इटावा : उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के जसवंतनगर इलाके में हनुमान जी का प्रसिद्ध, चमत्कारिक और रहस्यमयी मंदिर हैं. चमत्कारिक और रहस्यमयी इसलिए क्योंकि यहां पर हनुमान जी दूध पीते हैं. इतना ही नहीं वह लड्डू, केला आदि चीजों का भी भोग करते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि जब यहां पर हनुमान जी को दूध और पानी को मिलाकर भोग लगाते हैं तो दूध तो अंदर चला जाता है, लेकिन पानी बाहर निकल जाता है. कई कोशिशों के बावजूद इस रहस्य की गुत्थी को अभी तक सुलझाया नहीं जा सका है.
ऐतिहासिक है मंदिर
इटावा के जसवंतनगर इलाके में स्थित यह हनुमान जी का दिव्य मंदिर पिलुआ महावीर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि महाभारत काल में हनुमान जी की इस मूर्ति को भीम ने प्राण प्रतिष्ठित कराया था. दरअसल, बताया जाता है कि महाभारत में पांच पांडवों में से एक भीम को एक बार युद्ध के दौरान युद्ध भूमि से भागना पड़ा था. ऐसी मान्यता है कि इसी स्थान पर हनुमान जी ने भीम को बल प्रदान कर युद्ध भूमि में वापस भेजा था. युद्ध जीतने के बाद भीम ने हनुमान जी मूर्ति की स्थापना की थी.
यह भी मान्यता
इस मंदिर के गेट पर शनि देव जी का भी मंदिर है. ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त पिलुआ महावीर की पूजा अर्चना करने का बाद शनि देव महाराज की पूजा नहीं करता तो हनुमान जी उस भक्त की पूजा स्वीकार नहीं करते हैं.
क्या कहते हैं पुजारी
महाभारत काल में युद्ध के दौरान जरासन्ध से युद्ध करते समय भीम की शक्ति क्षीण होने लगी तो वे युद्ध छोड़कर भागने लगे. इटावा के इसी निर्जन स्थान पर भीम की भेंट हनुमान जी से हो गई. इस समय भीम के पास हनुमान जी का भोग लगाने के लिए कुछ नहीं था. भीम ने हनुमान जी को यमुना के जल से भोग लगाया था. भीम की इस आत्मीयता से हनुमान जी प्रसन्न हो गए और उन्होंने अपना बल भीम को प्रदान कर उन्हें वापस युद्ध लड़ने के लिये भेजा. युद्ध जीतने के बाद भीम ने हनुमान जी मूर्ति की स्थापना की थी और हनुमान जी से वर मांगा कि आपके इस स्थान और जो भी भक्त आए तो उसकी मनोकामना पूर्ण हो.
महाभारत काल में मिलता है इटावा का उल्लेख
उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के महाभारत काल में काफी उल्लेख है. महाभारत काल में इटावा को इष्टिकापुरी के नाम से जाना जाता था. माना जाता है कि अपना पूरा अज्ञातवास पांडवो ने इटावा के जंगलों में ही व्यतीत किया था. इटावा के इसी जंगल मे हनुमान जी की दिव्य, चमत्कारिक मूर्ति स्थित है.
दूर-दूर से आते हैं भक्त
इस स्थान पर हनुमान जी के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं. ऐसी मान्यताएं हैं कि यहां पर सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
नहीं सुलझ पाई गुत्थी
यहां पर जब हनुमान जी के को जब दूध और पानी का भोग लगाया जाता है तो हनुमान जी की यह मूर्ति सिर्फ उसमें जितना दूध होता है उसे मुख के भीतर जाने देती है, जबकि पानी मुख से बाहर आ जाता है. ऐसा क्यों होता है और यह दूध कहां जाता है यह अभी तक रहस्य बना हुआ है.