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लखनऊ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, आउट ऑफ टर्न प्रमोशन की वरिष्ठता सूची को किया खारिज

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सपा शासनकाल में पुलिस महकमे की आउट आफ टर्न प्रोन्नति को अधिक महत्व देकर बनी वरिष्ठता सूची को खारिज कर दिया है, साथ ही इससे जुड़े दो शासनादेशों को भी निरस्त कर दिया है.

लखनऊ हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए आउट आफ टर्न प्रोन्नति को अधिक महत्व देकर बनी वरिष्ठता सूची को खारिज कर दिया है.
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Published : Feb 28, 2019, 2:50 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पुलिस महकमे से जुड़ा हुआ एक बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट नेअखिलेश सरकार के दौरान आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति को अधिक महत्व देकर बनी वरिष्ठता सूची खारिजकरते हुएइससे सम्बंधित दो शासनादेशों को भी निरस्त कर दिया है. न्यायालय ने नियमित प्रोन्नति और आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाने वालों को दो भिन्न वर्ग बताते हुए, आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाने वाले इंस्पेक्टरों को वरिष्ठता प्रदान करने वाले 23 जुलाई 2015 और990 नॉन गैज्टेड पुलिस अधिकारियों को वन टाइम सीनियॉरिटी प्रदान करने संबधी 27 जुलाई 2015 के शासनादेश को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही न्यायालय ने 24 फरवरी 2016 को बनायी गयी वरिष्ठता सूची को भी निरस्त कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने महंत यादव व कुछ अन्य इंस्पेक्टरों की ओर से दायर अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया है.अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि नियमित प्रोन्नति के जरिए अपने कैडर में इंस्पेक्टर के रूप में नियुक्ति पाए याचीगण, आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाए इंस्पेक्टरों से वरिष्ठ थे.न्यायालय ने स्पष्ट किया कि आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाए इंस्पेक्टर कैडर के नियमित पदों पर नियुक्त इंस्पेक्टरों से खुद को वरिष्ठ नहीं कह सकते हैं.

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न्यायालय ने नए सिरे से वरिष्ठता सूची का निर्धारण करने का भी आदेश दिया है. न्यायालय के इस आदेश से बड़ी संख्या में आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाकर इंस्पेक्टर बने पुलिस अधिकारियों को झटका लगा है, क्योंकिइसी वरिष्ठता के आधार पर वे डिप्टी एसपी के पदों तक पहुंचे हैं.

याचिकामें कहा गया था कियाचियों की नियुक्ति सब इंस्पेक्टर के मूल पदों पर हुई थीऔर बाद में उनको इंस्पेक्टर के पद पर नियमित प्रोन्नति मिली.राज्य सरकार ने कुछ सब इंस्पेक्टरों को 1994 में आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति प्रदान कर दी थी. सरकार ने आगे प्रोन्नति के लिए 24 फरवरी 2016 को जो वरिष्ठता सूची बनाई,उसमें आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाने वाले इंस्पेक्टरों को सूची में उनसे वरिष्ठ करार दे दिया जो कि नियम के विरुद्ध है. उल्लेखनीय है कि उक्त याचिकाओं में प्रतिवादी बनाए गए आउट ऑफ़ टर्न प्रोन्नति पाए, इंस्पेक्टरों के अधिवक्ता कोर्ट के बार-बार समय देने पर भी बहस के लिए हाजिर नहीं हुए। इस पर न्यायालय ने याचियों के वकील व सरकारी वकील की बहस सुनने के बाद निर्णय सुना दिया.

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लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पुलिस महकमे से जुड़ा हुआ एक बड़ा फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट नेअखिलेश सरकार के दौरान आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति को अधिक महत्व देकर बनी वरिष्ठता सूची खारिजकरते हुएइससे सम्बंधित दो शासनादेशों को भी निरस्त कर दिया है. न्यायालय ने नियमित प्रोन्नति और आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाने वालों को दो भिन्न वर्ग बताते हुए, आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाने वाले इंस्पेक्टरों को वरिष्ठता प्रदान करने वाले 23 जुलाई 2015 और990 नॉन गैज्टेड पुलिस अधिकारियों को वन टाइम सीनियॉरिटी प्रदान करने संबधी 27 जुलाई 2015 के शासनादेश को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही न्यायालय ने 24 फरवरी 2016 को बनायी गयी वरिष्ठता सूची को भी निरस्त कर दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने महंत यादव व कुछ अन्य इंस्पेक्टरों की ओर से दायर अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया है.अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि नियमित प्रोन्नति के जरिए अपने कैडर में इंस्पेक्टर के रूप में नियुक्ति पाए याचीगण, आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाए इंस्पेक्टरों से वरिष्ठ थे.न्यायालय ने स्पष्ट किया कि आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाए इंस्पेक्टर कैडर के नियमित पदों पर नियुक्त इंस्पेक्टरों से खुद को वरिष्ठ नहीं कह सकते हैं.

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न्यायालय ने नए सिरे से वरिष्ठता सूची का निर्धारण करने का भी आदेश दिया है. न्यायालय के इस आदेश से बड़ी संख्या में आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाकर इंस्पेक्टर बने पुलिस अधिकारियों को झटका लगा है, क्योंकिइसी वरिष्ठता के आधार पर वे डिप्टी एसपी के पदों तक पहुंचे हैं.

