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जौनपुर: रहस्यों से भरा है यह शिव मंदिर, पाताल भेदी है शिवलिंग

जौनपुर स्थित त्रिलोचन महादेव मंदिर एक हजार साल से भी पुराना है. माना जाता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

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Published : Mar 3, 2019, 3:06 PM IST

रहस्यों से भरा है यह शिव मंदिर

जौनपुर: जिले में त्रिलोचन महादेव मंदिर की ऐतिहसिकता एक हजार साल से भी ज्यादा पुरानी है. इसका जिक्र स्कंद पुराण में भी किया गया है. ऐसा माना जाता है कि यहां जो शिवलिंग है वह पाताल भेदी है. इस शिवलिंग पर भगवान भोलेनाथ के चेहरे के साथ तीन आंखें साफ तौर पर देखी जा सकती है.

रहस्यों से भरा है यह शिव मंदिर

मंदिर की रहस्यमयी कहानी

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त्रिलोचन महादेव का मंदिर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बनारस राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है. यह मंदिर प्राचीन समय में शांतिवन में स्थित था. वन में एक झाड़ी के पास पत्थर पर गाय का दूध अपने आप गिरने लगता था, जिससे लोगों को लगा की यहां पर किसी भूत प्रेत का साया है. जब उस पत्थर की खुदाई की गई तो वहां एक शिवलिंग प्रकट हुआ. शिवलिंग की खुदाई कई महीनों तक चलती रही लेकिन उसे निकाला नहीं जा सका, तब से इसे पाताल भेदी कहा जाता है.

मंदिर की ऐतिहासिकता

इस मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण के 674 पेज पर वर्णित है जिसके आधार पर लोग इसे एक हजार साल से भी पुराना बताते है. वही मंदिर के बारे में कहा जाता है कि शिवरात्रि के दिन यहां दर्शन करने मात्र से ही सारे पुण्य प्राप्त हो जाते हैं.

अनोखा है मंदिर का शिवलिंग

इस मंदिर के शिवलिंग को पाताल भेदी शिवलिंग इसलिये कहा जाता है क्योंकि ये कहीं से लाया नहीं गया बल्कि अपने आप पाताल भेदकर प्रकट हुआ है. इस शिवलिंग पर भगवान शिव का चेहरा और तीन आंखें भी दिखाई देती हैं. मान्यताओं के अनुसार यहीं से भगवान शिव ने तीसरी आंख खोलकर भस्मासुर को भस्म किया था.

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जौनपुर: जिले में त्रिलोचन महादेव मंदिर की ऐतिहसिकता एक हजार साल से भी ज्यादा पुरानी है. इसका जिक्र स्कंद पुराण में भी किया गया है. ऐसा माना जाता है कि यहां जो शिवलिंग है वह पाताल भेदी है. इस शिवलिंग पर भगवान भोलेनाथ के चेहरे के साथ तीन आंखें साफ तौर पर देखी जा सकती है.

रहस्यों से भरा है यह शिव मंदिर

मंदिर की रहस्यमयी कहानी

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त्रिलोचन महादेव का मंदिर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बनारस राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है. यह मंदिर प्राचीन समय में शांतिवन में स्थित था. वन में एक झाड़ी के पास पत्थर पर गाय का दूध अपने आप गिरने लगता था, जिससे लोगों को लगा की यहां पर किसी भूत प्रेत का साया है. जब उस पत्थर की खुदाई की गई तो वहां एक शिवलिंग प्रकट हुआ. शिवलिंग की खुदाई कई महीनों तक चलती रही लेकिन उसे निकाला नहीं जा सका, तब से इसे पाताल भेदी कहा जाता है.

मंदिर की ऐतिहासिकता

इस मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण के 674 पेज पर वर्णित है जिसके आधार पर लोग इसे एक हजार साल से भी पुराना बताते है. वही मंदिर के बारे में कहा जाता है कि शिवरात्रि के दिन यहां दर्शन करने मात्र से ही सारे पुण्य प्राप्त हो जाते हैं.

अनोखा है मंदिर का शिवलिंग

इस मंदिर के शिवलिंग को पाताल भेदी शिवलिंग इसलिये कहा जाता है क्योंकि ये कहीं से लाया नहीं गया बल्कि अपने आप पाताल भेदकर प्रकट हुआ है. इस शिवलिंग पर भगवान शिव का चेहरा और तीन आंखें भी दिखाई देती हैं. मान्यताओं के अनुसार यहीं से भगवान शिव ने तीसरी आंख खोलकर भस्मासुर को भस्म किया था.

