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मेरठ में कैंची का इतिहास 300 साल पुराना, 50 से अधिक देशों में होता है निर्यात - scissors of Meerut

वर्तमान काल में विश्व भर कि कैचियों में मेरठ की कैंची सबसे ज्यादा मशहूर है. यहां पर बड़े पैमाने पर कैचियों का निर्माण किया जाता है. मेरठ में बनी कैची मात्र मेरठ या भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर के करीब 50 से अधिक देशों में निर्वाचित की जाती है.

मेरठ की कैंची सबसे ज्यादा मशहूर
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Published : May 14, 2019, 6:55 PM IST

मेरठ : कैची के अविष्कार की बात करें तो इसका इतिहास पाषाण काल से शुरू होता है. नव प्रस्तर युग में मानव पत्थर के बने ब्लेड का इस्तेमाल अपने बाल काटने और अन्य चीजों को काटने के लिए करता था. उस समय यह शस्त्र का भी काम करता था. कभी जान बचाने के लिए भी मानव इसका इस्तेमाल करता था. आधुनिक युग में अब इसका कारोबार होने लगा.

मेरठ की कैंची सबसे ज्यादा मशहूर.

केश कर्तन से लेकर कपड़े कागज आदि को काटने के लिए

कैंची आधुनिक मानव की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा हो गई. आदिकाल में जहां पत्थर से बाल काटे जा रहे थे, वहीं अब लोहे की बनी कैंचियों से बाल काटे जाने लगे. इसका धीरे-धीरे व्यापार शुरू हुआ और फिर यह रोजगार से जुड़ गया. मानव जब अपने सौंदर्य को लेकर सजग हुआ तो यह और भी जरूरी हो गया.

मेरठ की कैंची पर एक नजर-

  • मेरठ में बड़े पैमाने पर कैंचियों का निर्माण किया जाता है.
  • यहां की बनी कैंची विश्वभर के करीब 50 से अधिक देशों में भेजी जाती है.
  • इसमें केन्या, कजाकिस्तान, गाना, रूस सहित अन्य देश भी सम्मिलित हैं.
  • यहां पर कैची उद्योग बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराती है.

वर्तमान परिपेक्ष्य में यहां का व्यापार सिमट रहा है, जिसका कारण है चीन का व्यापार में बढ़ता वर्चस्व. एक समय था जब का व्यापार और सालाना की आय प्राप्त करता था. अब यह 15-20 करोड़ पर सिमट कर रह गया है.

केसी गुप्ता के अनुसार मेरठ में कैचियों का व्यापार लगभग 300 वर्ष से होता आ रहा है. कहा जाता है कि बेगम समरू सबसे पहले विदेश से कैंची की तरह की एक हथियार लाई थीं, जिसको देखकर यहां के कारीगरों ने कैंची का निर्माण किया. मेरठ में कैचियों का निर्माण कबाड़ को पिघलाकर किया जाता है.

मेरठ : कैची के अविष्कार की बात करें तो इसका इतिहास पाषाण काल से शुरू होता है. नव प्रस्तर युग में मानव पत्थर के बने ब्लेड का इस्तेमाल अपने बाल काटने और अन्य चीजों को काटने के लिए करता था. उस समय यह शस्त्र का भी काम करता था. कभी जान बचाने के लिए भी मानव इसका इस्तेमाल करता था. आधुनिक युग में अब इसका कारोबार होने लगा.

मेरठ की कैंची सबसे ज्यादा मशहूर.

केश कर्तन से लेकर कपड़े कागज आदि को काटने के लिए

कैंची आधुनिक मानव की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा हो गई. आदिकाल में जहां पत्थर से बाल काटे जा रहे थे, वहीं अब लोहे की बनी कैंचियों से बाल काटे जाने लगे. इसका धीरे-धीरे व्यापार शुरू हुआ और फिर यह रोजगार से जुड़ गया. मानव जब अपने सौंदर्य को लेकर सजग हुआ तो यह और भी जरूरी हो गया.

