढ़ से गांव में मगरमच्छ आने का भी खतरा बना हुआ है. चंबल से आई बाढ़ की चपेट में जिले की बाह तहसील के करीब दस गांव मऊ की मढै़या, गोहरा, रानीपुरा, भटपुरा, गुढ़ा, झरनापुरा, डगोरा, कछियारा, रेहा, उमरैठापुरा का तहसील मुख्यालय से संपर्क टूट गया है. बाढ़ से बेबस लोग अपने गांव छोड़ने को मजबूर हैं. जिला प्रशासन की टीमों की मदद से ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.

एसडीएम रतन वर्मा ने बताया कि बाह और पिनाहट के 40 गांव में बाढ़ का खतरा है. इनमें गांव पुरा शिवलाल, पुराडाल, पुरा भगवान, धांधू पुरा, बीच का पुरा, कएडी, जगतूपुरा, कुंवर खेड़ा, बासौनी, जेबरा, कमौनी, उदयपुर खुर्द, खेड़ा राठौर, महुआशाला, नंदगवां, बाघराज पुरा, कोरथ समेत 40 गांवों में बाढ़ का पानी भर गया है. प्रशासन की टीमें गांवों में डेरा डाल हुए हैं. बाढ़ के लिए बाह तहसील में कंट्रोल रूम खोला है. डीएम प्रभु नारायण सिंह ने बताया कि बाढ़ प्रभावित गांवों से लोगों को निकाल कर सुरक्षित और ऊंचाई वाले स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.

यह भी पढें: बेतवा नदी का पानी बढ़ने से खेत की रखवाली कर रहे 2 किसान फंसे, देखें वीडियो

गौरतलब है कि 24 अगस्त 1996 को चंबल में आई बाढ़ ने रिकॉर्ड तोड़ा था. उस समय कोटा बैराज से 24 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. जिससे चंबल का पिनाहट क्षेत्र में जलस्तर 136.60 मीटर हो गया था. तब 25 हजार से ज्यादा घर प्रभावित हुए थे और इसी रिकॉर्ड को चंबल फिर से तोड़ सकती है. इसको लेकर जिला प्रशासन और पुलिस पहले से ही अलर्ट मोड पर हैं. लोगों को सुरक्षित स्थानों पर तेजी से शिफ्ट किया जा रहा है.

17 सितंबर 2019 को भी चंबल में बाढ़ आई थी. कोटा बैराज से 22 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से उस समय पिनाहट में चंबल का जलस्तर 136.10 मीटर (Chambal water level in Pinahat) हो गया था. जो खतरे के निशान से ऊपर था. वहीं, 5 अगस्त 2021 को भी चंबल में बाढ़ आई थी. कोटा बैराज से 21.50 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से उस समय पिनाहट में चंबल का जलस्तर 135.70 मीटर हो गया था.

यह भी पढें: चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर, कई गांवों में भरा पानी, खाने-पीने की दिक्कत

आगरा: चंबल नदी का जलस्तर (Chambal river water level rises) बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. राजस्थान और मध्यप्रदेश में हुई बारिश के साथ ही कोटा बैराज से छोड़े गए 20 लाख क्यूसेक पानी से चंबल नदी उफान पर है. आगरा के बाह और पिनाहट क्षेत्र में चंबल नदी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है.

जानकारी देते ग्रामीण.

चंबल नदी के उफान से बाढ़ (Chambal floods in Agra) आ गई है. कई ग्रामीण इलाकों में घरों में पानी भर गया है. इससे ग्रामीणों ने गांव से पलायन शुरू कर दिया है. इस वजह से क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति भी बंद कर दी गई है. टॉर्च की रोशनी में बाढ़ से प्रभावित परिवार बीहड़ के टीलों पर तंबू तानकर रहने को मजबूर हैं. दूसरी तरफ बाढ़ से गांव में मगरमच्छ आने का भी खतरा बना हुआ है. चंबल से आई बाढ़ की चपेट में जिले की बाह तहसील के करीब दस गांव मऊ की मढै़या, गोहरा, रानीपुरा, भटपुरा, गुढ़ा, झरनापुरा, डगोरा, कछियारा, रेहा, उमरैठापुरा का तहसील मुख्यालय से संपर्क टूट गया है. बाढ़ से बेबस लोग अपने गांव छोड़ने को मजबूर हैं. जिला प्रशासन की टीमों की मदद से ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.

एसडीएम रतन वर्मा ने बताया कि बाह और पिनाहट के 40 गांव में बाढ़ का खतरा है. इनमें गांव पुरा शिवलाल, पुराडाल, पुरा भगवान, धांधू पुरा, बीच का पुरा, कएडी, जगतूपुरा, कुंवर खेड़ा, बासौनी, जेबरा, कमौनी, उदयपुर खुर्द, खेड़ा राठौर, महुआशाला, नंदगवां, बाघराज पुरा, कोरथ समेत 40 गांवों में बाढ़ का पानी भर गया है. प्रशासन की टीमें गांवों में डेरा डाल हुए हैं. बाढ़ के लिए बाह तहसील में कंट्रोल रूम खोला है. डीएम प्रभु नारायण सिंह ने बताया कि बाढ़ प्रभावित गांवों से लोगों को निकाल कर सुरक्षित और ऊंचाई वाले स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.

यह भी पढें: बेतवा नदी का पानी बढ़ने से खेत की रखवाली कर रहे 2 किसान फंसे, देखें वीडियो

गौरतलब है कि 24 अगस्त 1996 को चंबल में आई बाढ़ ने रिकॉर्ड तोड़ा था. उस समय कोटा बैराज से 24 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. जिससे चंबल का पिनाहट क्षेत्र में जलस्तर 136.60 मीटर हो गया था. तब 25 हजार से ज्यादा घर प्रभावित हुए थे और इसी रिकॉर्ड को चंबल फिर से तोड़ सकती है. इसको लेकर जिला प्रशासन और पुलिस पहले से ही अलर्ट मोड पर हैं. लोगों को सुरक्षित स्थानों पर तेजी से शिफ्ट किया जा रहा है.

17 सितंबर 2019 को भी चंबल में बाढ़ आई थी. कोटा बैराज से 22 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से उस समय पिनाहट में चंबल का जलस्तर 136.10 मीटर (Chambal water level in Pinahat) हो गया था. जो खतरे के निशान से ऊपर था. वहीं, 5 अगस्त 2021 को भी चंबल में बाढ़ आई थी. कोटा बैराज से 21.50 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से उस समय पिनाहट में चंबल का जलस्तर 135.70 मीटर हो गया था.

यह भी पढें: चंबल नदी का जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर, कई गांवों में भरा पानी, खाने-पीने की दिक्कत

Last Updated : Aug 25, 2022, 2:55 PM IST
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