बहराइच: जिले की संसदीय सुरक्षित सीट पर मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण चुनावी बाजी को पलट सकता है . इस स्थिति को भांप कर सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण अपने पक्ष मे करने के लिए उन पर डोरे डाल रहे हैं .फिलहाल मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण होता नजर नहीं आ रहा है .
मुस्लिम मतदाता भाजपा, कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन के खेमों में जाता नजर आ रहा है. वहीं इस संसदीय सीट पर सपा- बसपा, भाजपा और कांग्रेस में त्रिकोणीय संघर्ष है.
जानिए क्या है बहराइच लोकसभा सीट का त्रिकोणीय संघर्ष
- बहराइच संसदीय सीट पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करते हैं .
- यहां पर 33 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं .
- मुस्लिम मतों को अपने पक्ष में करने के लिए प्रत्याशी उनके दरवाजों पर दस्तक देते नजर आ रहे है .
- आईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी मुस्लिम मतों को एकजुट करने के लिए प्रयास कर चुके हैं
- हालांकि, जानकारों का मानना है कि मुस्लिम मतों का विभाजन होने के बावजूद बड़ा वर्ग सपा बसपा गठबंधन के साथ है .
- राजनीतिक गलियारों में मुस्लिम मतों का बड़ा भाग कांग्रेस और भाजपा में भी जाने की चर्चा गर्म है . इसके पीछे का तर्क है कि बहराइच संसदीय सीट से चार बार भाजपा एक बार जनसंघ और चार बार कांग्रेस प्रत्याशी जीतें हैं.
- इस सीट पर एक बार जनता दल बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी भी जीत चुके हैं .
- यहां के लोगों ने मुद्दों के आधार पर बाहर के प्रत्याशियों को भी विजय श्री का मुकुट पहना कर लोकसभा की दहलीज पर पहुंचाया है.
- जिसमें ओम प्रकाश त्यागी, आरिफ मोहम्मद खान, के.के.नय्यर, मौलाना मुजफ्फर हुसैन और कमल किशोर 'कमांडो' जो गैर जिलों के प्रत्याशी शामिल थे .