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संतकबीरनगर: बदहाली के कगार पर पहुंचा लाखों की लागत से बना सामुदायिक शौचालय

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Published : Feb 28, 2019, 3:15 PM IST

संतकबीरनगर के सेमरियावां ब्लॉक स्थित बुद्धा कला गांव में लाखों रुपए की लागत से बना सामुदायिक शौचालय पूरी तरह से बदहाली के कगार पर पहुंच चुका है. वहीं प्रशासन इस ओर आंखे मूंदे हुए है.

बदहाल पड़ा सामुदायिक शौचालय.

संत कबीरनगर: जिले के सेमरियावां ब्लॉक स्थित बुद्धा कला गांव में स्वच्छ भारत मिशन अभियान की धज्जियां उड़ाई जा रही है. जहां लाखों रुपए की लागत से बना सामुदायिक शौचालय पूरी तरह से बदहाली के कगार पर पहुंच चुका है. वहीं निर्माण के कई सालों बाद भी सामुदायिक शौचालय का ताला न खुलने से स्थानीय लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है.

बदहाल पड़ा सामुदायिक शौचालय.

सालों से बने इस सामुदायिक शौचालय के न खुलने से शौचालय का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. आलम ये है कि इसमें लगे संसाधन भी अब धीरे-धीरे गायब होते दिखाई दे रहे हैं. स्थानीय लोगों के कई बार शिकायत करने के बावजूद विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान देने की जहमत नहीं उठा रहे हैं.

बता दें खुले में बीते साल शौच जाते समय सड़क दुर्घटना में दो महिलाओं की मौत हो गई थी. जिसको देखते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी सरोज कुमार ने इस गांव में सामुदायिक शौचालय कांप्लेक्स के निर्माण का आदेश दिया था. जिसके बाद इस गांव में सामुदायिक शौचालय कांप्लेक्स का निर्माण करवाया गया था. लेकिन निर्माण के 10 साल बीत जाने के बाद भी इस भवन का एक बार भी ताला नहीं खुला है.

ग्रामीणों का कहना है कि सामुदायिक शौचालय कांप्लेक्स का ताला न खुलने से उनके परिवार आज भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं, लेकिन ग्राम पंचायत और जिम्मेदार अधिकारी इस भवन का न तो ताला खुलवा रहे हैं और न ही इस बदहाल सामुदायिक शौचालय को ठीक करा रहे हैं.

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संत कबीरनगर: जिले के सेमरियावां ब्लॉक स्थित बुद्धा कला गांव में स्वच्छ भारत मिशन अभियान की धज्जियां उड़ाई जा रही है. जहां लाखों रुपए की लागत से बना सामुदायिक शौचालय पूरी तरह से बदहाली के कगार पर पहुंच चुका है. वहीं निर्माण के कई सालों बाद भी सामुदायिक शौचालय का ताला न खुलने से स्थानीय लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है.

बदहाल पड़ा सामुदायिक शौचालय.

सालों से बने इस सामुदायिक शौचालय के न खुलने से शौचालय का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. आलम ये है कि इसमें लगे संसाधन भी अब धीरे-धीरे गायब होते दिखाई दे रहे हैं. स्थानीय लोगों के कई बार शिकायत करने के बावजूद विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान देने की जहमत नहीं उठा रहे हैं.

बता दें खुले में बीते साल शौच जाते समय सड़क दुर्घटना में दो महिलाओं की मौत हो गई थी. जिसको देखते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी सरोज कुमार ने इस गांव में सामुदायिक शौचालय कांप्लेक्स के निर्माण का आदेश दिया था. जिसके बाद इस गांव में सामुदायिक शौचालय कांप्लेक्स का निर्माण करवाया गया था. लेकिन निर्माण के 10 साल बीत जाने के बाद भी इस भवन का एक बार भी ताला नहीं खुला है.

ग्रामीणों का कहना है कि सामुदायिक शौचालय कांप्लेक्स का ताला न खुलने से उनके परिवार आज भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं, लेकिन ग्राम पंचायत और जिम्मेदार अधिकारी इस भवन का न तो ताला खुलवा रहे हैं और न ही इस बदहाल सामुदायिक शौचालय को ठीक करा रहे हैं.

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Intro:संतकबीरनगर| स्वच्छ भारत मिशन की खुली पोल बदहाल पड़ा सामुदायिक शौचालय कांप्लेक्स


Body:एंकर- सरकारी योजनाओं की जिम्मेदार अधिकारी किस तरह से पलीता लगाते नजर आ रहे हैं इसकी एक बानगी संत कबीर नगर जिले के सेमरियावां ब्लॉक में स्थित बुद्धा कला गांव में देखने को मिला जहां लाखों रुपए की लागत का बना सामुदायिक शौचालय कांप्लेक्स पूरी तरह से बदहाल है निर्माण की वर्षों बाद सामुदायिक शौचालय कंपलेक्स का ताला ना खुलने से यहां के लोग आज भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है जिससे पीएम मोदी के प्रोजेक्ट योजना स्वच्छ भारत मिशन की जिम्मेदार अधिकारी पलीता लगा दे नजर आ रहे भवन का ताला ना खुलने से यह सामुदायिक शौचालय कांप्लेक्स पूरी तरह से जर्जर हो चुका है और इसमें लगे संसाधन में गायब हो चुके हैं जिम्मेदार बार बार शिकायत करने के बावजूद भी अधिकारी इस भवन को ठीक कराने की जहमत नहीं उठा रहा है जिससे लोक खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है.


Conclusion:वीओ. आपको बता देगी पूरा मामला संत कबीर नगर जिले के सेमरियावां में ब्लॉक में स्थित बुद्धा कला गांव का है जहां पर खुले में शौच जाते समय मार्ग दुर्घटना में दो महिलाओं की मौत हो गई थी जिसको देखते हुए पूर्व में रहे जिलाधिकारी सरोज कुमार ने इस गांव में सामुदायिक शौचालय कांप्लेक्स के निर्माण का आदेश दिया गया था जिसके बाद इस गांव में सामुदायिक शौचालय कांप्लेक्स का निर्माण करवाया गया था लेकिन निर्माण के 10 साल बीत जाने के बाद भी इस भवन का एक बार भी ताला नहीं खुला जिसके कारण यहां के रहने वाले ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर है वहीं भवन का ताला तो नहीं खुला लेकिन भवन में लगा संसाधन भी गायब हो गया और सामुदायिक शौचालय भी पूरी तरह से जर्जर भी हो गया लेकिन जिम्मेदार अधिकारी स्वच्छ भारत मिशन अभियान का पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं ग्रामीणों का कहना है सामुदायिक शौचालय कांप्लेक्स का ताला ना खुलने से उनके परिवार आज भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर लेकिन ग्राम पंचायत और जिम्मेदार अधिकारी इस भवन का ना तो ताला खुलवा रहे हैं और ना ही इस बदहाल सामुदायिक शौचालय को ठीक करा रहे हैं जिससे यहां के लोगों को काफी समस्या हो रही है. वही जब इस मामले में ईटीवी भारत में डीपीआरओ आलोक कुमार प्रियदर्शी से बात करनी चाहिए उन्होंने कैमरे पर कुछ भी बोलने से साफ इनकार कर दिया जिससे यह साथ अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के जिम्मेदार अधिकारी स्वच्छ भारत मिशन अभियान के प्रति कितने गंभीर है.

बाइट- शंभू ग्रामीण

बाइट-मुंद्रिका ग्रामीण

p2c -अमित कुमार पाण्डेय
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