ETV Bharat / briefs

बाराबंकी: दो विभागों के बीच फंसी 'सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट' परियोजना

author img

By

Published : Jul 3, 2019, 2:50 PM IST

जनपद में दो साल पहले महत्वाकांक्षी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट परियोजना लगाने की घोषणा की गई थी. अभी तक इस प्लांट की परियोजना भी तैयार नहीं हो पाई है. परियोजना के लिए जिम्मेदार विभाग एक-दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं.

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (फाइल फोटो).

बाराबंकी: पेयजल समस्या दूर करने के लिए दो साल पहले नगर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना बनी थी. तत्कालीन नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने इस योजना को अमल में लाने के निर्देश दिए थे. दो वर्ष बीत जाने के बाद भी प्लांट लगना तो दूर इसकी कार्ययोजना तक नही बन सकी है. यह योजना नगरपालिका और जलनिगम के बीच उलझ कर रह गई है. नाकाम छिपाने के लिए अब दोनों विभाग एक-दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं.

दो साल बाद भी नहीं बन सका सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट.
क्या है पूरा मामला
  • करीब डेढ़ लाख आबादी वाले बाराबंकी शहर में दो साल पहले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का खाका बुना गया था.
  • नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने शहर में पेयजल संकट दूर करने के लिए इस सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के निर्देश दिए थे.
  • निर्देश के बाद नगरपालिका ने कार्यदाई संस्था जलनिगम को इस आशय का पत्र भेजा.
  • जल निगम ने नगरपालिका से एसटीपी के लिए 10 एकड़ जमीन और चार पम्पिंग स्टेशन के लिए 16 सौ वर्ग मीटर जमीन उपलब्ध कराने को कहा था.
  • इसके अलावा डीपीआर यानी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने के लिए 30 लाख रुपयों की भी मांग की गई थी.
  • अब तक नगरपालिका न तो भूमि उपलब्ध करा सकी और न ही धनराशि दे पाई. लिहाजा, योजना पर कोई काम शुरू नही हो सका.
  • जल निगम अधिकारियों ने इस बाबत नगरपालिका प्रशासन को कई बार पत्र भी लिख चुका है.
    etv bharat
    सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (फाइल फोटो).

क्या है एसटीपी यानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

  • सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में नाले नालियों और घर का गंदा पानी विशेष विधि से साफ किया जाता है.
  • इस प्रक्रिया में भौतिक, रासायनिक और जैविक विधियों का प्रयोग किया जाता है.
  • सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिये गंदे पानी को पीने योग्य बनाया जाता है.
  • इसमें चार बड़े तालाब बनाये जाते हैं जिनमें एक के बाद एक जल शोधन होता है.


एसटीपी से लाभ

  • घरों का गंदा पानी नालों से होता हुआ नदियों में गिरता है जिससे नदियां प्रदूषित होती हैं.
  • इस गंदे पानी को साफ करके पीने योग्य बनाया जा सकता है.
  • इसके अलावा इस पानी को फिर से नदियों में छोड़ा जा सकता है.
  • इससे निकले कचरे को खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है.

नगरपालिका को कई बार पत्र लिखा जा चुका है लेकिन कोई सकारात्मकर रुख देखने को नहीं मिला. नगरपालिका के इसी उदासीन रवैये के चलते परियोजना का सर्वे तक नहीं हो सका है.
- के बी गुप्ता, अधिशाषी अभियंता, जल निगम

प्लांट के लिए जमीन तलाशी जा रही है लेकिन जल निगम अधिकारियों ने अभी तक डीपीआर बनाकर भी नहीं दी है. ऐसे में परियोजना की लेटलतीफी के लिए खुद जल निगम जिम्मेदार है.
- संगीता कुमारी, अधिशासी अधिकारी, नगरपालिका

बाराबंकी: पेयजल समस्या दूर करने के लिए दो साल पहले नगर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना बनी थी. तत्कालीन नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने इस योजना को अमल में लाने के निर्देश दिए थे. दो वर्ष बीत जाने के बाद भी प्लांट लगना तो दूर इसकी कार्ययोजना तक नही बन सकी है. यह योजना नगरपालिका और जलनिगम के बीच उलझ कर रह गई है. नाकाम छिपाने के लिए अब दोनों विभाग एक-दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं.

दो साल बाद भी नहीं बन सका सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट.
क्या है पूरा मामला
  • करीब डेढ़ लाख आबादी वाले बाराबंकी शहर में दो साल पहले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का खाका बुना गया था.
  • नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने शहर में पेयजल संकट दूर करने के लिए इस सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के निर्देश दिए थे.
  • निर्देश के बाद नगरपालिका ने कार्यदाई संस्था जलनिगम को इस आशय का पत्र भेजा.
  • जल निगम ने नगरपालिका से एसटीपी के लिए 10 एकड़ जमीन और चार पम्पिंग स्टेशन के लिए 16 सौ वर्ग मीटर जमीन उपलब्ध कराने को कहा था.
  • इसके अलावा डीपीआर यानी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने के लिए 30 लाख रुपयों की भी मांग की गई थी.
  • अब तक नगरपालिका न तो भूमि उपलब्ध करा सकी और न ही धनराशि दे पाई. लिहाजा, योजना पर कोई काम शुरू नही हो सका.
  • जल निगम अधिकारियों ने इस बाबत नगरपालिका प्रशासन को कई बार पत्र भी लिख चुका है.
    etv bharat
    सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (फाइल फोटो).

