आगरा: प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर संबोधन में कहा था कि हम सब मिलकर प्रण लें कि, देश से गुलामी के हर प्रतीक को मिटाना है. पीएम मोदी से प्रेरित होकर आगरा की उत्तर विधानसभा से भाजपा विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल (BJP MLA purushottam khandelwal) ने कवायद शुरू कर दी है. उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के समय की जॉन्स पब्लिक लाइब्रेरी का नाम बदलने की मांग की है. इस संबंध में उन्होंने आगरा महापौर को ज्ञापन भी दिया है.
आगरा में जॉन्स लाइब्रेरी (agra johns public library) का संचालन नगर निगम की ओर से किया जा रहा है. भाजपा विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल (BJP MLA purushottam khandelwal) ने मांग की है कि जॉन्स पब्लिक लाइब्रेरी का नाम राष्ट्रवादी विचारक अधीश भटनागर (Nationalist ideologue Adish Bhatnagar) के नाम पर अधीश पुस्तकालय किया जाए. इसके साथ ही भाजपा विधायक ने लाइब्रेरी के पास धूल फांक रहीं अष्टधातु से बनी क्वीन विटोरिया और दो अन्य प्रतिमाएं भी हटाने की मांग की है.
भाजपा विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल (BJP MLA purushottam khandelwal) ने जॉन्स लाइब्रेरी का नया नाम 'अधीश पुस्तकालय' करने की मांग की है. भाजपा विधायक का कहना है, कि लोकतंत्र सेनानी और राष्ट्रवादी विचारक अधीश भटनागर (Nationalist ideologue Adish Bhatnagar) का जन्म सुल्तानगंज की पुलिया क्षेत्र में हुआ था. उनका मन साहित्य लेखन भी खूब लगा. उनका जन्म से ही आगरा से गहरा जुड़ाव था. वह अपने बाल्यावस्था से ही बतौर सदस्य जॉन्स लाइब्रेरी से जुड़े रहे. उन्होंने राष्ट्रवादी विचारक और लेखक के रूप में पहचान बनाई. उनके विचारों से ही विश्व संवाद केंद्र (world dialogue center) की स्थापना हुईं.
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इतिहासकार राजकिशोर 'राजे' ने बताया कि देश की आजादी से पहले व्यवसायी मेजर जॉन्स की पालीवाल पार्क के इस भवन में रंगशाला थी. आगरा में जॉन्स और उनके भाईयों ने यमुना किनारे कॉटन मिल की स्थापना की थी जो जॉन्स मिल नाम से मशहूर है. भारत की संस्कृति और साहित्य से मेजर जॉन्स बेहद प्रभावित था. उसने सबसे पहले नंद टॉकीज के पास सदर में एक पुस्तकालय स्थापित कराया था जो क्वीन मैरी लाइब्रेरी है. इसके बाद सन् 1922 में पालीवाल पार्क (हीवैट पार्क) में रंगशाला के इस भवन में जॉन्स पब्लिक लाइब्रेरी (agra johns public library) नाम से आधुनिक पुस्तकालय स्थापित किया गया था. जॉन्स पब्लिक लाइब्रेरी में करीब 12 हजार पुस्तकें मौजूद हैं जिसमें प्राचीन पांडुलिपियां, धर्मग्रंथ तथा कई भाषाओं की पुस्तकें भी शामिल हैं. वर्तमान में करीब 4 हजार लोग लाइब्रेरी के सदस्य हैं.
स्कॉटलैंड से आईं थीं मूर्तियां: इतिहासकार राजकिशोर राजे ने बताया कि ब्रिटिश की महारानी विक्टोरिया (British Queen Victoria) के निधन के बाद जहां पर ब्रिटिश शासन था. वहां पर क्वीन विक्टोरिया की मूर्तियां बनवाकर भेजी गईं थीं. अष्टधातु की क्वीन विक्टोरिया समेत चार मछली की दो और मूर्तियां 19 वीं शताब्दी में स्कॉटलैंड से आगरा लाईं गईं थीं. जिन्हें सबसे पहले 1905 में मेकडोनाल्ड पार्क में लगाया गया. जिसके बाद में उस जगह का नाम विक्टोरिया पार्क हो गया.
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