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बनारस का गढ़वा घाट मठ, पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी और मुलायम तक टेकते हैं मत्था - पीएम मोदी

बनारस का गढ़वा घाट मठ के अपने ही अलग सियासी मायने हैं. यहां समय-समय पर देश के बड़े-बड़े नेता पहुंचकर अपना वोट साधने की कोशिश करते हैं. आइए जानते हैं क्यों इतना खास है यह मठ.

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Published : May 10, 2019, 3:05 PM IST

वाराणसी: जब चुनाव आता है तो हर पार्टी धर्म और राजनीति को एक साथ लेकर चलने लगती है. हर पार्टी की एक कोशिश होती है कि धर्म के जरिए वोट बैंक एक तरफा उनके पक्ष में आ जाए. कुछ ऐसी ही चाल बनारस में इन दिनों देखने को मिल रही है. जहां पर यादव वोट बैंक का गढ़ कहे जाने वाले गढ़वा घाट मठ पर हर पार्टी अपनी नजरें गड़ाए हुई है. एक दिन पहले ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह दूसरी बार इस मठ पर पहुंचे हैं.

जानकारी देते मठ के प्रबंधक.
  • मार्च 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मठ में आए थे. यहां पर मठ के महंत स्वामी शरणानंद जी महाराज से मुलाकात कर प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे आशीर्वाद मांगा था.
  • अब अमित शाह ने यहां पहुंचकर दर्शन पूजन गौ सेवा कर लोकसभा चुनाव के बचे दो चरणों में पूर्वांचल में जातिगत समीकरण के आधार पर वोट बैंक को साधने की कोशिश की है.

गढ़वा घाट के सियासी मायने

  • भगवान कृष्ण के वंशजों ज्ञानी यादव समुदाय से जुड़े इस मठ से पूर्वांचल के यादव वोटर्स की गहरी आस्था है.
  • ऐसा माना जाता है इस मठ के महंत का आशीर्वाद जिस सियासी दल को मिल जाता है वह उत्तर प्रदेश जीतने में कामयाब हो जाता है.
  • शायद यही वजह है कि इस मठ में पहुंचकर अमित शाह बीजेपी को बड़ी कामयाबी दिलवाने की कोशिश कर रहे हैं.

आखिर यह मत यादव वोट बैंक के लिए इतना खास क्यों

  • समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव हो या फिर उनके भाई शिवपाल या मुलायम सिंह के बेहद खास रह चुके अमर सिंह हमेशा से इस मठ से खास जुड़ाव हो रहा है.
  • समय-समय पर इस मठ में पहुंचकर समाजवादी पार्टी के नेताओं ने अपने पारंपरिक वोट बैंक को बनाए रखने की कोशिश की है.
  • खुद किस्मत के प्रबंधक स्वामी प्रकाश ध्यानानंद का कहना है कि जब किसी को फायदा होता है तो वह आता ही है.
  • हम संत हैं हमको इन सब चीजों से कुछ लेना-देना नहीं हम तो आशीर्वाद देते हैं जो श्रद्धा से आएगा वह आशीर्वाद पाएगा.

गढ़वा घाट मठ है बेहद खास

  • आश्रम में श्री श्री 1008 आत्मा विवेकानंद जी महाराज की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने से लेकर यहां मौजूद गौशाला में गायों को चारा खिलाने तक का काम यहां पहुंचकर बड़े से बड़े नेता करते हैं.
  • 1930 में शुरू हुए इस मठ से पूर्वांचल के यादवों का बहुत गहरा लगाव है यहां पर जबरदस्त भीड़ उमड़ती है जिनमें से अधिकांश संख्या यादवों की होती है.
  • इसी वजह से हर पार्टी इस मठ पर मत्था टेककर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करना चाहती है.
  • ऐसा इसलिए भी की 12 तारीख को एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने पिता की विरासत को आजमगढ़ में बचाने का प्रयास करने वाले हैं.
  • वहीं बीजेपी भी दिनेश लाल यादव को यहां से मैदान में उतारकर चुनावी रण को जीतने का प्रयास कर रही है.
  • जिसके कारण मठ मंदिरों में आकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मत्था टेक रहे हैं.
  • वाराणसी का यह मठ हर नेता के लिए बेहद खास है और चुनावी दौर में इस मठ के मायने और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाते हैं.

