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श्रीकृष्ण जन्मभूमि मालिकाना हक मामले में अब 10 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई - मथुरा न्यूज

उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मालिकाना हक को लेकर दायर की गई याचिका पर अब अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी. श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट आज कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ, इस वजह से अब मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को की जाएगी.

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अब 10 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई.
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Published : Nov 18, 2020, 8:40 AM IST

Updated : Nov 18, 2020, 12:55 PM IST

मथुरा : श्रीकृष्ण जन्मभूमि मालिकाना हक को लेकर दायर की गई याचिका पर अब अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी. श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट आज कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ, इस वजह से अब मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को की जाएगी.

दरअसल, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मालिकाना हक को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई आज यानी बुधवार सुबह 11 बजे डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में होनी थी. वादी-प्रतिवादी पक्ष अपनी दस्तावेज पेश करने वाले थे. आज इस मामले को लेकर सुप्राम कोर्ट के अधिवक्ता जिला न्यायालय पहुंचे थे, लेकिन एक पक्ष के नहीं पहुंचने से सुनवाई टाल दी गई. बता दें, कि परिसर को मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा 25 सितंबर को कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर है विवाद

श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. इसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री सहित पांच अधिवक्ताओं ने 25 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाल थी. याचिका में परिसर में अवैध रूप से बनी शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग की गई है. बता दें, इस याचिका को लेकर जिला न्यायालय ने प्रतिवादी पक्ष को समन जारी किए गए थे.

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सुप्रीम कोर्ट के वकील ने डाली थी याचिका.

ये है पूरी कहानी

बताया जाता है कि ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनी मल ने इस जगह को खरीदा. 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्मस्थान की दुर्दशा को देखकर दुखी हुए और स्थानीय लोगों ने भी मदन मोहन मालवीय से कहा कि यहां भव्य मंदिर बनना चाहिए. मदन मोहन मालवीय ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को पत्र लिखकर जन्मभूमि पुनर्रुद्वार के लिए पत्र लिखा. 21 फरवरी 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई. 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण जन्मस्थान सोसायटी द्वारा किया गया. 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई. डिक्री रद्द करने की मांग को लेकर अधिवक्ता ने कोर्ट मे याचिका डाली थी.

क्या कहते हैं जानकार

जानकारों का कहना है कि कंस मथुरा का राजा हुआ करता था. श्रीकृष्ण जन्मस्थान का प्राचीन केशव देव मंदिर, जो पूर्व में मलपुरा के नाम से जाना जाता था. चार किलोमीटर का एरिया केशव देव की संपत्ति मानी जाती है. प्राचीन केशव देव मंदिर के पास कंस का कारागार हुआ करता था. 5247 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ. भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र ब्रजनाभ ने उसी स्थान पर केशव देव मंदिर की प्रथम स्थापना की. मुगल साम्राज्य के दौरान औरंगजेब ने 1669 में मंदिर को ध्वस्त कर दिया और शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई गई, जो कि वर्तमान में बनी हुई है. कटरा केशव देव को ही श्रीकृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है.

मथुरा : श्रीकृष्ण जन्मभूमि मालिकाना हक को लेकर दायर की गई याचिका पर अब अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी. श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट आज कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ, इस वजह से अब मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को की जाएगी.

दरअसल, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मालिकाना हक को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई आज यानी बुधवार सुबह 11 बजे डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में होनी थी. वादी-प्रतिवादी पक्ष अपनी दस्तावेज पेश करने वाले थे. आज इस मामले को लेकर सुप्राम कोर्ट के अधिवक्ता जिला न्यायालय पहुंचे थे, लेकिन एक पक्ष के नहीं पहुंचने से सुनवाई टाल दी गई. बता दें, कि परिसर को मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा 25 सितंबर को कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर है विवाद

श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. इसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री सहित पांच अधिवक्ताओं ने 25 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाल थी. याचिका में परिसर में अवैध रूप से बनी शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग की गई है. बता दें, इस याचिका को लेकर जिला न्यायालय ने प्रतिवादी पक्ष को समन जारी किए गए थे.

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सुप्रीम कोर्ट के वकील ने डाली थी याचिका.

ये है पूरी कहानी

बताया जाता है कि ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनी मल ने इस जगह को खरीदा. 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्मस्थान की दुर्दशा को देखकर दुखी हुए और स्थानीय लोगों ने भी मदन मोहन मालवीय से कहा कि यहां भव्य मंदिर बनना चाहिए. मदन मोहन मालवीय ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को पत्र लिखकर जन्मभूमि पुनर्रुद्वार के लिए पत्र लिखा. 21 फरवरी 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई. 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण जन्मस्थान सोसायटी द्वारा किया गया. 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई. डिक्री रद्द करने की मांग को लेकर अधिवक्ता ने कोर्ट मे याचिका डाली थी.

क्या कहते हैं जानकार

जानकारों का कहना है कि कंस मथुरा का राजा हुआ करता था. श्रीकृष्ण जन्मस्थान का प्राचीन केशव देव मंदिर, जो पूर्व में मलपुरा के नाम से जाना जाता था. चार किलोमीटर का एरिया केशव देव की संपत्ति मानी जाती है. प्राचीन केशव देव मंदिर के पास कंस का कारागार हुआ करता था. 5247 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ. भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र ब्रजनाभ ने उसी स्थान पर केशव देव मंदिर की प्रथम स्थापना की. मुगल साम्राज्य के दौरान औरंगजेब ने 1669 में मंदिर को ध्वस्त कर दिया और शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई गई, जो कि वर्तमान में बनी हुई है. कटरा केशव देव को ही श्रीकृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है.

Last Updated : Nov 18, 2020, 12:55 PM IST
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