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संग्रहालय बनने के बाद भी बेशकीमती मूर्तियां पड़ी हैं उपेक्षित

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Published : Mar 16, 2019, 10:52 AM IST

शिवद्वार क्षेत्र जिसे गुप्त काशी के नाम से भी जाना जाता है, इस इलाके में 8वीं और 11वीं शताब्दी के बीच की काले पत्थरों की बेशकीमती मूर्तियां मौजूद हैं. सरकारी उपेक्षा के कारण आज भी मूर्तियां गांवों में खेतों में बिखरी पड़ी हैं.

संग्रहालय खंडहर में तब्दील

सोनभद्र :प्रदेश की योगी सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अपने अंतरिम बजट में विंध्य क्षेत्र और भगवान श्रीराम के प्रमुख स्थलों का विकास करने के लिए भारी भरकम बजट आवंटित किया है. वहीं सूबे के अंतिम छोर पर स्थित जिला सोनभद्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं होने के बावजूद भी यहां का पर्यटन विकास के लिए सरकार की कृपा पाने का इंतजार कर रहा है.

सरकार की उपेक्षा का आलम यह है कि गुप्त काशी के नाम से जाना जाने वाला शिवद्वार के पास लगभग 45 लाख रुपये की लागत से तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 2005 मेंसंग्रहालय काशिलान्यास किया था. 3 दिसंबर 2009 में बसपा के शासनकाल में 11वें वित्त आयोग योजना अंतर्गत सांस्कृतिक विभाग मंत्री सुभाष पांडेय ने इस संग्रहालय का शुभारम्भ भी किया था, लेकिन सरकारी उदासीनता की वजह से आज यह शिवद्वार खंडहर में तब्दील हो गया है. इस कारण यहां पर कोई भी पर्यटक आने को तैयार नहीं है. यही कारण है कि यहां के आदिवासी एक तरफ बेरोजगार पड़े हुए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ पर्यटक नहीं आने से लाखों के राजस्व का नुकसान भी हो रहा है.

संग्रहालय बनने के बाद भी सैकड़ों मूर्तियां पड़ी हैं उपेक्षित.

जनपद सोनभद्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, जिसमें विजयगढ़ दुर्ग, अगोरी किला, फासिल्स, ओम पर्वत, शिवद्वार का ऐतिहासिक मंदिर, शिवद्वार के पास बना संग्रहालय, ब्लैकवक घाटी, इको वैली, भित्ति चित्र समेत कई स्थल हैं. इनका विकास हो जाय तो एक तरफ जनपद में सैलानियों के आने से युवाओं को रोजगार मिलेगा तो वहीं दूसरी तरफ सरकार को लाखों रुपये का राजस्व मिलेगा.

शिवद्वार मंदिर के पास लगभग 45 लाख की लागत से बसपा के शासन काल में संग्रहालय तो बन गया, लेकिन उसमें 8वी शताब्दी से लेकर 11वी शताब्दी के बीच की सैकड़ों मूर्तियां नहीं पहुंच सकी हैं. इस संबंध में स्थानीय लोगों ने बताया कि इस संग्रहालय का लोकार्पण 45 लाख की लागत से बसपा के शासन काल में किया गया था, ताकि बिखरी बेशकीमती काले पत्थरों की मूर्तियों को संजोकर रखा जा सके, लेकिन दुर्भाग्य कहे या स्थानीय प्रशासन की लापरवाही कि पूरा संग्रहालय खंडहर में तब्दील हो गया है.

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संग्रहालय खंडहर में तब्दील

चार-चार राज्यों की सीमाओं पर बसे जनपद सोनभद्र में पर्यटन विभाग द्वारा कई संग्रहालय बनवाये गए हैं लेकिन स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही व देख-रेख की कमी के कारण सभी खण्डहर में तब्दील होते जा रहे हैं. जिससे पर्यटकों के आने की संभावनाएं न के बराबर हो गई है. अगर इन संग्रहालयों समेत पर्यटक स्थलों का विकास किया जाए तो निश्चित तौर पर जनपद के राजस्व बढ़ेगा और बेरोजगारों को रोजगार की संभावनाएं बढ़ेगी.

वही जब उपेक्षित संग्रहलय के बारे में सदर विधायकभूपेश चौबे से बात किया गया तो उनका कहना था कि जो संग्रहालय बने है उसमें मूर्तियां रखी गई हैं आप लोग द्वारा जानकारी मिली है निश्चित रूप से उस क्षेत्र में भी काम किया जाएगा. पर्यटन को बढ़ावा देने की लिए हमारी सरकार लगातार काम कर रही है.

इस पूरे मामले पर अपर जिलाधिकारी योगेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि संग्रहालय की देख-रेख का काम पुरातत्व विभाग है लेकिन अगर देख-रेख की अभाव में अगर संग्रहालय की स्थिति सही नही जैसा कि आपके द्वारा बताया जा रहा है तो पुरातत्व विभाग से बात करके दबाव डाला जाएगा कि शीघ्र ही उसका जीर्णोद्धार कराया जाए.