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Intro:शिवरात्रि स्पेशल

जौनपुर।। त्रिलोचन महादेव मंदिर भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है ।इस मंदिर के बारे में कई रहस्यों की कई कहानियां प्रचलित है। इस मंदिर की ऐतिहासिकता 1000 सालों से भी पुरानी है। इस मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण मे है । मंदिर के शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यह पाताल भेदी शिवलिंग है क्योंकि शिवलिंग की खुदाई हुई तो इसको बाहर निकाला ही नहीं जा सका। इस शिवलिंग पर भगवान भोलेनाथ चेहरे के साथ तीन आंखें साफ तौर पर देखी जा सकती है ।कहा जाता है कि यहीं से भगवान शिव ने तीसरी आंख खोलकर भस्मासुर को भस्म किया था । इस मन्दिर का शिवलिंग एक तरफ झुका हुआ भी है जिसे भगवान भोलेनाथ की महिमा कहा जाता है। शिवरात्रि के दिन यहां पर मेला लगता है और मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ता है।


Body:मंदिर का रहस्य की कहानी-

त्रिलोचन महादेव का मंदिर जौनपुर के जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बनारस राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है । यह मंदिर प्राचीन समय में शांतिवन में स्थित था। इस वन में जब पशु घूमते थे तो एक झाड़ी के पास पत्थर के पास उनका दूध अपने आप गिरने लगता था , जिसे लोगों ने किसी भूत प्रेत का साया होने की बात समझी फिर जब इसकी खुदाई शुरू हुई। तो वहां एक शिवलिंग प्रकट हुआ । यह शिवलिंग की खुदाई कई महीनों चलती रही लेकिन उसे निकाला नहीं जा सका। तब से इसे पाताल भेदी कहा जाता है । इसके बाद यहां पर पूजा पाठ शुरू हो गई। शिवलिंग को लेकर दो गांव में विवाद भी हुआ । यह मंदिर रेहटी और लहंग पुर गांव के बीच स्थित था जिसको लेकर दोनों गांव में खूब झगड़ा हुआ जिसके बाद मंदिर को बंद कर दिया गया । सुबह जब खोलकर देखा गया तो मंदिर का शिवलिंग एक तरफ झुका हुआ था जिसके बाद इसे रेहटी गांव में मान लिया गया और विवाद खत्म हो गया।

बाइट- मुरलीधर गिरी - प्रबंधक त्रिलोचन महादेव मंदिर

मंदिर की ऐतिहासिकता-

त्रिलोचन महादेव का मंदिर कितना पुराना है इसका एक अनुमान ही लगाया जा सकता है। वैसे इस मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण के 674 पेज पर वर्णित है जिसके आधार पर लोग 1000 साल से भी पुराना बताया जाता है। वही मंदिर के बारे में कहा जाता है कि शिवरात्रि के दिन यहां दर्शन करने से सारे पुण्य प्राप्त होते हैं। इसलिए इस मंदिर में दर्शन के लिए आस्था का सैलाब उमड़ता है।

अनोखा है मंदिर का शिवलिंग-

त्रिलोचन महादेव के मंदिर का शिवलिंग कई मामलों में अनोखा है। इस मंदिर के शिवलिंग को पाताल भेदी शिवलिंग कहा जाता है जो कहीं से लाया नहीं गया बल्कि स्वयं पाताल भेद कर प्रकट हुआ था। वही इस शिवलिंग पर भगवान शिव का चेहरा और तीन आंखें भी दिखती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने तीसरी आंख खोलकर यहीं से भस्मासुर को भस्म किया था। तब से इस मंदिर की विशेष मान्यता है।

बाइट- ओम प्रकाश गिरी- मंदिर पुजारी




Conclusion:त्रिलोचन महादेव मंदिर के इन रहस्य के बारे में सुनकर लोग दूर-दूर से मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं इस मंदिर में शिवरात्रि के दिन कावड़ियों का सैलाब उमड़ता है ।वहीं आस-पास के दूरदराज के जिलों से भी लोग मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं ।वहीं मंदिर की सुरक्षा के लिए भी खास इंतजाम रहता है।


पीटीसी

Dharmendra singh
jaunpur
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