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इटावा: मोबाइल की फ्लैश लाइट में हो रहा मरीजों का इलाज

उत्तर प्रदेश के इटावा में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. दरअसल इटावा के जिला अस्पताल का एक वीडियो वायरल हो रहा है, वीडियो में डॉक्टर मोबाइल की फ्लैश रोशनी में मरीजों का इलाज करते नजर आ रहे हैं.

मोबाइल की फ्लैश लाइट में मरीजों का इलाज.
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Published : Jun 21, 2019, 8:58 PM IST

इटावा: जिले में मोबाइल की फ्लैश रोशनी में इलाज करने का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है. दरअसल यह वीडियो इटावा के जिला अस्पताल का है. वीडियो में डॉक्टर मरीजों का इलाज मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाकर करते हुए दिखाई दे रहे हैं. वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया. वहीं अस्पताल के आला अधिकारी इस पर सफाई देते नजर आ रहे हैं. जिला अस्पताल के सीएमएस ने इसके लिए लाइट कटौती को जिम्मेदार बताया है.

देखें वायरल वीडियो.

जानें पूरा मामला

  • गुरुवार को जिला अस्पताल में दो व्यक्तियों को टॉर्च की रोशनी में टांके लगाए गए और उनकी ड्रेसिंग की गई थी.
  • मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
  • जिला अस्पताल के सीएमएस ने इसके लिए बिजली कटौती, जनरेटर के गर्म होने के कारण उसे नहीं चलाया जाना और इनवर्टर का डिस्चार्ज होना जैसे कारण बताए हैं.


सीएमएस का बयान कर रहा सवाल खड़े
जिला अस्पताल के सीएमएस मामले की सफाई के दौरान दिए गए बयान में खुद फंसते नजर आ रहे हैं. दरअसल उनका कहना है कि लाइट न आने की वजह से करीब 8 घंटे जनरेटर चलाया, साथ ही यह भी कहा कि अस्पताल में लगा इनवर्टर डिस्चार्ज हो गया था. ऐसे में सवाल पैदा होता है कि जब लाइट न आने की वजह से 8 घंटे जनरेटर चलाया गया तो फिर इनवर्टर कैसे डिस्चार्ज हो गया. कहीं अस्पताल प्रशासन मामले को रफा-दफा करने के लिए यह सब बहाने तो नहीं कर रहा, जिससे सच सामने न आने पाए. खैर जो भी हो मामले में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही साफ झलकती नजर आ रही है, क्योंकि अगर मोबाइल की फ्लैश रोशनी में इलाज के दौरान कोई हादसा हो जाता तो इसका जिम्मेदार कौन होता. यह सवाल अब भी बना हुआ है.

पूरे दिन जिला अस्पताल में लाइट नहीं आई इसलिए लगभग 8 घण्टे तक जनरेटर चालू रहा. काफी समय तक चालू रहने के कारण जनरेटर गर्म हो गया था, जिससे उसे बंद करवा दिया गया था. इनवर्टर भी डिस्चार्ज हो गया था. इसी बीच एक घायल मरीज जिला अस्पताल में आया, जिसके खून बह रहा था इसलिए मजबूरी में टॉर्च की रोशनी में टांके लगाने पड़े. अगर उस समय टांके न लगाएं जाते तो उसकी हालत गम्भीर हो सकती थी.

-केएस भदौरिया, सीएमएस

इटावा: जिले में मोबाइल की फ्लैश रोशनी में इलाज करने का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है. दरअसल यह वीडियो इटावा के जिला अस्पताल का है. वीडियो में डॉक्टर मरीजों का इलाज मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाकर करते हुए दिखाई दे रहे हैं. वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया. वहीं अस्पताल के आला अधिकारी इस पर सफाई देते नजर आ रहे हैं. जिला अस्पताल के सीएमएस ने इसके लिए लाइट कटौती को जिम्मेदार बताया है.

देखें वायरल वीडियो.

जानें पूरा मामला

  • गुरुवार को जिला अस्पताल में दो व्यक्तियों को टॉर्च की रोशनी में टांके लगाए गए और उनकी ड्रेसिंग की गई थी.
  • मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
  • जिला अस्पताल के सीएमएस ने इसके लिए बिजली कटौती, जनरेटर के गर्म होने के कारण उसे नहीं चलाया जाना और इनवर्टर का डिस्चार्ज होना जैसे कारण बताए हैं.