वाराणसी: जब चुनाव आता है तो हर पार्टी धर्म और राजनीति को एक साथ लेकर चलने लगती है. हर पार्टी की एक कोशिश होती है कि धर्म के जरिए वोट बैंक एक तरफा उनके पक्ष में आ जाए. कुछ ऐसी ही चाल बनारस में इन दिनों देखने को मिल रही है. जहां पर यादव वोट बैंक का गढ़ कहे जाने वाले गढ़वा घाट मठ पर हर पार्टी अपनी नजरें गड़ाए हुई है. एक दिन पहले ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह दूसरी बार इस मठ पर पहुंचे हैं.

जानकारी देते मठ के प्रबंधक.
  • मार्च 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मठ में आए थे. यहां पर मठ के महंत स्वामी शरणानंद जी महाराज से मुलाकात कर प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे आशीर्वाद मांगा था.
  • अब अमित शाह ने यहां पहुंचकर दर्शन पूजन गौ सेवा कर लोकसभा चुनाव के बचे दो चरणों में पूर्वांचल में जातिगत समीकरण के आधार पर वोट बैंक को साधने की कोशिश की है.

गढ़वा घाट के सियासी मायने

  • भगवान कृष्ण के वंशजों ज्ञानी यादव समुदाय से जुड़े इस मठ से पूर्वांचल के यादव वोटर्स की गहरी आस्था है.
  • ऐसा माना जाता है इस मठ के महंत का आशीर्वाद जिस सियासी दल को मिल जाता है वह उत्तर प्रदेश जीतने में कामयाब हो जाता है.
  • शायद यही वजह है कि इस मठ में पहुंचकर अमित शाह बीजेपी को बड़ी कामयाबी दिलवाने की कोशिश कर रहे हैं.

आखिर यह मत यादव वोट बैंक के लिए इतना खास क्यों

  • समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव हो या फिर उनके भाई शिवपाल या मुलायम सिंह के बेहद खास रह चुके अमर सिंह हमेशा से इस मठ से खास जुड़ाव हो रहा है.
  • समय-समय पर इस मठ में पहुंचकर समाजवादी पार्टी के नेताओं ने अपने पारंपरिक वोट बैंक को बनाए रखने की कोशिश की है.
  • खुद किस्मत के प्रबंधक स्वामी प्रकाश ध्यानानंद का कहना है कि जब किसी को फायदा होता है तो वह आता ही है.
  • हम संत हैं हमको इन सब चीजों से कुछ लेना-देना नहीं हम तो आशीर्वाद देते हैं जो श्रद्धा से आएगा वह आशीर्वाद पाएगा.

गढ़वा घाट मठ है बेहद खास

  • आश्रम में श्री श्री 1008 आत्मा विवेकानंद जी महाराज की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने से लेकर यहां मौजूद गौशाला में गायों को चारा खिलाने तक का काम यहां पहुंचकर बड़े से बड़े नेता करते हैं.
  • 1930 में शुरू हुए इस मठ से पूर्वांचल के यादवों का बहुत गहरा लगाव है यहां पर जबरदस्त भीड़ उमड़ती है जिनमें से अधिकांश संख्या यादवों की होती है.
  • इसी वजह से हर पार्टी इस मठ पर मत्था टेककर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करना चाहती है.
  • ऐसा इसलिए भी की 12 तारीख को एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने पिता की विरासत को आजमगढ़ में बचाने का प्रयास करने वाले हैं.
  • वहीं बीजेपी भी दिनेश लाल यादव को यहां से मैदान में उतारकर चुनावी रण को जीतने का प्रयास कर रही है.
  • जिसके कारण मठ मंदिरों में आकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मत्था टेक रहे हैं.
  • वाराणसी का यह मठ हर नेता के लिए बेहद खास है और चुनावी दौर में इस मठ के मायने और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाते हैं.
Intro:स्पेशल:

