वाराणसी: काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है. पुराणों में मान्यता है कि काशी में मरने से मोक्ष प्राप्त होता है. आज भी लोग मोक्ष की चाह में काशी आते हैं. वाराणसी में एक ऐसी जगह है, जहां लोग लंबे वक्त से रहकर मोक्ष का इंतजार कर रहे हैं.
आज भी देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने से बहुत लोग मोक्ष की चाह में काशी आते हैं. वाराणसी के अस्सी घाट पर मुमुक्षु भवन नाम से एक भव्य भवन मौजूद है. यहां गृहस्थ और सन्यासी इस भवन में आकर अपने प्राणों को त्यागकर मोक्ष की प्राप्ति करते हैं.
काशी है मोक्ष की नगरी
1920 में एक व्यापारी पंडित घनश्याम दत्त ने लगभग 5 एकड़ में इस भव्य भवन का निर्माण करवाया. 55 कमरों वाले इस भव्य भवन की खासियत है कि यहां पर दूर-दूर से लोग काशी प्रवास के लिए आते हैं. लंबे वक्त तक यहां रहते हुए अपने प्राणों को त्यागकर मोक्ष की प्राप्ति करते हैं.
मुमुक्षु भवन के मैनेजर मनीष पांडेय का कहना है कि मुमुक्षु का अर्थ मोक्ष की चाह ही होता है और इसलिए ही इस जगह का नाम मुमुक्षु रखा गया है. उन्होंने बताया कि यहां पर 70 से ज्यादा ऐसे दंपति हैं, जो काशी में रहकर मोक्ष का इंतजार कर रहे हैं.
मनीष पांडेय का कहना है कि यहां रहने वाले लोगों से कमरे का कोई शुल्क नहीं लिया जाता. उनकी जो इच्छा होती है वह संस्था को अपनी तरफ से दे सकते हैं. बहुत से लोग यहां 5 से 7 साल से रह रहे हैं तो कुछ ऐसे लोग भी हैं जो 15 साल से भी ज्यादा वक्त से यहां आ रहे हैं.
लोगों को दिया जाता है नि:शुल्क भोजन
मुमुक्षु भवन में जो लोग रहते हैं, संस्था की तरफ से उनके खाने-पीने की व्यवस्था नि:शुल्क की जाती है. यहां रहने वाले लोगों को काशी प्रवास के दौरान किसी तरह की दिक्कत न हो इसका भी ध्यान रखा जाता है. लोग जब यहां रहते हुए अपना शरीर छोड़ देते हैं यानी मोक्ष की प्राप्ति कर लेते हैं. तब इनके परिवार वालों को इसकी सूचना दे दी जाती है.
काशी में शांति और सुकून की तलाश के लिए भी बहुत से लोग आते हैं. ऐसे ही हैदराबाद के रहने वाले नारायण भी हैं. नारायण पत्नी के साथ 8 सालों से मुमुक्षु भवन में रह रहे हैं. उनका कहना है कि काशी में मोक्ष के साथ शांति और सुकून की तलाश में यहां आया हूं.
वहीं बनारस की 80 साल की सरस्वती अग्रवाल भी 9 सालों से इस भवन में रह रही हैं. उनका कहना है कि उनके घर को लोगों ने धोखे से हड़प लिया रहने की कोई जगह नहीं थी इसलिए यहां आ गई अब इंतजार सिर्फ मौत का है यानी कुल मिलाकर कहा जाए तो काशी का यह भवन उन लोगों के लिए ही है जो मोक्ष की चाह में काशी में आकर मौत का इंतजार कर रहे हैं.