सीतापुर: 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य और महर्षि दधीचि की कर्मभूमि मिश्रित को आज भी विकास की दरकार है. यहां पूरे देश के तीर्थयात्री आते हैं, लेकिन अब तक इस तीर्थ को पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल सका है. सड़क, स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी यहां पूरी तरह से टोटा है, जिससे यहां का मतदाता बेहद निराश और मायूस है.
- मिश्रित संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नैमिषारण्य और मिश्रित तीर्थ का काफी धार्मिक महत्व है. यहां प्रतिमाह अमावस्या को मेला लगता है और दोनों नवरात्र पर लाखों श्रद्धालु ललिता देवी मंदिर का दर्शन-पूजन करने यहां आते हैं.
- यहां होली के ठीक पहले 15 दिन तक 84 कोस की परिक्रमा का भी आयोजन होता है, लेकिन इस सबके बावजूद यह पूरा क्षेत्र आज भी तमाम सुविधाओं से वंचित है.
- ईटीवी की टीम ने जब लोकसभा चुनाव को लेकर यहां के मतदाताओं की नब्ज टटोली तो उन्होंने बताया कि हर चुनाव में प्रत्याशी विकास के वायदे तो करते हैं, लेकिन चुनाव का दौर गुजर जाने के बाद वे इस पर ध्यान नहीं देते.
- इसके चलते आज भी यह तीर्थनगरी तमाम जरूरी सुविधाओं से वचिंत है. यहां आने-जाने के यातायात के लिए समुचित साधन नहीं है. न तो उच्च शिक्षा के लिए कोई व्यवस्था है,
ग्रामीण क्षेत्र से शहरी इलाके को जोड़ने वाली लिंक रोडों की हालत भी खस्ता है,साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर सिर्फ एक ही सीएचसी और पीएचसी है.यहां के मतदाताओं का कहना है कि इस बार वह विकास के नाम पर ही अपना मतदान करेंगे.