क्या है एसटीपी यानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

  • सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में नाले नालियों और घर का गंदा पानी विशेष विधि से साफ किया जाता है.
  • इस प्रक्रिया में भौतिक, रासायनिक और जैविक विधियों का प्रयोग किया जाता है.
  • सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिये गंदे पानी को पीने योग्य बनाया जाता है.
  • इसमें चार बड़े तालाब बनाये जाते हैं जिनमें एक के बाद एक जल शोधन होता है.


एसटीपी से लाभ

  • घरों का गंदा पानी नालों से होता हुआ नदियों में गिरता है जिससे नदियां प्रदूषित होती हैं.
  • इस गंदे पानी को साफ करके पीने योग्य बनाया जा सकता है.
  • इसके अलावा इस पानी को फिर से नदियों में छोड़ा जा सकता है.
  • इससे निकले कचरे को खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है.

नगरपालिका को कई बार पत्र लिखा जा चुका है लेकिन कोई सकारात्मकर रुख देखने को नहीं मिला. नगरपालिका के इसी उदासीन रवैये के चलते परियोजना का सर्वे तक नहीं हो सका है.
- के बी गुप्ता, अधिशाषी अभियंता, जल निगम

प्लांट के लिए जमीन तलाशी जा रही है लेकिन जल निगम अधिकारियों ने अभी तक डीपीआर बनाकर भी नहीं दी है. ऐसे में परियोजना की लेटलतीफी के लिए खुद जल निगम जिम्मेदार है.
- संगीता कुमारी, अधिशासी अधिकारी, नगरपालिका

Intro:बाराबंकी ,03 जुलाई । पेयजल की समस्या दूर करने के लिए दो साल पहले नगर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना बनी थी । तत्कालीन नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने इस योजना को अमल में लाने के निर्देश दिए थे । दो वर्ष बीत जाने के बाद भी प्लांट लगना तो दूर इसकी कार्ययोजना तक नही बन सकी । नगरपालिका और जलनिगम के बीच ये योजना उलझ कर रह गई है । कमी को छुपाने के लिए दोनों विभाग एक दूसरे पर आरोप मढ रहे हैं ।


Body:वीओ - करीब डेढ़ लाख आबादी वाले बाराबंकी शहर में दो साल पहले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का खाका बुना गया । यहांआये नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने शहर में पेयजल संकट दूर करने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के निर्देश दिए थे । निर्देश के बाद नगरपालिका ने कार्यदाई संस्था जलनिगम को इस आशय का पत्र भेजा । जल निगम द्वारा नगरपालिका से एसटीपी के लिए 10 एकड़ जमीन और चार पम्पिंग स्टेशन के लिए 16 सौ वर्ग मीटर जमीन उपलब्ध कराने को कहा । साथ ही डीपीआर यानी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने के लिए 30 लाख रुपयों की भी मांग की गई । लेकिन नगरपालिका द्वारा न तो भूमि उपलब्ध कराई जा सकी और न ही धनराशि दी गई । लिहाजा योजना पर कोई काम शुरू नही हो सका । जल निगम अधिकारियों ने इस बाबत नगरपालिका प्रशासन को कई बार पत्र लिखा लेकिन नगरपालिका प्रशासन आज तक जमीन उपलब्ध नही करा सका जिसके चलते ये योजना शुरू होने से पहले ही ठंडे बस्ते में चली गई । जल निगम के अधिशासी अभियंता का कहना है कि कई बार पत्र लिखने के बाद भी अभी तक नगरपालिका ने जमीन नही दी लिहाजा सर्वे नही हो सका ।
बाईट - के बी गुप्ता , अधिशाषी अभियंता जल निगम

वीओ - इस बाबत जब हमने नगर पालिका की अधिशाषी अधिकारी से बात की तो उनका कहना था कि जमीन तलाशी जा रही है । जल निगम अधिकारियों ने अभी डीपीआर बनाकर भी नही दी है ।

बाईट- संगीता कुमारी , अधिशासी अधिकारी नगरपालिका बाराबंकी

क्या है एसटीपी यानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में नाले नालियों और घर का गन्दा पानी विशेष विधि से साफ किया जाता है । पानी साफ करने के लिए भौतिक , रासायनिक और जैविक विधियों का प्रयोग किया जाता है । सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिये गंदे पानी को पीने योग्य बनाया जाता है । इसमें चार बड़े तालाब बनाये जाते हैं जिनमे एक के बाद एक जल शोधन होता है ।

एसटीपी से लाभ

घरों का गन्दा पानी नालों से होता हुआ नदियों में गिरता है जो नदियों को प्रदूषित करता है । इस गंदे पानी को साफ करके पीने योग्य बनाया जा सकता है या फिर इसे नदियों में छोड़ा जा सकता है । इससे निकले कचरे को खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है । बाराबंकी में शहर का सारा पानी जमुरिया नाले में गिरता है ।


Conclusion:नगर में छोटे बड़े दर्जनों नाली नालियां हैं जिनका गन्दा पानी जमुरिया नाले में मिलता है । जमुरिया नाले का ये पानी रेट नदी में गिरता है जिससे नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है । निश्चय ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लग जाने से न केवल नदियों को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है बल्कि पेयजल की समस्या से भी निजात पाई जा सकती है ।
रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
9839421515
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.