इटावा: जिले में मोबाइल की फ्लैश रोशनी में इलाज करने का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है. दरअसल यह वीडियो इटावा के जिला अस्पताल का है. वीडियो में डॉक्टर मरीजों का इलाज मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाकर करते हुए दिखाई दे रहे हैं. वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया. वहीं अस्पताल के आला अधिकारी इस पर सफाई देते नजर आ रहे हैं. जिला अस्पताल के सीएमएस ने इसके लिए लाइट कटौती को जिम्मेदार बताया है.
जानें पूरा मामला
- गुरुवार को जिला अस्पताल में दो व्यक्तियों को टॉर्च की रोशनी में टांके लगाए गए और उनकी ड्रेसिंग की गई थी.
- मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
- जिला अस्पताल के सीएमएस ने इसके लिए बिजली कटौती, जनरेटर के गर्म होने के कारण उसे नहीं चलाया जाना और इनवर्टर का डिस्चार्ज होना जैसे कारण बताए हैं.
सीएमएस का बयान कर रहा सवाल खड़े
जिला अस्पताल के सीएमएस मामले की सफाई के दौरान दिए गए बयान में खुद फंसते नजर आ रहे हैं. दरअसल उनका कहना है कि लाइट न आने की वजह से करीब 8 घंटे जनरेटर चलाया, साथ ही यह भी कहा कि अस्पताल में लगा इनवर्टर डिस्चार्ज हो गया था. ऐसे में सवाल पैदा होता है कि जब लाइट न आने की वजह से 8 घंटे जनरेटर चलाया गया तो फिर इनवर्टर कैसे डिस्चार्ज हो गया. कहीं अस्पताल प्रशासन मामले को रफा-दफा करने के लिए यह सब बहाने तो नहीं कर रहा, जिससे सच सामने न आने पाए. खैर जो भी हो मामले में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही साफ झलकती नजर आ रही है, क्योंकि अगर मोबाइल की फ्लैश रोशनी में इलाज के दौरान कोई हादसा हो जाता तो इसका जिम्मेदार कौन होता. यह सवाल अब भी बना हुआ है.
पूरे दिन जिला अस्पताल में लाइट नहीं आई इसलिए लगभग 8 घण्टे तक जनरेटर चालू रहा. काफी समय तक चालू रहने के कारण जनरेटर गर्म हो गया था, जिससे उसे बंद करवा दिया गया था. इनवर्टर भी डिस्चार्ज हो गया था. इसी बीच एक घायल मरीज जिला अस्पताल में आया, जिसके खून बह रहा था इसलिए मजबूरी में टॉर्च की रोशनी में टांके लगाने पड़े. अगर उस समय टांके न लगाएं जाते तो उसकी हालत गम्भीर हो सकती थी.
-केएस भदौरिया, सीएमएस