मेरठ की कैंची पर एक नजर-

  • मेरठ में बड़े पैमाने पर कैंचियों का निर्माण किया जाता है.
  • यहां की बनी कैंची विश्वभर के करीब 50 से अधिक देशों में भेजी जाती है.
  • इसमें केन्या, कजाकिस्तान, गाना, रूस सहित अन्य देश भी सम्मिलित हैं.
  • यहां पर कैची उद्योग बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराती है.

वर्तमान परिपेक्ष्य में यहां का व्यापार सिमट रहा है, जिसका कारण है चीन का व्यापार में बढ़ता वर्चस्व. एक समय था जब का व्यापार और सालाना की आय प्राप्त करता था. अब यह 15-20 करोड़ पर सिमट कर रह गया है.

केसी गुप्ता के अनुसार मेरठ में कैचियों का व्यापार लगभग 300 वर्ष से होता आ रहा है. कहा जाता है कि बेगम समरू सबसे पहले विदेश से कैंची की तरह की एक हथियार लाई थीं, जिसको देखकर यहां के कारीगरों ने कैंची का निर्माण किया. मेरठ में कैचियों का निर्माण कबाड़ को पिघलाकर किया जाता है.

Intro:केश कर्तन से लेकर कपड़े कागज आदि को काटने के लिए
कैची का उपयोग होता आ रहा है कैची के यदि अविष्कार की बात करें तो इसका इतिहास पाषाण काल तक जाता है नव प्रस्तर युग में मानव पत्थर के बने ब्लेड का इस्तेमाल अपने बाल काटने एवं अन्य चीजों को काटने के लिए करता था यही से कैंची का
शुरुआती दौर शुरू हुआ जब मानव अपने सौंदर्य को लेकर ज्यादा सजग हो रहा था...


Body:कैची का अपना एक इतिहास और जीवन लीला है किसी की जान बचाने के लिए तो किसी के लिए कपड़े बनाने के लिए यह हर जगह व्याप्त हो गई ऐसे में ऐसी महत्वपूर्ण वस्तु का व्यापार और इसको बनाना एक रोजगार से जुड़ गया वर्तमान काल में विश्व भर कि कैसियो में मेरठ की कैंची सबसे ज्यादा मशहूर है तथा यहां पर बड़े पैमाने पर कैसियो का निर्माण किया जाता है मेरठ में बनी कैची मात्र मेरठ या भारत में ही नहीं अपितु विश्व भर के करीब 50 से अधिक देशों में निर्वाचित की जाती है इसमें केनिया कजाकिस्तान गाना रूस सहित अन्य देश भी सम्मिलित है यहां पर कैची उद्योग बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध कराती है परंतु वर्तमान परिपेक्ष में यहां का व्यापार सिमट रहा है जिसका कारण है चीन का व्यापार में बढ़ता वर्चस्व एक समय था जब का व्यापार और सालाना की आय प्राप्त करता था पर वर्तमान परिपेक्ष में यह 15 20 करोड़ पर सिमट कर रह गया है...
यहां की कैसी गुप्ता के अनुसार अत्यंत उत्तम होती है परंतु विदेशी कैचिया शशि और ज्यादा सटीक तरीके से सुंदर बनाई जाती है जिसकी वजह से ग्राहकों का रुझान उनकी तरफ है मेरठ में कैच यू का व्यापार लगभग 300 वर्ष से होता आ रहा है कहा जाता है कि बेगम समरू सबसे पहले विदेश से कैंची की तरह की एक हथियार लाई थी जिसको देखकर यहां के कारीगरों ने कैसी का निर्माण किया मेरठ में क्या जिओ का निर्माण कबाड़ को पिलाकर किया जाता है जिससे कबाड़ का चक्कर भी हो जाता है मेरठ की कैंची को लेकर एक कहावत मशहूर है दादा ले पोटा बरतें अर्थात दादा खरीदे और पोता तक उसका उपयोग करें...



पारस गोयल मेरठ
9412785769



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