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लखनऊ- रेजिडेंट डॉक्टर्स ने दी सत्याग्रह की चेतावनी

राजधानी लखनऊ के एसजीपीजीआई के रेजिडेंट डॉक्टरों ने एम्स के बराबर वेतन की मांगों को पूरा न होने पर अस्पताल प्रशासन को सत्याग्रह करने की धमकी दी है. रेजिडेंट डॉक्टर्स की माने तो वो पिछले कई दिनों से शांति पूर्ण तरीके से अपना विरोध जता रहे है. कल शाम को रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा कैंडल मार्च भी निकाला गया था. रेजिडेंट डॉक्टरों ने उपवास रखकर सत्याग्रह की चेतावनी दी है.

रेजिडेंट डॉक्टर्स ने दी सत्याग्रह की चेतावनी
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Published : Feb 6, 2019, 12:40 PM IST

लखनऊ: वैसे तो डॉक्टर्स को धरती का भगवान माना गया है पर अगर यही रेजिडेंट डॉक्टर्स स्ट्राइक करते है तो मरीज़ों और तीमारदारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

प्रदेश मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन के सदस्य अजय शुक्ला (रेजिडेंट डॉक्टर) ने कहा कि अगस्त में मुख्यमंत्री ने एसोसिएशन से साथ बैठक कर सभी मांगों को मंजूरी दी थी. लेकिन अफसरशाही ने अभी तक इन मांगों को पूरा नहीं किया है.

लखनऊ- रेजिडेंट डॉक्टर्स ने दी सत्याग्रह की चेतावनी
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यही वजह है कि डॉक्टरों को अपनी मांगों के लिए हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को पूरी तरह जायज ठहराते हुए एसोसिएशन ने इन्हें तुरंत मानने को कहा है. अगर जल्द ही उनकी मांगों को नहीं माना गया तो मजबूरी में उन्हें भी हड़ताल में उतरना पड़ेगा.

डॉक्टरों की सुरक्षा का मामला भी खटाई में पड़ा है. इससे साफ है कि अफसरशाही डॉक्टरों के प्रति पूरी तरह नकारात्मक है.
रेजिडेंट डॉक्टरों के मानदेय को तुरंत बढ़ाने का समर्थन करते हुए एसोसिएशन ने कहा है कि अन्य राज्यों की अपेक्षा प्रदेश में आरडीए डॉक्टरों का मानदेय बहुत कम है, जबकि डॉक्टरों की पढ़ाई आज के समय में बहुत मंहगी हो गई है. उन्होंने कहा है कि डॉक्टरों के साथ अन्याय सहन नहीं किया जाएगा.


राजधानी लखनऊ के एसजीपीजीआई के रेजिडेंट डॉक्टरों ने एम्स के बराबर वेतन की मांगो को पूरा न होने पर अस्पताल प्रशासन को सत्याग्रह करने की धमकी दी है. रेजिडेंट डॉक्टर्स की माने तो वो पिछले कई दिनों से शांति पूर्ण तरीके से अपना विरोध जता रहे है. कल शाम को रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा कैंडल मार्च भी निकाला गया था. रेजिडेंट डॉक्टरों ने उपवास रखकर सत्याग्रह की चेतावनी दी है. रेजिडेंट डॉक्टर्स का कहना है कि उन्हें फैकल्टी के समान ही ट्रीट किया जाना चाहिए.

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वही अगर अस्पताल प्रशाशन की माने तो उनका कहना है कि रेजिडेंट डॉक्टर्स स्ट्राइक न करे क्योंकि एसजीपीजीआई में एस्मा लागू हो चुका है. वही जब हमने पीजीआई डायरेक्टर से बात की तो उनका कहना था कि रेजिडेंट डॉक्टर्स को थोड़ा और वक़्त अस्पताल प्रशासन को देना चाहिए क्योंकि सरकार और अस्पताल प्रशासन पूरी तरीके से प्रतिबद्ध है और उनकी मांगों को भी ध्यान में रखा गया है.

लखनऊ: वैसे तो डॉक्टर्स को धरती का भगवान माना गया है पर अगर यही रेजिडेंट डॉक्टर्स स्ट्राइक करते है तो मरीज़ों और तीमारदारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

प्रदेश मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन के सदस्य अजय शुक्ला (रेजिडेंट डॉक्टर) ने कहा कि अगस्त में मुख्यमंत्री ने एसोसिएशन से साथ बैठक कर सभी मांगों को मंजूरी दी थी. लेकिन अफसरशाही ने अभी तक इन मांगों को पूरा नहीं किया है.

लखनऊ- रेजिडेंट डॉक्टर्स ने दी सत्याग्रह की चेतावनी
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यही वजह है कि डॉक्टरों को अपनी मांगों के लिए हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को पूरी तरह जायज ठहराते हुए एसोसिएशन ने इन्हें तुरंत मानने को कहा है. अगर जल्द ही उनकी मांगों को नहीं माना गया तो मजबूरी में उन्हें भी हड़ताल में उतरना पड़ेगा.

डॉक्टरों की सुरक्षा का मामला भी खटाई में पड़ा है. इससे साफ है कि अफसरशाही डॉक्टरों के प्रति पूरी तरह नकारात्मक है.
रेजिडेंट डॉक्टरों के मानदेय को तुरंत बढ़ाने का समर्थन करते हुए एसोसिएशन ने कहा है कि अन्य राज्यों की अपेक्षा प्रदेश में आरडीए डॉक्टरों का मानदेय बहुत कम है, जबकि डॉक्टरों की पढ़ाई आज के समय में बहुत मंहगी हो गई है. उन्होंने कहा है कि डॉक्टरों के साथ अन्याय सहन नहीं किया जाएगा.


राजधानी लखनऊ के एसजीपीजीआई के रेजिडेंट डॉक्टरों ने एम्स के बराबर वेतन की मांगो को पूरा न होने पर अस्पताल प्रशासन को सत्याग्रह करने की धमकी दी है. रेजिडेंट डॉक्टर्स की माने तो वो पिछले कई दिनों से शांति पूर्ण तरीके से अपना विरोध जता रहे है. कल शाम को रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा कैंडल मार्च भी निकाला गया था. रेजिडेंट डॉक्टरों ने उपवास रखकर सत्याग्रह की चेतावनी दी है. रेजिडेंट डॉक्टर्स का कहना है कि उन्हें फैकल्टी के समान ही ट्रीट किया जाना चाहिए.

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वही अगर अस्पताल प्रशाशन की माने तो उनका कहना है कि रेजिडेंट डॉक्टर्स स्ट्राइक न करे क्योंकि एसजीपीजीआई में एस्मा लागू हो चुका है. वही जब हमने पीजीआई डायरेक्टर से बात की तो उनका कहना था कि रेजिडेंट डॉक्टर्स को थोड़ा और वक़्त अस्पताल प्रशासन को देना चाहिए क्योंकि सरकार और अस्पताल प्रशासन पूरी तरीके से प्रतिबद्ध है और उनकी मांगों को भी ध्यान में रखा गया है.

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