नई दिल्ली: घरेलू स्तर पर कच्चे तेल के उत्पादन और ईंधन निर्यात पर अप्रत्याशित लाभ कर से सरकार को चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में करीब 12 अरब डॉलर (94,800 करोड़ रुपये) मिलेंगे. मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने मंगलवार को यह अनुमान जताते हुए कहा कि इसके साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और ओएनजीसी जैसी कंपनियों के मुनाफे में कटौती होगी.
सरकार ने एक जुलाई को पेट्रोल, डीजल और विमानन ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर और घरेलू स्तर पर कच्चे तेल के उत्पादन पर अप्रत्याशित लाभ कर लगाया था. साथ ही निर्यातकों के लिए पहले घरेलू बाजार की जरूरतों को पूरा करना अनिवार्य कर दिया गया. मूडीज ने नए करों पर अपनी टिप्पणी में कहा, ‘कर वृद्धि से तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) जैसे भारतीय कच्चे तेल के उत्पादकों और तेल निर्यातकों के मुनाफे में कमी आएगी.'
सरकार की घोषणा के बाद भारतीय तेल कंपनियों को पेट्रोल और एटीएफ के निर्यात पर छह रुपये प्रति लीटर (लगभग 12.2 डॉलर प्रति बैरल) और डीजल के निर्यात पर 13 रुपये प्रति लीटर (लगभग 26.3 डॉलर प्रति बैरल) का भुगतान करना होगा. वहीं, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के चलते घरेलू उत्पादकों को 23,250 रुपये प्रति टन (करीब 38.2 डॉलर प्रति बैरल) का कर देना होगा.
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रेटिंग एजेंसी ने कहा, '31 मार्च, 2022 को समाप्त हुए वित्त वर्ष (2021-22) में भारत में कच्चे तेल के उत्पादन और पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात के आधार पर, हमारा अनुमान है कि सरकार वित्त वर्ष 2022-23 की बाकी अवधि में लगभग 12 अरब अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त राजस्व हासिल करेगी.' इस अतिरिक्त राजस्व से मई के अंत में पेट्रोल और डीजल के लिए उत्पाद शुल्क में की गई कमी के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने में मदद मिलेगी. मूडीज ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि यह सरकारी उपाय अस्थायी होगा और करों को आखिर में बाजार की स्थितियों के अनुसार समायोजित किया जाएगा, जिसमें मुद्रास्फीति, बाहरी संतुलन और मुद्रा मूल्यह्रास से संबंधित विचार शामिल हैं.'
(पीटीआई-भाषा)