बुलंदशहर: सूबे में शासन स्तर से बहुत बातें होती हैं कि स्वास्थ्य सुविधाओं को आमजन तक पहुंचाने के लिए बहुत काम किया है. कई सेवाएं शरू की है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कैलाश नाथ तिवारी का कहना है कि जिले में 13 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 4 ब्लॉक पीएचसी, 60 एडीशनल सेंटर ऑफ अर्बन पीएचसी हैं.
अगर बात की जाए तो बुलंदशहर में करीब ढाई सौ डॉक्टर के पद हैं. वहीं जिला अस्पताल में 62 डॉक्टर के पद सृजित हैं, लेकिन न ही जिला मुख्यालय पर पर्याप्त डॉक्टर्स और अन्य मेडिकल स्टॉफ है और न ही जिले के सुदूर इलाकों में ही पर्याप्त डॉक्टर उपलब्ध हैं. ये तो छोड़िए इतने बड़े जिले में किसी भी हॉस्पिटल में एक सर्जन तक भी नहीं है. यह हम नहीं कहते यह कहना है जिले के सीएमओ का.
सीएमओ कैलाश नाथ तिवारी ने ईटीवी भारत को बताया कि बुलंदशहर में लगभग 45 से 50 परसेंट स्टॉफ की कमी स्वास्थ्य महकमे में बनी हुई है. उससे भी जो बड़ी बात है वह यह है कि जिले में कोई सर्जन तक नहीं है. कार्डियोलॉजिस्ट नहीं है. यानी जो मरीज यहां इस उम्मीद के साथ रूख करता है कि उसे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी तो वो सभी उम्मीदें सरकारी अस्पतालों में आते-आते धराशायी हो जाती हैं.
जिले के जिम्मेदार सीएमओ का कहना है कि उनके पास सिवाय रेफर करने के कोई दूसरा उपाय नहीं है कि उनका कैसे इलाज किया जाए. जब पर्याप्त संख्या में डॉक्टर्स ही नहीं हैं तो बेहतर इलाज कैसे संभव हो. इतना ही नहीं जिले के कई सीएचसी पीएचसी पर तो दवाइयां भी वार्ड ब्यॉय देते देखे जा सकते हैं.