जौनपुर: जिले में त्रिलोचन महादेव मंदिर की ऐतिहसिकता एक हजार साल से भी ज्यादा पुरानी है. इसका जिक्र स्कंद पुराण में भी किया गया है. ऐसा माना जाता है कि यहां जो शिवलिंग है वह पाताल भेदी है. इस शिवलिंग पर भगवान भोलेनाथ के चेहरे के साथ तीन आंखें साफ तौर पर देखी जा सकती है.
मंदिर की रहस्यमयी कहानी
त्रिलोचन महादेव का मंदिर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बनारस राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है. यह मंदिर प्राचीन समय में शांतिवन में स्थित था. वन में एक झाड़ी के पास पत्थर पर गाय का दूध अपने आप गिरने लगता था, जिससे लोगों को लगा की यहां पर किसी भूत प्रेत का साया है. जब उस पत्थर की खुदाई की गई तो वहां एक शिवलिंग प्रकट हुआ. शिवलिंग की खुदाई कई महीनों तक चलती रही लेकिन उसे निकाला नहीं जा सका, तब से इसे पाताल भेदी कहा जाता है.
मंदिर की ऐतिहासिकता
इस मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण के 674 पेज पर वर्णित है जिसके आधार पर लोग इसे एक हजार साल से भी पुराना बताते है. वही मंदिर के बारे में कहा जाता है कि शिवरात्रि के दिन यहां दर्शन करने मात्र से ही सारे पुण्य प्राप्त हो जाते हैं.
अनोखा है मंदिर का शिवलिंग
इस मंदिर के शिवलिंग को पाताल भेदी शिवलिंग इसलिये कहा जाता है क्योंकि ये कहीं से लाया नहीं गया बल्कि अपने आप पाताल भेदकर प्रकट हुआ है. इस शिवलिंग पर भगवान शिव का चेहरा और तीन आंखें भी दिखाई देती हैं. मान्यताओं के अनुसार यहीं से भगवान शिव ने तीसरी आंख खोलकर भस्मासुर को भस्म किया था.