याचिकामें कहा गया था कियाचियों की नियुक्ति सब इंस्पेक्टर के मूल पदों पर हुई थीऔर बाद में उनको इंस्पेक्टर के पद पर नियमित प्रोन्नति मिली.राज्य सरकार ने कुछ सब इंस्पेक्टरों को 1994 में आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति प्रदान कर दी थी. सरकार ने आगे प्रोन्नति के लिए 24 फरवरी 2016 को जो वरिष्ठता सूची बनाई,उसमें आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाने वाले इंस्पेक्टरों को सूची में उनसे वरिष्ठ करार दे दिया जो कि नियम के विरुद्ध है. उल्लेखनीय है कि उक्त याचिकाओं में प्रतिवादी बनाए गए आउट ऑफ़ टर्न प्रोन्नति पाए, इंस्पेक्टरों के अधिवक्ता कोर्ट के बार-बार समय देने पर भी बहस के लिए हाजिर नहीं हुए। इस पर न्यायालय ने याचियों के वकील व सरकारी वकील की बहस सुनने के बाद निर्णय सुना दिया.

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आउट आफ टर्न प्रोन्नति को अधिक महत्व देकर बनी वरिष्ठता सूची खारिज 
सूची में इंस्पेक्टर के मूल पदों के अपेक्षा आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाए इंस्पेक्टरों को बनाया गया था वरिष्ठ

आदेश का कई डिप्टी एसपी पर पड़ सकता है प्रभाव

विधि संवाददाता
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अखिलेश सरकार में व
आउट आफ टर्न प्रोन्नति को अधिक महत्व देकर बनी वरिष्ठता सूची खारिज और इससे सम्बंधित दो शासनादेशों को निरस्त कर दिया है। न्यायालय ने नियमित प्रोन्नति और आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाने वालों को दो भिन्न वर्ग बताते हुए, आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाने वाले इंस्पेक्टरों को  वरिष्ठता प्रदान करने वाले 23 जुलाई 2015 990 नॉन गैज्टेड पुलिस अधिकारियों को वन टाइम सीनियॉरिटी प्रदान करने संबधी 27 जुलाई 2015 के शासनादेश को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने 24 फरवरी 2016 को बनायी गयी वरिष्ठता सूची को भी निरस्त कर दिया है।
    यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने महंत यादव व कुछ अन्य इंस्पेक्टरों की ओर से दायर अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया। अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि नियमित प्रोन्नति के द्वारा अपने कैडर में इंस्पेक्टर के रूप में नियुक्ति पाए याचीगण, आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाए इंस्पेक्टरों से वरिष्ठ थे। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाए इंस्पेक्टर कैडर के नियमित पदों पर नियुक्त इंस्पेक्टरों से खुद को वरिष्ठ नहीं कह सकते हैं। न्यायालय ने नए सिरे से वरिष्ठता सूची का निर्धारण करने का भी आदेश दिया है। न्यायालय के इस आदेश से बड़ी संख्या में आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाकर इंस्पेक्टर बने पुलिस अधिकारियों को झटका लगा है क्योकिं इसी वरिष्ठता के आधार पर वे डिप्टी एसपी के पदों पर पहुंच चुके हैं।

याचिकाओं में कहा गया था कि  याचियों की नियुक्ति सब इंस्पेक्टर के मूल पदों पर हुई थी  और बाद में उनको इंस्पेक्टर के पद पर नियमित प्रोन्नति मिली। यह भी कहा गया कि राज्य सरकार ने कुछ सब इंस्पेक्टरों को 1994 में आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति प्रदान कर दी थी। सरकार ने आगे प्रोन्नति के लिए 24 फरवरी 2016 को जो वरिष्ठता सूची बनायी उसमें आउट ऑफ टर्न प्रोन्नति पाने वाले इंस्पेक्टरों को सूची में उनसे वरिष्ठ करार दे दिया जो कि नियम विरुद्ध है। उल्लेखनीय है कि उक्त याचिकाओं में प्रतिवादी बनाए गए आउट ऑफ़ टर्न प्रोन्नति पाए, इंस्पेक्टरों के अधिवक्ता कोर्ट के बार-बार समय देने पर भी बहस के लिए हाजिर नहीं हुए। इस पर न्यायालय ने याचियों के वकील व सरकारी वकील की बहस सुनने के बाद निर्णय सुना दिया।

 न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि वर्ष 1994 में  कुछ सब इंस्पेक्टरों को इंस्पेक्टर के पदों पर आउफ ऑफ टर्न प्रोन्नति एक्स कैडर पोस्ट पर दी गई थी न कि उनकी इंस्पेक्टर के पद पर उनकी नियुक्ति मूल कैडर के रूप में हुई थी लिहाजा वे मूल पदों पर नियुक्ति पाए इंस्पेक्टरेां से वरिष्ठ नहीं हो सकते हैं। न्यायालय ने कहा कि प्रोन्नति  पुलिस नियमावली के तहत होनी चाहिए, जबकि सरकार का 23 27 जुलाई 2015 को पारित आदेश व 24  फरवरी 2016 को बनी वरिष्ठता सूची नियमावली अनुसार सही नहीं है। न्यायालय ने दो माह में नियमावली के अनुसार नई वरिष्ठता सूची बनाने के भी आदेश दिये हैं।

 


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Chandan Srivastava
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