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लखनऊ: आचार संहिता के उल्लंघन में किसी भी दल के नेता नहीं हैं पीछे

इस बार के लोकसभा चुनाव में कई कद्दावर नेताओं पर आचार संहिता उल्लंघन करने का आरोप लगा है. इस लिस्ट में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा नेता आजम खां, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर आदि शामिल हैं.

जानकारी देते ईटीवी संवाददाता दिलीप शुक्ला.
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Published : Apr 9, 2019, 10:17 PM IST

लखनऊ: लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले नेताओं की एक बड़ी जमात है. आचार संहिता उल्लंघन करने वालों में बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं का नाम शुमार है. सवाल उठता है कि इन नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हो सकती जो अन्य लोगों के लिए नजीर बन सके. आइए नजर डालते है कुछ कद्दावर नेताओं पर जिन पर इस बार आचार संहिता उल्लंघन करने का आरोप लगा है.

जानकारी देते ईटीवी संवाददाता दिलीप शुक्ला.

आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा समय में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह का नाम भी शामिल है. वह चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में बोलते हुए कैमरे में कैद हो गए. कल्याण सिंह ने कहा था कि देश की जरूरत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बनें. इसके बाद उनकी शिकायत निर्वाचन आयोग में की गई. जिस पर आयोग ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा और राष्ट्रपति के पास अपनी रिपोर्ट भेज दी है.

वहीं सपा के कद्दावर नेता और विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले आजम खां पर भी आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने का मामला चल रहा है. शिकायत की गई थी कि आजम खां ने मंच से भाषण के दौरान अभिनेत्री व भाजपा प्रत्याशी जया प्रदा पर विवादित टिप्पणी की है. उन्होंने अपशब्दों का प्रयोग किया है. आयोग ने रामपुर जिला अधिकारी से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी थी. इसके अलावा आजम खां के खिलाफ रामपुर में एफआईआर भी दर्ज की गई है.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर के खिलाफ भी आयोग में शिकायत हुई है. राज बब्बर के खिलाफ बयानबाजी को लेकर तो नहीं है लेकिन उनके काफिले में वाहनों की संख्या पर सवाल खड़े हुए हैं. उन पर आरोप है कि तय संख्या से अधिक उनके काफिले में वाहन देखे गए हैं. चुनावी खर्च पर नकेल कसने के लिए आयोग ने हर प्रत्याशी के लिए एक मापदंड तय कर रखा है, जिसके मुताबिक ही प्रत्याशी वाहन, पोस्टर, बैनर व अन्य खर्चों को कर सकता है.

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री गठबंधन की नेता मायावती सहारनपुर की रैली में मुस्लिम शब्द का प्रयोग कर आचार संहिता का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि कांग्रेस बीजेपी को नहीं हरा सकती. इसलिए मुस्लिम मतदाता गठबंधन को वोट करें, ताकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को कुर्सी से हटाया जा सके. उनकी इसी बात का संज्ञान लेते हुए निर्वाचन आयोग ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है.

वहीं इस सब मामलों पर वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर पंकज कहते हैं कि आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की छोटी मोटी घटनाओं से आयोग तो किनारा कर लेता है. लेकिन जब बड़ी घटनाएं होती हैं तो उसमें आयोग कार्रवाई करता है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने अपने बेटे के लिए चुनाव प्रचार किया था. इसके बाद मामले की शिकायत हुई. आयोग ने गंभीरता से लिया और उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा.

उन्होंने कहा कि कल्याण सिंह की स्थिति लगभग वही है. आयोग ने राष्ट्रपति को लिख दिया है, राष्ट्रपति के यहां से गृह मंत्रालय को भेज दिया गया. अब यह गृह मंत्रालय पर है कि कितने दिन तक वह इसे रोक के रखता है. नियमतः उनके खिलाफ कार्रवाई हो जानी चाहिए. राज्यपाल कल्याण सिंह के पास त्यागपत्र देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है.

वहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई का कहना है की भाजपा हो या किसी भी दल का नेता उसे आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं करना चाहिए.

लखनऊ: लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले नेताओं की एक बड़ी जमात है. आचार संहिता उल्लंघन करने वालों में बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं का नाम शुमार है. सवाल उठता है कि इन नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हो सकती जो अन्य लोगों के लिए नजीर बन सके. आइए नजर डालते है कुछ कद्दावर नेताओं पर जिन पर इस बार आचार संहिता उल्लंघन करने का आरोप लगा है.