सोनभद्र :प्रदेश की योगी सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अपने अंतरिम बजट में विंध्य क्षेत्र और भगवान श्रीराम के प्रमुख स्थलों का विकास करने के लिए भारी भरकम बजट आवंटित किया है. वहीं सूबे के अंतिम छोर पर स्थित जिला सोनभद्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं होने के बावजूद भी यहां का पर्यटन विकास के लिए सरकार की कृपा पाने का इंतजार कर रहा है.

सरकार की उपेक्षा का आलम यह है कि गुप्त काशी के नाम से जाना जाने वाला शिवद्वार के पास लगभग 45 लाख रुपये की लागत से तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 2005 मेंसंग्रहालय काशिलान्यास किया था. 3 दिसंबर 2009 में बसपा के शासनकाल में 11वें वित्त आयोग योजना अंतर्गत सांस्कृतिक विभाग मंत्री सुभाष पांडेय ने इस संग्रहालय का शुभारम्भ भी किया था, लेकिन सरकारी उदासीनता की वजह से आज यह शिवद्वार खंडहर में तब्दील हो गया है. इस कारण यहां पर कोई भी पर्यटक आने को तैयार नहीं है. यही कारण है कि यहां के आदिवासी एक तरफ बेरोजगार पड़े हुए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ पर्यटक नहीं आने से लाखों के राजस्व का नुकसान भी हो रहा है.

संग्रहालय बनने के बाद भी सैकड़ों मूर्तियां पड़ी हैं उपेक्षित.

जनपद सोनभद्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, जिसमें विजयगढ़ दुर्ग, अगोरी किला, फासिल्स, ओम पर्वत, शिवद्वार का ऐतिहासिक मंदिर, शिवद्वार के पास बना संग्रहालय, ब्लैकवक घाटी, इको वैली, भित्ति चित्र समेत कई स्थल हैं. इनका विकास हो जाय तो एक तरफ जनपद में सैलानियों के आने से युवाओं को रोजगार मिलेगा तो वहीं दूसरी तरफ सरकार को लाखों रुपये का राजस्व मिलेगा.

शिवद्वार मंदिर के पास लगभग 45 लाख की लागत से बसपा के शासन काल में संग्रहालय तो बन गया, लेकिन उसमें 8वी शताब्दी से लेकर 11वी शताब्दी के बीच की सैकड़ों मूर्तियां नहीं पहुंच सकी हैं. इस संबंध में स्थानीय लोगों ने बताया कि इस संग्रहालय का लोकार्पण 45 लाख की लागत से बसपा के शासन काल में किया गया था, ताकि बिखरी बेशकीमती काले पत्थरों की मूर्तियों को संजोकर रखा जा सके, लेकिन दुर्भाग्य कहे या स्थानीय प्रशासन की लापरवाही कि पूरा संग्रहालय खंडहर में तब्दील हो गया है.

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संग्रहालय खंडहर में तब्दील

चार-चार राज्यों की सीमाओं पर बसे जनपद सोनभद्र में पर्यटन विभाग द्वारा कई संग्रहालय बनवाये गए हैं लेकिन स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही व देख-रेख की कमी के कारण सभी खण्डहर में तब्दील होते जा रहे हैं. जिससे पर्यटकों के आने की संभावनाएं न के बराबर हो गई है. अगर इन संग्रहालयों समेत पर्यटक स्थलों का विकास किया जाए तो निश्चित तौर पर जनपद के राजस्व बढ़ेगा और बेरोजगारों को रोजगार की संभावनाएं बढ़ेगी.

वही जब उपेक्षित संग्रहलय के बारे में सदर विधायकभूपेश चौबे से बात किया गया तो उनका कहना था कि जो संग्रहालय बने है उसमें मूर्तियां रखी गई हैं आप लोग द्वारा जानकारी मिली है निश्चित रूप से उस क्षेत्र में भी काम किया जाएगा. पर्यटन को बढ़ावा देने की लिए हमारी सरकार लगातार काम कर रही है.

इस पूरे मामले पर अपर जिलाधिकारी योगेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि संग्रहालय की देख-रेख का काम पुरातत्व विभाग है लेकिन अगर देख-रेख की अभाव में अगर संग्रहालय की स्थिति सही नही जैसा कि आपके द्वारा बताया जा रहा है तो पुरातत्व विभाग से बात करके दबाव डाला जाएगा कि शीघ्र ही उसका जीर्णोद्धार कराया जाए.

