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धरी रह गईं महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर बनीं योजनाएं, बंद हुआ सेनेटरी पैड कारखाना - sanitary pad

पिछले महीने स्वास्थ्य विभाग सेनेटरी पैड दिवस मना चुका है, लेकिन धरातल पर जनपद में सेनेटरी पैड के वितरण से लेकर इसे तैयार करने वाली फैक्ट्री चलाने की योजना दम तोड़ रही है. महिलाओं और किशोरियों को सस्ते दर पर सेनेटरी पैड देने की योजना का लाभ उन्हें नही मिल पा रहा.

मशीन खराब होने की वजह से बंद हुआ सेनेटरी पैड बनाने का कारखाना.
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Published : Jun 21, 2019, 1:13 PM IST

बस्ती: महिलाओं के बेहतर स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए जिले के कृष्णा भगवती गांव में सेनेटरी पैड बनाने वाला कारखाना स्थापित किया गया. इस कारखाने में गांव की ही महिलाएं और किशोरियां काम करती थीं. इस कारखाने को लगाने के पीछे खास उद्देश्य कम दाम में बेहतर सेनेटरी पैड उपलब्ध कराना था. वहीं स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते इस कारखाने में लगी मशीनें खराब होने लगीं. इसके बाद न ही किसी ने इसे ठीक कराया और न ही यह कारखाना दोबारा शुरू हो सका.

मशीन खराब होने की वजह से बंद हुआ सेनेटरी पैड बनाने का कारखाना.

क्या है मामला

  • साल 2017-18 में सरकार की ओर से सदर ब्लॉक के कृष्णा भगवती गांव में 22 लाख की लागत से कारखाना स्थापित किया गया था.
  • इस कारखाने को कम दाम में बेहतर सेनेटरी पैड मुहैया कराने के लिए बनवाया गया था.
  • कुछ महीनों चलने के बाद स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण कारखाना बंद कर दिया गया.
  • इसके बाद वहां काम करने वाली महिलाओं के सामने एक बार फिर रोजगार का संकट खड़ा हो गया.
  • ग्रामीणों ने बताया कि सेनेटरी पैड बनाने वाली मशीन का स्टेबिलाइजर खराब होने की वजह से कारखाना बन्द हो गया.
  • स्वच्छ भारत मिशन के तहत लगाए गए कारखाने में काम करने के लिए गांव की महिलाओं और किशोरियों को ही रखा गया था.
  • कारखाने में काम करने वाली महिलाओं को प्रति पैकेट 2 रुपए मिलते थे.

कारखाना जब खोला गया था तब इसमें सब कुछ ठीक था. धीरे-धीरे डिमांड कम होती गई, इसलिए आपूर्ति भी बंद होने लगी. शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग इस विषय पर गंभीर नही थे. कारखाने में रखी सेनेटरी मशीन को चलाने वाला स्टेबलाइजर भी खराब था, जिसे दुरुस्त कर लिया गया है और जल्द ही कारखाना चलने लगेगा.
ब्रम्हचर्य दुबे, जिला पंचायत राज अधिकारी

बस्ती: महिलाओं के बेहतर स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए जिले के कृष्णा भगवती गांव में सेनेटरी पैड बनाने वाला कारखाना स्थापित किया गया. इस कारखाने में गांव की ही महिलाएं और किशोरियां काम करती थीं. इस कारखाने को लगाने के पीछे खास उद्देश्य कम दाम में बेहतर सेनेटरी पैड उपलब्ध कराना था. वहीं स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते इस कारखाने में लगी मशीनें खराब होने लगीं. इसके बाद न ही किसी ने इसे ठीक कराया और न ही यह कारखाना दोबारा शुरू हो सका.

मशीन खराब होने की वजह से बंद हुआ सेनेटरी पैड बनाने का कारखाना.

