आगरा: देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. सीएम योगी की मंशा है कि, शिक्षक मिड-डे मील में बच्चों को पकवान खिलाएं. जिससे बच्चे इस महोत्सव को याद रखें. बेसिक शिक्षा विभाग ने सीएम योगी के निर्देश पर इसका मैन्यू भी तय किया है. जिसमें बच्चों को मिड-डे मील में खीर, लड्डू, हलुआ, बूंदी या फल देने हैं. इस आदेश से अब शिक्षक परेशान हैं. मिड-डे मील के कनवर्जन कॉस्ट (बजट) में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. पुरानी कनवर्जन कॉस्ट भी पांच माह से नहीं मिली है. ऐसे में बच्चों को सात दिन मिड-डे मील में विशेष भोज (दावत) में कैसे खीर और हलुआ खिलाएं.
बता दें कि, आजादी का अमृत महोत्सव हर विभाग यादगार बनाना चाहता है. इसी में सीएम योगी की मंशा पर बेसिक शिक्षा निदेशक विजय किरन आनंद ने प्रदेश के सभी बीएसए को आदेश दिए हैं कि, मिड-डे मील में 11 अगस्त से 17 अगस्त-2022 तक बच्चों को विशेष भोज (दावत) दी जाए. जिसमें हर दिन मिड-डे मील के मैन्यू के साथ ही बच्चों को खीर, लड्डू, हलुआ, बूंदी या फल दिए जाएं. आगरा बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ने भी इस बारे में सभी प्रधानाध्यपक को निर्देश दिया है कि, आजादी के अमृत महोत्सव में बच्चों को मिड-डे मील में विशेष भोज दिया जाए.
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आदेश से मिली नई परेशानी
शिक्षिका उषा भदौरिया ने बताया कि अपने वेतन से ही बच्चों को विशेष भोज देेंगे. सरकार की ओर से तो कोई बजट नहीं मिला है. जो कनर्वजन कॉस्ट मिलती है. वो बेहद कम है. उसी कनर्वजन कॉस्ट में बच्चों को दूध पिलाना भी मुश्किल हो रहा है. दूध में चीनी भी देनी है. हर दिन का मिड-डे मील का मैन्यू भी अलग अलग है. यह नई टेंशन मिल गई है. अपने वेतन से ही यह व्यवस्था करनी होगी.
पांच माह से नहीं मिली कनर्वजन कॉस्ट
शिक्षक कीर्ति पाल चाहर का कहना है कि, कनर्वजन कॉस्ट कम है. सीएम योगी का आदेश बहुत अच्छा है. सरकार की यह सराहनीय पहल है. शिक्षक अपने स्कूल के बच्चों को साल भर विशेष भोज खिलाने के लिए तैयार है. मगर, अलग से बजट भी जारी करें. जिससे शिक्षकों पर कोई भार न पडे. पहले ही पांच माह से शिक्षकों को मिड-डे मील की कनर्वजन कॉस्ट नहीं मिली है. शिक्षक अपने वेतन से मिड-डे मील की व्यवस्था कर रहे हैं.
सरकार की पहल सराहनीय, मगर बजट भी मिले
शिक्षक नेता मुकेश डागुर का कहना है कि, जब बच्चों को पकवान मिलेंगे तो बच्चों को अच्छा लगेगा. यह योजना अच्छी है. इसके लिए अतिरिक्त कनर्वजन कॉस्ट भी बढ़ानी चाहिए. हर बार की तरह शिक्षक पर ही भार डाल दिया जाता है. यह सही नहीं है. ऐसे में देखना अब यह है कि पांच माह से जब कनर्वजन कॉस्ट मिल नहीं रही है. ऐसे में शिक्षक स्कूल के बच्चों को कैसे खीर, हलुआ और अन्य पकवान खिला पाते हैं.
बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ने बताया कि सभी एबीएस को निर्देश दिया है कि मिड-डे मील के साथ ही यह पकवान बनवाने की व्यवस्था करनी है. स्कूल में कनर्वजन कॉस्ट है तो उससे उससे व्यवस्था करें. यदि नहीं है तो मैं, एबीएसए और शिक्षक अपने व्यक्तिगत प्रयास से बच्चों को विशेष भोज उपलब्ध कराएंगे.
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