जानकारी देते ईटीवी संवाददाता दिलीप शुक्ला.

आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा समय में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह का नाम भी शामिल है. वह चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में बोलते हुए कैमरे में कैद हो गए. कल्याण सिंह ने कहा था कि देश की जरूरत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बनें. इसके बाद उनकी शिकायत निर्वाचन आयोग में की गई. जिस पर आयोग ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा और राष्ट्रपति के पास अपनी रिपोर्ट भेज दी है.

वहीं सपा के कद्दावर नेता और विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले आजम खां पर भी आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने का मामला चल रहा है. शिकायत की गई थी कि आजम खां ने मंच से भाषण के दौरान अभिनेत्री व भाजपा प्रत्याशी जया प्रदा पर विवादित टिप्पणी की है. उन्होंने अपशब्दों का प्रयोग किया है. आयोग ने रामपुर जिला अधिकारी से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी थी. इसके अलावा आजम खां के खिलाफ रामपुर में एफआईआर भी दर्ज की गई है.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर के खिलाफ भी आयोग में शिकायत हुई है. राज बब्बर के खिलाफ बयानबाजी को लेकर तो नहीं है लेकिन उनके काफिले में वाहनों की संख्या पर सवाल खड़े हुए हैं. उन पर आरोप है कि तय संख्या से अधिक उनके काफिले में वाहन देखे गए हैं. चुनावी खर्च पर नकेल कसने के लिए आयोग ने हर प्रत्याशी के लिए एक मापदंड तय कर रखा है, जिसके मुताबिक ही प्रत्याशी वाहन, पोस्टर, बैनर व अन्य खर्चों को कर सकता है.

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री गठबंधन की नेता मायावती सहारनपुर की रैली में मुस्लिम शब्द का प्रयोग कर आचार संहिता का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि कांग्रेस बीजेपी को नहीं हरा सकती. इसलिए मुस्लिम मतदाता गठबंधन को वोट करें, ताकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को कुर्सी से हटाया जा सके. उनकी इसी बात का संज्ञान लेते हुए निर्वाचन आयोग ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है.

वहीं इस सब मामलों पर वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर पंकज कहते हैं कि आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की छोटी मोटी घटनाओं से आयोग तो किनारा कर लेता है. लेकिन जब बड़ी घटनाएं होती हैं तो उसमें आयोग कार्रवाई करता है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने अपने बेटे के लिए चुनाव प्रचार किया था. इसके बाद मामले की शिकायत हुई. आयोग ने गंभीरता से लिया और उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा.

उन्होंने कहा कि कल्याण सिंह की स्थिति लगभग वही है. आयोग ने राष्ट्रपति को लिख दिया है, राष्ट्रपति के यहां से गृह मंत्रालय को भेज दिया गया. अब यह गृह मंत्रालय पर है कि कितने दिन तक वह इसे रोक के रखता है. नियमतः उनके खिलाफ कार्रवाई हो जानी चाहिए. राज्यपाल कल्याण सिंह के पास त्यागपत्र देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है.

वहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई का कहना है की भाजपा हो या किसी भी दल का नेता उसे आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं करना चाहिए.

Intro:लखनऊ। लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले नेताओं की एक बड़ी जमात है। आचार संहिता उल्लंघन करने वालों में बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं का नाम शुमार है। सवाल उठता है कि आखिर ऐसी कौन सी वजह है जो कानून को तोड़ने वाले और आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले नेताओं पर सख्त कार्यवाही नहीं हो सकती जो अन्य लोगों के लिए नजीर बन सके।


Body:आदर्श चुनाव आचार संगीता का उल्लंघन करने में भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा समय में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह का नाम आता है। वह चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में बोलते हुए कैमरे में कैद हो गए। कल्याण सिंह ने कहा कि देश की जरूरत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री बनें। उनकी शिकायत निर्वाचन आयोग में की गई निर्वाचन आयोग ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा। इसके उपरांत राष्ट्रपति के पास भी आयोग ने अपनी रिपोर्ट भेज दी।

