वाराणसीः प्रयागराज में लगे महाकुंभ में धर्म और आस्था का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है. देश दुनिया के कोने-कोने से लोग इस महाकुंभ में अपनी हाजिरी लगा रहे हैं. भारत का ऐसा एक भी कोना नहीं है, जहां के लोग इस महाकुंभ में स्नान नहीं कर रहे हैं. यह दावा कितना सच है इसकी जांच बनारस का काशी हिंदू विश्वविद्यालय करेगा. महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं का बीएचयू की टीम स्लाइवा टेस्ट लेगी. इस टेस्ट के जरिए लाखों श्रद्धालुओं के डीएनए की जांच होगी.
जीन वैज्ञानिक करेंगे शोधः यह प्रक्रिया काशी हिंदू विश्विद्यालय के जीन वैज्ञानिकों के अंडर में होगा, जिसके लिए बाकायदा महाकुंभ मेला क्षेत्र में तीन दिन का स्टॉल लगायेंगे. BHU के जीन वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि डीएनए पर शोध का यह सबसे बड़ा मौका है. जब इतनी बड़ी संख्या में अलग-अलग डाइवर्सिटी के लोग एक जगह पर सामान्य और साधारण रूप में हमें उपस्थित मिलेंगे और हम इस मौके पर अपनी शोध को पूरा करेंगे.
BHU के जीन वैज्ञानिक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने दी जानकारी. (Video Credit; ETV Bharat) रैंडम सैंपलिंग से होगी लोगों के DNA की जांचः प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि महाकुंभ में दो अलग-अलग एस्पेक्ट पर काम करेंगे. एक तो यह कि कोविड लंबे समय तक भारत में रहा है. अभी भी कहा जा रहा है कि लगभग दो फीसदी लोगों में कोविड सफर कर रहा है. ऐसे में हम लोगों के एंटीबॉडी जांच करेंगे, जिससे समझने की कोशिश करेंगे कि पूरे भारत में कितनी इम्यूनिटी कोरोना वायरस के खिलाफ लोगों में बनी हुई है. इसके साथ ही दूसरा एस्पेक्ट होगा कि कुंभ में कितनी डाइवर्सिटी दिख रही है. क्योंकि कुंभ में भारत के कोने-कोने से लोग आ रहे हैं. ऐसे में रैंडम सैंपलिंग करके देखेंगे कि इस कुंभ में भारत की कितनी फ़ीसदी डीएनए की उपस्थिति पाई गई है.
तीन दिनों दिनों तक लगेगा कुंभ में कैंपः प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे बताया कि 500 लोगों का सैंपल कलेक्ट करेंगे. इसके लिए 5 सदस्यों की टीम बनाई गई है, जो पूरा काम जीरो सर्विलांस के जरिए करेंगे. 31 जनवरी, 1 फरवरी और 7 फरवरी को कुंभ में अपना टेंट लगाएगी और लोगों का स्लाइवा टेस्ट करेगी, एंटीबॉडी जांच करेगी. इसके लिए दो प्रकार की किट भी डेवलप की है और विदीन ए मिनिट हम यह जांच कर लेंगे. इसके बाद एंटीबॉडी की रिपोर्ट आगामी एक सप्ताह के अंदर सामने आ जाएगी. डीएनए की रिपोर्ट लगभग 6 से 7 महीने बाद पता चलेगी, जिसमें यह बात स्पष्ट हो जाएगी कि इस महासंगम महाकुंभ में भारत की कितनी फीसदी डीएनए ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है .
25000 डेटा सैंपल के स्केल पर होगी जांचः प्रोफेसर ने बताया कि सामान्य रूप से जो आंकड़े आने वाले श्रद्धालुओं के नोट किए जाते हैं, उसमें व्यक्ति का ओरिजिन और उनका लिविंग सिटी दोनों अलग होता है. उदाहरण के रूप में एक व्यक्ति का ओरिजिन उत्तर प्रदेश का है, लेकिन अगर वह बेंगलुरु में रहता है तो उसकी उपस्थिति तो बैंगलोर शहर से दर्ज कराई जाएगी. लेकिन उसके डीएनए में उत्तर प्रदेश और यहां से संबंधित जीन की उपस्थिति दिखाई देगी. हमारे पास एक 25000 सैंपल का डाटा है, उस डाटा पर हम स्केल के जरिए 0 टू 1 में देखेंगे कि कुंभ कहां पर है और हमें यह सारी जानकारी मिल सकेगी.
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