Intro:स्पेशल स्टोरी-

Anchor- प्रदेश की योगी सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अपने अंतरिम बजट में विंध्य क्षेत्र और भगवान श्री राम के प्रमुख स्थलों का विकास करने के लिए भारी भरकम बजट आवंटित किया है तो वही सूबे के अंतिम छोर पर स्थित जिला सोनभद्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं होने के बावजूद भी यहाँ का पर्यटन विकास सरकार की कृपा पाने के लिए इंतजार कर रहा है ।सरकार की उपेक्षा का आलम यह है कि गुप्त काशी के नाम से जाना जाने वाला शिवद्वार के पास लगभग 45 लाख रुपये की लागत से तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 2005 ई0 में शिलान्यास किया था और 3 दिसंबर वर्ष 2009 में बसपा के शासनकाल में 11 वें वित्त आयोग योजना अंतर्गत सांस्कृतिक विभाग मंत्री सुभाष पांडेय ने इस संग्रहालय का शुभारम्भ किया था। लेकिन सरकारी उदासीनता की वजह से आज यह खंडहर में तब्दील हो गया है जिसके कारण यहां पर कोई पर्यटक आने को तैयार नहीं है यही कारण है कि यहां के आदिवासी एक तरफ बेरोजगार पड़े हुए हैं तो वही दूसरी तरफ पर्यटक नही आने से लाखों के राजस्व का नुकसान भी हो रहा है।




Body:Vo1-बताते चले कि शिवद्वार क्षेत्र जिसे गुप्त काशी के नाम से भी जाना जाता है इस इलाके में 8वीं और 11 वीं शताब्दी के बीच की काले पत्थरो की बेशकीमती मूर्तियां मौजूद है लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण आज भी मूर्तियां गांवो में खेतों में बिखरी पड़ी है। जनपद सोनभद्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं है जिसमे विजयगढ़ दुर्ग,अगोरी किला,फासिल्स,ओम पर्वत,शिवद्वार का ऐतिहासिक मंदिर,शिवद्वार के पास बना संग्रहालय,ब्लैक वक घाटी,इको बैली,भित्ति चित्र समेत अनेक स्थल है जिनका विकास हो जाय तो एक तरफ जनपद में सैलानियों के आने से युवाओं को रोजगार मिलेगा तो वही दूसरी तरफ सरकार को लाखों रुपये राजस्व मिलेगा।लेकिन इसे जनपद के दुर्भाग्य कहे या अधिकारियों की लापरवाही।शिवद्वार मंदिर के पास लगभग45 लाख की लागत से सपा के शासन काल मे संग्रहल तो बन गया लेकिन उसमें 8वी शताब्दी से लेकर 11 वी शताब्दी के बीच की खेतो और गांवो में बिखरी मूर्तियां नही पहुच सकी जिसके कारण संग्रहालय विल्कुल ही खंडहर में तब्दील हो गया है।यही कारण है कि कोई पर्यटक आने को तैयार नही है। इस संबंध में स्थानीय लोगो ने बताया कि इस संग्रहल का लोकार्पण 45 लाख की लागत से सपा के शासन काल मे किया गया था ताकि ओर इलाके में विखरी बेसकीमती काले पत्थरो की मूर्तियों को रखा जा सके लेकिन दुर्भाग्य कहे या स्थानीय प्रशासन की लापरवाही पूरा संग्रहालय खंडहर में तब्दील हो गया है।

Byte-हिमांशु पाठक(स्थानीय)

Vo2-चार राज्यो की सीमाओं पर बसे जनपद सोनभद्र में पर्यटन विभाग द्वारा कई संग्रहालय बनवाये गए है लेकिन स्थानीय अधिकारियो की लापरवाही व देख रेख की कमी के कारण सभी खण्डहर में तब्दील होते जा रहे है जिससे पर्यटकों के आने की संभावनाएं न के बराबर है अगर इन संग्रहालयों समेत पर्यटक स्थलों का विकास किया जाय तो निश्चित तौर पर जनपद के राजस्व बढ़ेगा और बेरोजगारों को रोजगार की संभावनाएं बढ़ेगी।इस संबंध में स्थानीय लीगो ने बताया 2005 में क्षेत्र में बिखरी मूर्तियों को रखने के लिए यह संग्रहालय बनवाया गया था जिसमे ना ही मूर्तियों को रखा गया है ना ही पर्यटक आते है संग्रहालय के बाहर से ताला लगा रहता है।

Byte-स्वाती पाठक(स्थानीय)






Conclusion:Vo3-वही जब उपेक्षित संग्रहलय के बारे में सदर विधायक से बात किया गया तो उनका कहना था कि जो संग्रहालय बने है उसमें मूर्तियां रखी गयी है आपलोग द्वारा जानकारी मिली है निश्चित रूप से उस क्षेत्र में भी काम किया जाएगा।पर्यटन को बढ़ावा देने की लिए हमारी सरकार लगातार काम कर रही है।

Byte-भूपेश चौबे(सदर विधायक)

Vo4-वही इस पूरे मामले पर अपर जिलाधिकारी ने बताया कि संग्रहालय की देख-रेख का काम पुरातत्व विभाग है लेकिन अगर देख रेख की अभाव में अगर संग्रहालय की स्थिति सही नही जैसा कि आपके द्वारा बताया जा रहा है तो पुरातत्व विभाग से बात करके दबाव डाला जाएगा कि सीघ्र ही उसका जीर्णोद्धार कराया जाय।

Byte-योगेंद्र बहादुर सिंह(अपर जिलाधिकारी,सोनभद्र)



चन्द्रकान्त मिश्रा
सोनभद्र
मो0 9450323031
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