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जर्जर भवन में चल रहा अस्पताल, खतरा मोल लेकर इलाज कर रहे डॉक्टर

कटघर क्षेत्र में स्थित एक जर्जर भवन में स्वास्थ्य विभाग चार अस्पतालों का संचालन कर रहा है. अलमारियों की दीवार बनाकर एक ही कमरे में चल रहें इस अस्पताल में हर वक्त छत गिरने का खतरा बना रहता है.

जर्जर भवन में चल रहा अस्पताल
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Published : Feb 2, 2019, 4:39 PM IST

मुरादाबाद : सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने का दावा करती हो, लेकिन हकीकत इसके एकदम उलट नजर आती है. जर्जर बिल्डिंगों में चल रहें स्वास्थ्य विभाग के अस्पताल मरीजों के इलाज के बजाय स्टाफ के लिए ही खतरा बन चुकें है.

जर्जर भवन में चल रहा अस्पताल
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कटघर थाना क्षेत्र स्थित डिप्टी जगन्नाथ अस्पताल सौ साल से पुरानी बिल्डिंग में चल रहा है. वर्तमान में इस भवन में अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, नगरीय स्वास्थ्य केंद्र, डॉट सेंटर और बीमाधारक मरीजों के चार अस्पताल चल रहें है. जर्जर हो चुके भवन की छत पूरी तरह उखड़ चुकी है और हर वक्त छत से प्लास्तर गिरता रहता है.


अस्पताल के कमरों में अंधेरे के चलते बिना बिजली यहां काम करना सम्भव नहीं. एक ही भवन में चल रहें इन अस्पतालों में मरीज भी इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन संसाधनों के अभाव में उनको हायर सेंटर रेफर करना स्टाफ की मजबूरी है.


हैरानी की बात यह है कि अस्पताल के बड़े कमरे में बीमाधारकों के लिए बना अस्पताल और अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बीच में अलमारियों से दीवार बनाकर काम चलाया जा रहा है. यहां काम करने वाले स्टाफ के मुताबिक संसाधनों का अभाव और हर वक्त खतरे की आशंका के चलते मरीजों को देखने में बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ता है.

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स्टाफ द्वारा कई बार उच्च अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया गया लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हो पाया. जिस अस्पताल में स्टाफ ही अपनी सुरक्षा को लेकर हर समय आशंकित नजर आता हो वहां मरीजों को बेहतर इलाज मिलना मुश्किल ही नजर आता है. सौ साल से अधिक समय से इस भवन में अस्पताल चल रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी संसाधन बढ़ाने के बजाय नया सेंटर बनाने में व्यस्त रहें. ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर कभी इस जर्जर भवन में कोई हादसा हो जाय और स्टाफ और मरीज उसकी चपेट में आएं तो जिम्मेदारी किसकी होगी.

मुरादाबाद : सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने का दावा करती हो, लेकिन हकीकत इसके एकदम उलट नजर आती है. जर्जर बिल्डिंगों में चल रहें स्वास्थ्य विभाग के अस्पताल मरीजों के इलाज के बजाय स्टाफ के लिए ही खतरा बन चुकें है.

जर्जर भवन में चल रहा अस्पताल
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कटघर थाना क्षेत्र स्थित डिप्टी जगन्नाथ अस्पताल सौ साल से पुरानी बिल्डिंग में चल रहा है. वर्तमान में इस भवन में अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, नगरीय स्वास्थ्य केंद्र, डॉट सेंटर और बीमाधारक मरीजों के चार अस्पताल चल रहें है. जर्जर हो चुके भवन की छत पूरी तरह उखड़ चुकी है और हर वक्त छत से प्लास्तर गिरता रहता है.


अस्पताल के कमरों में अंधेरे के चलते बिना बिजली यहां काम करना सम्भव नहीं. एक ही भवन में चल रहें इन अस्पतालों में मरीज भी इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन संसाधनों के अभाव में उनको हायर सेंटर रेफर करना स्टाफ की मजबूरी है.


