नई दिल्ली: बिजली उत्पादकों का वितरण कंपनियों पर बकाया मार्च 2019 में इससे पूर्व वर्ष के इसी महीने के मुकाबले 63 प्रतिशत बढ़कर 38,696 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. यह बिजली क्षेत्र में दबाव की स्थिति को बताता है. प्राप्ति पोर्टल के अनुसार मार्च 2018 में बिजली उत्पादक कंपनियों का वितरण कंपनियों पर बकाया 23,699 करोड़ रुपये था.
उत्पादक और बिजली वितरण कंपनियों के बीच बिजली खरीद सौदों में पारदर्शिता लाने के लिये पोर्टल की शुरूआत मई 2018 में की गयी. इस साल मार्च में पहले की बकाया राशि 24,689 करोड़ रुपये थी जो 2018 के इसी महीने में 15,585 करोड़ रुपये थी. यह वह राशि है जिसे बिजली उत्पादकों द्वारा दी गयी 60 दिन की छूट अवधि के बाद भी नहीं लौटाया गया है.
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बिजली उत्पादक विद्युत आपूर्ति के एवज में बिल भुगतान के लिये वितरण कंपनियों को 60 दिन का समय देते हैं. उसके बाद भी राशि का भुगतान नहीं करने पर बकाये को पुराना बकाया राशि कहते हैं. हालांकि पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़े के अनुसार, बकाया के साथ-साथ पुराना बकाया राशि फरवरी के मुकाबले कम हुई है. फरवरी 2019 में बिजली वितरण कंपनियों पर कुल बकाया 41,281 करोड़ रुपये था जबकि पहले का बकाया 25,532 करोड़ रुपये था.
कुल बकाये में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और जम्मू कश्मीर की बिजली वितरण कंपनियों की हिस्सेदारी सर्वाधिक है. ये कंपनियां भुगतान के लिये 667 दिनों तक का लंबा समय ले रही हैं. इसमें बिहार और राजस्थान सूची में सबसे ऊपर हैं जो भुगतान के लिये 667 दिन का समय लेते हैं.
उसके बाद क्रमश: आंध्र प्रदेश (665 दिन), मध्य प्रदेश (652 दिन), तेलंगाना (645 दिन), कर्नाटक (639 दिन), तमिलनाडु (638 दिन) तथा जम्मू कश्मीर (634 दिन) का स्थान है. स्वतंत्र बिजली उत्पादकों का वितरण कंपनियों पर पहले के कुल बकाये में 52 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है.
वहीं सार्वजनिक क्षेत्र की एनटीपीसी का अकेले 9,368 करोड़ रुपये बकाया है. वहीं एनएचपीसी का 1,277 करोड़ रुपये तथा दामोदर घाटी निगम का 545 करोड़ रुपये बकाया है.