एंकर: वाराणसी: जब चुनाव आता है तो हर पार्टी धर्म और राजनीति को एक साथ लेकर चलने लगती है हर पार्टी की एक कोशिश होती है कि अपनी राजनैतिक विशाल पर धर्म के जरिए ऐसी चाल चली जाए कि वोट बैंक एक तरफा उनके पक्ष में आ जाए और कुछ ऐसी ही चाल बनारस में इन दिनों देखने को मिल रही है जहां पर यादव वोट बैंक का गढ़ कहे जाने वाले गढ़वा घाट मठ पर हर पार्टी अपनी नजरें गड़ाए हुई है जिसकी जीती जागती मिसाल खुद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की 1 दिन पहले स्मार्ट में मौजूदगी के बाद देखने को मिली अमित शाह इस मठ में दूसरी बार पहुंचे लेकिन इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में मठ में आकर संतों से मुलाकात कर उस राजनैतिक चाल को चलने का काम किया था जिसने शायद 2017 में यादव वोट बैंक की पारंपरिक पार्टी कही जाने वाली समाजवादी पार्टी को पछाड़कर बीजेपी को यूपी की सत्ता दिलाई थी और कुछ ऐसे ही प्रयास इस बार भी बीजेपी ने किए हैं खुद अमित शाह और इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मठ में पहुंचकर पूर्वांचल में यादव वोट बैंक को बीजेपी के पक्ष में करने की कोशिश की है लेकिन यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर यह मत है तो धार्मिक लेकिन राजनीतिक दृष्टि से इसके मायने क्यों इतने खास हैं.

ओपनिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र


Body:वीओ-01 मार्च 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मठ में आए थे यहां पर मठ के महंत स्वामी शरणानंद जी महाराज से मुलाकात कर प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे आशीर्वाद मांगा था और अब अमित शाह ने यहां पहुंचकर दर्शन पूजन गौ सेवा कर संतों से मुलाकात करते हुए लोकसभा चुनाव के 2 चरणों में पूर्वांचल की जातिगत समीकरण के आधार पर वोट बैंक को साधने की कोशिश की है यह जानना बेहद जरूरी है कि गढ़वा घाट के सियासी मायने आखिर क्या है भगवान कृष्ण के वंशजों ज्ञानी यादव समुदाय से जुड़े इस मठ से पूर्वांचल के यादव वोटर्स की गहरी आस्था है ऐसा माना जाता है इस मठ के महंत का आशीर्वाद जिस सियासी दल को मिल जाता है वह उत्तर प्रदेश जीतने में कामयाब हो जाता है शायद यही वजह है कि इस मठ में पहुंचकर अमित शाह बीजेपी को बड़ी कामयाबी दिलवाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह जानना भी बेहद जरूरी है कि आखिर यह मत यादव वोट बैंक के लिए इतना खास क्यों है इसकी बड़ी वजह यह है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव हो या फिर उनके भाई शिवपाल या मुलायम सिंह के बेहद खास रह चुके अमर सिंह हमेशा से इस मठ से इन 3 बड़े नेताओं का खास जुड़ा हो रहा है समय-समय पर इस मठ में पहुंचकर समाजवादी पार्टी के नेताओं ने अपने पारंपरिक वोट बैंक को बनाए रखने की कोशिश की है. खुद किस्मत के प्रबंधक स्वामी प्रकाश ध्यानानंद का कहना है की जब किसी को फायदा होता है तो वह आता ही है लेकिन हम संत हैं हमको इन सब चीजों से कुछ लेना-देना नहीं हम तो आशीर्वाद देते हैं जो श्रद्धा से आएगा वह आशीर्वाद पाएगा.

बाईट- स्वामी प्रकाश ध्यानानंद, प्रबंधक, गड़वाघाट मठ


Conclusion:वीओ-02 यही वजह है कि आश्रम में श्री श्री 1008 आत्मा विवेकानंद जी महाराज की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने से लेकर यहां मौजूद गौशाला में गायों को चारा खिलाने तक का काम यहां पहुंचकर बड़े से बड़े नेता करते हैं 1930 में शुरू हुए इस मठ से पूर्वांचल के यादवों का बहुत गहरा लगाव है यहां पर जबरदस्त भीड़ उमड़ ती है जिनमें से अधिकांश संख्या यादवों की होती है जिसकी वजह से हर पार्टी इस मठ पर मत्था टेककर अपना राजनैतिक उल्लू सीधा करना चाहती है ऐसा इसलिए भी की 12 तारीख को एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने पिता की विरासत को आजमगढ़ में बचाने का प्रयास करने वाले हैं वहीं बीजेपी भी दिनेश लाल यादव को यहां से मैदान में उतारकर चुनावी रण को जीतने का प्रयास कर रही है जिसके कारण मठ मंदिरों में आकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मत्था टेक रहे हैं शायद यही वजह है कि वाराणसी का यह मठ हर नेता के लिए बेहद खास है और चुनावी दौर में इस मठ के मायने और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाते हैं.

क्लोजिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र

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