हैरानी की बात यह है कि अस्पताल के बड़े कमरे में बीमाधारकों के लिए बना अस्पताल और अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बीच में अलमारियों से दीवार बनाकर काम चलाया जा रहा है. यहां काम करने वाले स्टाफ के मुताबिक संसाधनों का अभाव और हर वक्त खतरे की आशंका के चलते मरीजों को देखने में बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ता है.

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स्टाफ द्वारा कई बार उच्च अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया गया लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हो पाया. जिस अस्पताल में स्टाफ ही अपनी सुरक्षा को लेकर हर समय आशंकित नजर आता हो वहां मरीजों को बेहतर इलाज मिलना मुश्किल ही नजर आता है. सौ साल से अधिक समय से इस भवन में अस्पताल चल रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी संसाधन बढ़ाने के बजाय नया सेंटर बनाने में व्यस्त रहें. ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर कभी इस जर्जर भवन में कोई हादसा हो जाय और स्टाफ और मरीज उसकी चपेट में आएं तो जिम्मेदारी किसकी होगी.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने का दावा करती हो लेकिन हकीकत इसके एकदम उलट नजर आती है. जर्जर बिल्डिंगों में चल रहें स्वास्थ्य विभाग के अस्पताल मरीजों के इलाज के बजाय स्टाफ के लिए ही खतरा बन चुकें है. मुरादाबाद जनपद के कटघर क्षेत्र में स्थित एक जर्जर भवन में स्वास्थ्य विभाग चार अस्पतालों के संचालन कर रहा है. अलमारियों की दीवार बनाकर एक ही कमरे में चल रहें इन अस्पतालों में हर वक्त छत गिरने का खतरा बना रहता है. अस्पताल स्टाफ इस भवन में ड्यूटी करने को खतरों से खेलना करार दे रहा है.


Body:वीओ वन: मुरादाबाद के कटघर थाना क्षेत्र स्थित डिप्टी जगन्नाथ अस्पताल सौ साल से पुरानी बिल्डिंग में चल रहा है. वर्तमान में इस भवन में अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, नगरीय स्वास्थ्य केंद्र, डॉट सेंटर और बीमाधारक मरीजों के चार अस्पताल चल रहें है. जर्जर हो चुके भवन की छत पूरी तरह उखड़ चुकी है और हर वक्त छत से प्लास्तर गिरता रहता है. अस्पताल के कमरों में अंधेरे के चलते बिना बिजली यहां काम करना सम्भव नहीं. एक ही भवन में चल रहें इन अस्पतालों में मरीज भी इलाज के लिए पहुंचते है लेकिन संसाधनों के अभाव में उनको हायर सेंटर रेफर करना स्टाफ की मजबूरी है.
बाइट: विनोद: डॉक्टर
वीओ टू: हैरानी की बात यह है कि अस्पताल के बड़े कमरे में बीमाधारकों के लिए बना अस्पताल और अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बीच में अलमारियों से दीवार बनाकर काम चलाया जा रहा है. यहां काम करने वाले स्टाफ के मुताबिक संसाधनों का अभाव और हर वक्त खतरे की आशंका के चलते मरीजों को देखने में बड़ी असुविधा का सामना करना पड़ता है. स्टाफ द्वारा कई बार उच्च अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया गया लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हो पाया.
बाइट: शुभेन्द्र: स्टाफ कर्मी अर्बन स्वास्थ्य केंद्र


Conclusion:वीओ तीन: जिस अस्पताल में स्टाफ ही अपनी सुरक्षा को लेकर हर समय आशंकित नजर आता हो वहां मरीजों को बेहतर इलाज मिलना मुश्किल ही नजर आता है. सौ साल से अधिक समय से इस भवन में अस्पताल चल रहा है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी संसाधन बढ़ाने के बजाय नया सेंटर बनाने में व्यस्त रहें. ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर कभी इस जर्जर भवन में कोई हादसा हो जाय और स्टाफ और मरीज उसकी चपेट में आएं तो जिम्मेदारी किसकी होगी.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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