सीएमएस का बयान कर रहा सवाल खड़े
जिला अस्पताल के सीएमएस मामले की सफाई के दौरान दिए गए बयान में खुद फंसते नजर आ रहे हैं. दरअसल उनका कहना है कि लाइट न आने की वजह से करीब 8 घंटे जनरेटर चलाया, साथ ही यह भी कहा कि अस्पताल में लगा इनवर्टर डिस्चार्ज हो गया था. ऐसे में सवाल पैदा होता है कि जब लाइट न आने की वजह से 8 घंटे जनरेटर चलाया गया तो फिर इनवर्टर कैसे डिस्चार्ज हो गया. कहीं अस्पताल प्रशासन मामले को रफा-दफा करने के लिए यह सब बहाने तो नहीं कर रहा, जिससे सच सामने न आने पाए. खैर जो भी हो मामले में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही साफ झलकती नजर आ रही है, क्योंकि अगर मोबाइल की फ्लैश रोशनी में इलाज के दौरान कोई हादसा हो जाता तो इसका जिम्मेदार कौन होता. यह सवाल अब भी बना हुआ है.

पूरे दिन जिला अस्पताल में लाइट नहीं आई इसलिए लगभग 8 घण्टे तक जनरेटर चालू रहा. काफी समय तक चालू रहने के कारण जनरेटर गर्म हो गया था, जिससे उसे बंद करवा दिया गया था. इनवर्टर भी डिस्चार्ज हो गया था. इसी बीच एक घायल मरीज जिला अस्पताल में आया, जिसके खून बह रहा था इसलिए मजबूरी में टॉर्च की रोशनी में टांके लगाने पड़े. अगर उस समय टांके न लगाएं जाते तो उसकी हालत गम्भीर हो सकती थी.

-केएस भदौरिया, सीएमएस

Intro:एंकर-सूबे में इटावा के जिला अस्पताल में टॉर्च की रोशनी में जिन दो मरीजो के घाव में टांके लगाए जाने की घटना के पीछे अस्पताल प्रशासन ने बिजली कटौती का दोष बताया।सीएमएस ने अपनी सफाई में कहा कि पूरे दिन बिजली न आने के कारण शाम के समय अस्पताल का जनरेटर गर्म हो गया था इसलिये टॉर्च की रोशनी में मरीजो को टांके लगाए गए।लेकिन जिला अस्पताल के सीएमएस अपने ही बयानों में फंसते नजर आ रहे हैं।देखिए हमारी पूरी रिपोर्ट-


Body:वीओ(1)-कल गुरुवार को इटावा के जिला अस्पताल में एक साथ दो मरीजो के माथे पर आई चोट की ड्रेसिंग करते वक्त उनके घाव में डॉक्टर्स टॉर्च की रोशनी में टांके लगते एक वीडियो में नजर आए।जब यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ तो जिला अस्पताल में हड़कम्प मच गया।इस घटना के संदर्भ में जिला अस्पताल के सीएमएस ने ईटीवी से एक्सक्लुसिव बात चीत में सफाई दी कि कल गुरुवार को पूरे दिन जिला अस्पताल में लाइट नही आई इसलिये लगभग लगातार 8 घण्टे तक अस्पताल का जनरेटर चालू रहा,इसलिये शाम के समय जनरेटर गर्म होकर बंद हो गया।जिला अस्पताल के सीएमएस के ही अनुसार उसी बीच एक घायल मरीज जिला अस्पताल में आया जिसके घाव से खून रिस रहा था,इसलिये उसके मजबूरी में टॉर्च की रोशनी में टांके लगाने पड़े।उनका कहना था कि अगर उसका उस समय टॉर्च की रोशनी में टांके न लगाएं जाते तो उसकी हालत गम्भीर हो सकती थी।

वाइट-के एस भदौरिया(सीएमएस)

वीओ(2)-जब उनसे पूंछा गया कि जिला अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में लगा इन्वर्टर क्यो नही शुरू किया गया तो उन्होंने बताया कि इन्वर्टर भी डिस्चार्ज हो गया था।

वाइट-के एस भदौरिया(सीएमएस)


Conclusion:वीओ(1)-अब जिला अस्पताल के सीएमएस ने इस घटना के संदर्भ में जो ईटीवी को बयान दिए उसमे वो खुद फंसते नजर आ रहे है।पहला तो यह कि जिला अस्पताल से टॉर्च की रोशनी में टांके लगाने का जो वीडियो वायरल हुआ उसमे एक साथ दो मरीजो के टांके लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं।जबकि सीएमएस साहब सिर्फ एक ही मरीज की बात कर रहे हैं।उन्हें यह ही नही पता कि जिला अस्पताल में कितने मरीजो को टॉर्च की रोशनी में टांके लगाए गए?दूसरा यह कि जब पूरे दिन जिला अस्पताल में लाइट न होने की स्थिति में जनरेटर चालू रहा तो फिर ओटी का इन्वर्टर कैसे डिस्चार्ज हो गया?कुल मिलाकर जिला योजना की बैठक के दौरान जिले के प्रभारी मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने मीडिया के सामने इस घटना की जांच सीएमओ को सौंप दी है लेकिन मंत्री जी यह बात मीडिया के कैमरों के सामने नहीं बता सके।इससे ऐसा लगता है कि जिले के प्रभारी मंत्री भी अब इस मामले में पर्दा डालने की फिराक में है।
मोब न0 8445980843।
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