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले आजम खान पर आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने का मामला चल रहा है। शिकायत हुई थी आजम खान ने मंच से भाषण के दौरान अभिनेत्री व भाजपा प्रत्याशी जया प्रदा पर विवादित टिप्पणी की है। उन्होंने अपशब्दों का प्रयोग किया है। आयोग ने रामपुर जिला अधिकारी से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी थी। आजम खान के खिलाफ रामपुर में एफआईआर भी दर्ज की गई है।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राज बब्बर के खिलाफ भी आयोग में शिकायत हुई है। राज बब्बर के खिलाफ बयानबाजी को लेकर तो नहीं है लेकिन उनके काफिले में वाहनों की संख्या पर सवाल खड़े हुए हैं। उन पर आरोप है कि तय संख्या से अधिक उनके काफिले में वाहन देखे गए हैं। चुनावी खर्च पर नकेल कसने के लिए आयोग ने हर प्रत्याशी के लिए एक मापदंड तय कर रखा है। जिसके मुताबिक ही उसे वाहन, पोस्टर, बैनर व अन्य खर्चों को कर सकता है।

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री गठबंधन की नेता मायावती सहारनपुर की रैली में मुस्लिम शब्द का प्रयोग कर आचार संहिता का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि कांग्रेस बीजेपी को नहीं हरा सकती। इसलिए मुस्लिम मतदाता गठबंधन को वोट करें। ताकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को कुर्सी से हटाया जा सके। उनकी इसी बात का संज्ञान लेते हुए निर्वाचन आयोग ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। प्रदेश के मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने बताया कि मायावती द्वारा रैली में अपने भाषण में मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल करते हुए वोट की अपील की है। इस सम्बंध में जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी गई है। मायावती के इस बयान की आयोग में कई शिकायतें आई थीं।

बाईट- वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर पंकज कहते हैं कि आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की छोटी मोटी घटनाओं से आयोग तो किनारा कर लेता है। लेकिन जब बड़ी घटनाएं होती हैं तो उसमें आयोग कार्यवाही करता है। मुझे याद है कि हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने अपने बेटे के लिए चुनाव प्रचार किया। इसकी शिकायत हुई। आयोग ने गंभीरता से लिया। उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा। कल्याण सिंह की स्थिति लगभग वही है। आयोग ने राष्ट्रपति को लिख दिया है। राष्ट्रपति के यहां से गृह मंत्रालय को भेज दिया गया। गृह मंत्रालय पर है कि कितने दिन तक इसे रोक के रखता है। नियमतः उनके खिलाफ कार्यवाही हो जानी चाहिए। राज्यपाल कल्याण सिंह के पास त्यागपत्र देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। जहां तक मायावती समेत अन्य नेताओं का धर्म विशेष को लेकर टिप्पणी का है तो सोनिया गांधी ने भी एक बार ईसाइयों से कांग्रेस को वोट देने की अपील की थी। लेकिन आयोग ने गंभीरता से नहीं लिया था। रही बात मायावती की तो अगर आयोग ने बसपा सुप्रीमो के भाषण का संज्ञान लिया है तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी भले ही जवाब में बोले हैं, वह भी आधार आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन में ही आता है।

बाईट- भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई का कहना है की भाजपा हो या किसी भी दल का नेता उसे आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। भूल चूक से कहीं इस प्रकार से हो जाए तो बात दूसरी होती है। लेकिन आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। आयोग भी इसको लेकर निगरानी रख रहा है। आयोग लोगों पर कार्यवाही भी कर रहा है। आगे भी आयोग देखेगा।


Conclusion:बड़ा सवाल उठता है कि इतने जिम्मेदार नेता अगर आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करते रहेंगे तो अगली पीढ़ी को क्या सीख मिलेगी दूसरी बात चुनाव आयोग पर सवाल खड़े होते हैं की ऐसी सख्ती क्यों नहीं बरती जाती कि वह अन्य लोगों के लिए नजीर बन सके। वैसे तो निर्वाचन कार्यालय का दावा है कि यदि कोई आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई के प्रावधान हैं। यहां तक कि चुने जाने के बाद भी उसकी सदस्यता रद्द की जा सकती है। प्रावधान होने के बावजूद कोई नेता मानने को तैयार नहीं हैं। वे आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने से गुरेज नहीं करते।
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