लखनऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने शिवपाल यादव की विधानसभा की सदस्यता रद्द किए जाने की याचिका वापस कर दी है. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व विधानसभा में नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी ने शिवपाल यादव की सदस्यता समाप्त किए जाने की याचिका दाखिल की थी. याचिका का परीक्षण किया जा रहा था.
इसी बीच रामगोविंद चौधरी ने एक प्रार्थना पत्र देकर याचिका वापस लेने की मांग की. उन्होंने याचिका वापस लेने का कारण बताया कि याचिका के साथ महत्वपूर्ण दस्तावेज लगाना चाह रहे हैं.
समाजवादी पार्टी से अलग होकर नई पार्टी का गठन करने की वजह से सपा नेतृत्व ने दल परिवर्तन के आधार पर शिवपाल यादव की सदस्यता समाप्त कराने का निर्णय लिया था. नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी ने 4 सितंबर 2019 को शिवपाल यादव के विरुद्ध संविधान की दसवीं अनुसूची एवं सुसंगत नियमों के अंतर्गत याचिका प्रस्तुत की थी.
विधानसभा सचिवालय से मिली जानकारी के मुताबिक याचिका का सुसंगत प्रक्रिया के अंतर्गत परीक्षण किया जा रहा था. इसी बीच रामगोविंद चौधरी ने इस आशय का प्रार्थना पत्र दिया है कि उनको उक्त याचिका को वापस लेने की अनुमति प्रदान की जाए. चौधरी द्वारा इस संबंध में यह कहा गया कि उक्त याचिका के दाखिल करने के समय कतिपय महत्वपूर्ण अभिलेख एवं साक्ष्य याचिका के साथ संलग्न नहीं किए जा सके थे.
सुसंगत अभिलेखों के अवलोकन के पश्चात यह समाधान हो गया है कि न्याय हित में याचिका को वापस किए जाने की अनुमति प्रदान किया जाना उपयुक्त होगा. इससे याचिकाकर्ता को आवश्यक अभिलेख एवं साक्ष्य संलग्न करने का अवसर प्राप्त हो सकेगा. विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने रामगोविंद चौधरी के 23 मार्च 2020 को दिए गए प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया है. शिवपाल यादव के विरुद्ध उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य (दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता) नियमावली 1987 के नियम-7 के अंतर्गत प्रस्तुत की गई याचिका को वापस किए जाने की अनुमति प्रदान की गयी. इसके साथ ही फिलहाल उनकी सदस्यता बच गयी है.