क्या है मामला

  • साल 2017-18 में सरकार की ओर से सदर ब्लॉक के कृष्णा भगवती गांव में 22 लाख की लागत से कारखाना स्थापित किया गया था.
  • इस कारखाने को कम दाम में बेहतर सेनेटरी पैड मुहैया कराने के लिए बनवाया गया था.
  • कुछ महीनों चलने के बाद स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण कारखाना बंद कर दिया गया.
  • इसके बाद वहां काम करने वाली महिलाओं के सामने एक बार फिर रोजगार का संकट खड़ा हो गया.
  • ग्रामीणों ने बताया कि सेनेटरी पैड बनाने वाली मशीन का स्टेबिलाइजर खराब होने की वजह से कारखाना बन्द हो गया.
  • स्वच्छ भारत मिशन के तहत लगाए गए कारखाने में काम करने के लिए गांव की महिलाओं और किशोरियों को ही रखा गया था.
  • कारखाने में काम करने वाली महिलाओं को प्रति पैकेट 2 रुपए मिलते थे.

कारखाना जब खोला गया था तब इसमें सब कुछ ठीक था. धीरे-धीरे डिमांड कम होती गई, इसलिए आपूर्ति भी बंद होने लगी. शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग इस विषय पर गंभीर नही थे. कारखाने में रखी सेनेटरी मशीन को चलाने वाला स्टेबलाइजर भी खराब था, जिसे दुरुस्त कर लिया गया है और जल्द ही कारखाना चलने लगेगा.
ब्रम्हचर्य दुबे, जिला पंचायत राज अधिकारी

Intro:रिपोर्ट- सतीश श्रीवास्तव
बस्ती यूपी
मो- 9889557333

- और बन्द हो गया सेनेटरी पैड कारखाना

- स्वास्थ्य विभाग पिछले माह सेनेटरी पैड दिवस मना चुका है लेकिन धरातल पर जनपद में सेनेटरी पैड के वितरण से लेकर इसे तैयार करने वाली फैक्ट्री चलाने की योजना दम तोड़ रही है, महिलाओं और किशोरियों को सस्ते दर पर सेनेटरी पैड देने की योजना का लाभ उन्हें नही मिल पाया बल्कि 6 महीना पहले ही महत्वाकांक्षी योजना बन्द हो गयी, पेश है एक रिपोर्ट-

जनपद में सेनेटरी पैड की बेहतर आपूर्ति और सस्ते दामो पर।मुहैया कराने के लिए तत्कालिन सरकार ने 2017-18 सदर ब्लॉक के कृष्णा भगवती गांव में 22 लाख की लागत से कारखाने की स्थापना हुई थी, कुछ महीनों चलने के बाद स्वाथ्य व शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण कारखाने पर ताला लटका गया, ऐसे में वहां काम करने वाली महिलाओं के सामने एक बार फिर रोजगार का संकट खड़ा हो गया, फैक्ट्री को लेकर जब ग्रामीणों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि कारखाना बन्द हो गया क्यों कि सेनेटरी पैड बनाने वाली मशीन का स्टेबिलाइजर खराब हो गया था, और उसे बनवाने में काफी समय लग गया जिस वजह से सेंटर नही चल रहा था, दरअसल जिला पंचायत राज विभाग की तरफ से सस्ते दर पर ग्रामीण महिलाओं, किशोरियों को सेनेटरी पैड उपलब्ध कराने कि योजना की शरुवात हुई, स्वस्छ भारत मिशन के तहत इस योजना को जनपद में लागू किया गया, कारखाने में उन महिलाओं और किशोरियों को रखा गया जो गांव में रहती थी, प्रति पैकेट कारखाने में काम करने वाली महिलाओं को 2 रुपए प्रति पैकेट मिलते है, और बीएसए व सीएमओ की डिमांड के बाद दोनों विभाग में आपूर्ति की जाती है, अब जब कारखाना ही बन्द हो गया तो सरकार की यह योजना धराशायी हो गयी, 





Body:वही जिला पंचायत राज अधिकारी ब्रमचर्य दुबे ने इस बाबत बताया कि कारखाना जब खोला गया था तब इसमें सब कुछ ठीक था, धीरे धीरे डिमांड कम होती गयी, इश्लिये आपूर्ति भी बंद होने लगी, शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग से जब आर्डर मिलता था तो कारखाना चलता था मगर ये दोनों विभाग इस विषय पर गंभीर नही थे, कारखाने में रखी सेनेटरी मशीन को चलाने वाला स्टेबलाइजर भी खराब था साथ ही यहां तैनात कर्मचारी भी निष्क्रिय था जिसे दुरुस्त कर लिया गया है और जल्द ही कारखाना चलने लगेगा।


बस्ती यूपी


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