लखनऊ:हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 के सम्बंध में राज्य सरकार के उस शासनादेश को निरस्त कर दिया है, जिसके तहत उक्त परीक्षा का क्वालिफाइंग मार्क्स अनारक्षित के लिये 65 व आरक्षित वर्ग के लिये 60 प्रतिशत कर दिया गया था. न्यायालय ने परीक्षा नियंत्रक प्राधिकरण को पिछली परीक्षा के अनुसार ही क्वालिफाइंग मार्क्स तय करते हुए तीन माह के भीतर परिणाम घोषित करने का भी आदेश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल सदस्यीय पीठ ने मोहम्मद रिजवान व अन्य समेत कुल 99 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. याचिकाओं में सचिव, बेसिक शिक्षा अनुभाग- चार द्वारा 7 जनवरी 2019 को जारी शासनादेश को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत 6 जनवरी 2019 को हुई लिखित परीक्षा के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स 65 व 60 प्रतिशत कर दिया गया था. याचीगण शिक्षामित्र थे. उनकी ओर से दलील दी गई थी कि लिखित परीक्षा होने के बाद क्वालिफाइंग मार्क्स घोषित करना, विधि के सिद्धांतों के प्रतिकूल है.अधिवक्ता अमित सिंह भदौरिया ने बताया कि याचियों का आरोप था कि शिक्षामित्रों को भर्ती से रोकने के लिये, सरकार ने पिछली परीक्षा की तुलना में इस बार अधिक क्वालिफाइंग मार्क्स लिखित परीक्षा के पश्चात घोषित कर दिया.
वहीं सरकार की ओर से 7 जनवरी के शासनादेश का बचाव करते हुएकहा गया कि क्वालिटी एजुकेशन के लिये उसके द्वारा यह निर्णय लिया गया है.सरकार की ओर से यह भी दलील दी गई कि पिछली परीक्षा की तुलना में इस बार काफी अधिक अभ्यर्थियों ने भाग लिया था, इस वजह से भी क्वालिफाइंग मार्क्स बढाना पड़ा.जिसके जवाब में याचियों की ओर से दलील दी गई कि वे शिक्षामित्र हैं और उन्हें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आगामी दो परीक्षाओं में 25 मार्क्स का वेटेज दिये जाने का निर्देश दिया गया था.याचियों का कहना था कि वर्ष 2018 की सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में क्वालिफाइंग मार्क्स 45 व 40 प्रतिशत तय किया गया था, जिसमें वे भाग ले चुके हैं. यह उनके लिये सहायक शिक्षक पद पर भर्ती होने का आखिरी मौका है लिहाजा इसका भी क्वालिफाइंग मार्क्स पिछली परीक्षा के अनुसार ही होना चाहिए,अन्यथा उनके साथ भेदभाव होगा.
न्यायालय ने उक्त टिप्पणियों के साथ 65 व 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स सम्बंधी 7 जनवरी 2019 के शासनादेश को निरस्त कर दिया.साथ ही न्यायालय ने 1 दिसम्बर 2018 के शासनादेश व 5 दिसम्बर 2018 के विज्ञापन के शर्तों के ही तहत तथा वर्ष 2018 की परीक्षा के तरीके से तीन माह में परिणाम घोषित करने का आदेश दिया.न्यायालय ने चयन प्रक्रिया भी शीघ्रता से निपटाने के आदेश दिये हैं.