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लखनऊ : नमाज अदा करने को लेकर दायर याचिका पर मुस्लिम महिलाओं की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश और नमाज अदा करने की मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर राजधानी की मुस्लिम महिलाओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश और नमाज अदा करने को लेकर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है.

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Published : Apr 16, 2019, 10:44 PM IST

ईटीवी भारत से बातचीत करती मुस्लिम महिलाएं.

लखनऊ: मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश और नमाज अदा करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को दायर की गई याचिका पर कोर्ट ने केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया है. वहीं लखनऊ की मुस्लिम महिलाएं पहले से ही मस्जिद में प्रवेश और नमाज अदा करने की बात कह रही हैं. उनका कहना है कि मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश और नमाज अदा करने को लेकर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है.

ईटीवी भारत से बातचीत करतीं मुस्लिम महिलाएं.

लखनऊ की मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि मस्जिदों में उनके प्रवेश को लेकर कोई पाबंदी नहीं है. वह पिछले काफी वक्त से मस्जिदों में न केवल प्रवेश बल्कि नमाज भी अदा करती चली आ रही हैं. महिलाओं का कहना है कि याचिका में मस्जिदों में प्रवेश की मांग गलत है क्योंकि हमेशा से ही महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा करती रही हैं.

शिया समुदाय से आने वाली लखनऊ की फरहाना मलिकी कहती है कि न केवल नमाज बल्कि मन्नत मांगने और शादी के वक्त ताख भरने की भी रस्म महिलाओं द्वारा मस्जिद में अदा की जाती है. वहीं निगहत बेगम कहती है कि यह याचिका गुमराह करने वाली है क्योंकि न सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि दुनिया भर के देशों में मुस्लिम महिलाएं मस्जिद जाती हैं और नमाज अदा करती हैं. सायरा खातून का भी कहना है कि मस्जिद में महिलाएं जाती रहती हैं और नमाज भी अदा करती हैं. इस पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है.

लखनऊ: मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश और नमाज अदा करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को दायर की गई याचिका पर कोर्ट ने केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया है. वहीं लखनऊ की मुस्लिम महिलाएं पहले से ही मस्जिद में प्रवेश और नमाज अदा करने की बात कह रही हैं. उनका कहना है कि मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश और नमाज अदा करने को लेकर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है.

ईटीवी भारत से बातचीत करतीं मुस्लिम महिलाएं.

लखनऊ की मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि मस्जिदों में उनके प्रवेश को लेकर कोई पाबंदी नहीं है. वह पिछले काफी वक्त से मस्जिदों में न केवल प्रवेश बल्कि नमाज भी अदा करती चली आ रही हैं. महिलाओं का कहना है कि याचिका में मस्जिदों में प्रवेश की मांग गलत है क्योंकि हमेशा से ही महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा करती रही हैं.

शिया समुदाय से आने वाली लखनऊ की फरहाना मलिकी कहती है कि न केवल नमाज बल्कि मन्नत मांगने और शादी के वक्त ताख भरने की भी रस्म महिलाओं द्वारा मस्जिद में अदा की जाती है. वहीं निगहत बेगम कहती है कि यह याचिका गुमराह करने वाली है क्योंकि न सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि दुनिया भर के देशों में मुस्लिम महिलाएं मस्जिद जाती हैं और नमाज अदा करती हैं. सायरा खातून का भी कहना है कि मस्जिद में महिलाएं जाती रहती हैं और नमाज भी अदा करती हैं. इस पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है.

Intro:मुंबई की एक मुस्लिम दंपत्ति द्वारा मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश और नमाज़ अदा करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को दायर की गई याचिका पर जहाँ एक ओर केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया गया है वहीं लखनऊ की मुस्लिम महिलाएं पहले से ही मस्जिद में प्रवेश और नमाज़ अदा करने की बात कह रही है।


Body:लखनऊ की मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि मस्जिदों में उनके प्रवेश को लेकर कोई पाबंदी नहीं है और वह पिछले काफी वक्त से मस्जिदों में ना केवल प्रवेश बल्कि नमाज भी अदा करती चली आ रही है महिलाओं का कहना है कि इस याचिका में मस्जिदों में प्रवेश की मांग गलत है क्योंकि हमेशा से ही महिलाएं मस्जिद में नमाज़ अदा करती रही है, शिया समुदाय से आने वाली लखनऊ की फरहाना मलिकी कहती है कि न केवल नमाज़ बल्कि मन्नत मांगने और शादी के वक्त ताख भरने की भी रस्म महिलाओं द्वारा मस्जिद में अदा की जाती है वहीं निगहत बेगम कहती है कि यह याचिका गुमराह करने वाली है क्योंकि न सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि दुनिया भर के देशों में मुस्लिम महिलाएं मस्जिद जाती है और अपनी नमाज़ अदा करती है, इसी के साथ सायरा खातून का भी कहना है कि मस्जिद में महिलाएं जाती रहती है और अपनी नमाज़ भी अदा करती है।

बाइट1:- फरहाना मलिकी, मुस्लिम महिला
बाइट2:- निगहत बेगम, मुस्लिम महिला
बाइट3:- सायरा खातून, मुस्लिम महिला


Conclusion:गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के बाद देश में एक नई बहस छिड़ती नजर आ रही है वहीं मुस्लिम महिलाओं के साथ धर्मगुरुओं का इस याचिका पर कुछ अलग ही कहना है, अब देखना यह होगा की सबरीमाला मंदिर के बाद महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट क्या रुख अख्तियार करती है।

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