नई दिल्ली : केंद्र सरकार चाय, कॉफी, मसालों और रबड़ से संबंधित दशकों पुराने कानूनों को खत्म करने पर विचार कर रही है. सरकार का इरादा इनके स्थान पर नए अधिनियम लाने का है जिससे इन क्षेत्रों की वृद्धि को प्रोत्साहन देने के साथ ही कारोबार के लिए अनुकूल माहौल बनाया जा सके. वाणिज्य मंत्रालय ने मसाला (संवर्द्धन एवं विकास) विधेयक 2022, रबड़ (संवर्धन एवं विकास) विधेयक, 2022, कॉफी (संवर्द्धन और विकास) विधेयक, 2022, चाय (संवर्द्धन और विकास) विधेयक, 2022 के मसौदे पर हितधारकों से विचार मांगे हैं.
जनता/हितधारक इन चार विधेयकों के मसौदे पर नौ फरवरी तक अपनी टिप्पणियां भेज सकते हैं. चार अलग-अलग कार्यालय ज्ञापनों में वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि वह चाय अधिनियम-1953, मसाला बोर्ड अधिनियम-1986, रबड़ अधिनियम-1947 और कॉफी अधिनियम-1942 को निरस्त करने का प्रस्ताव रखता है. मंत्रालय की वेबसाइट पर डाले गए मसौदे के अनुसार, इन कानूनों को निरस्त करने और नए अधिनियम लाने का प्रस्ताव मौजूदा जरूरतों और उद्देश्यों के अनुरूप है.
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इसके मुताबिक, चाय अधिनियम को निरस्त करने (repeal of tea act) की मुख्य वजह यह है कि हाल के दशक में चाय उत्पादन, विपणन और उपभोग करने के तरीके में बदलाव आया है. ऐसे में मौजूदा अधिनियम में संशोधन करने की जरूरत है. मंत्रालय ने कहा कि चाय बोर्ड के मौजूदा आधुनिक कामकाज मसलन उत्पादन को समर्थन, गुणवत्ता में सुधार, चाय के प्रसार और चाय उत्पादकों के कौशल विकास के लिए वर्तमान कानूनी ढांचे को अनुकूल बनाने की जरूरत है.
मसाला (संवर्द्धन और विकास) विधेयक-2022 (Spices Promotion and Development Bill-2022) के मसौदे के अनुसार, मसाला बोर्ड को मसालों की पूरी आपूर्ति श्रृंखला (Complete supply chain of spices) पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम बनाने की आवश्यकता है. इसी तरह रबड़ कानून के बारे में कहा गया है कि हाल के बरसों में रबड़ और संबद्ध क्षेत्रों से संबंधित औद्योगिक और आर्थिक परिदृश्य में व्यापक बदलाव हुए हैं. वहीं, कॉफी (संवर्द्धन और विकास) विधेयक-2022 में कहा गया है कि मौजूदा अधिनियम का काफी हिस्सा आज के समय में बेकार हो चुका है लिहाजा इसमें भी बदलाव की जरूरत है.
(पीटीआई-भाषा)