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भदोही: एक प्राध्यापक की स्मार्ट सोच ने सरकारी स्कूल को बना दिया स्मार्ट

जिले में एक प्राध्यापक की स्मार्ट सोच ने सराकरी स्कूल का कायापलट कर दिया. बच्चों के भविष्य के लिए प्राध्यापक ने अपने ही सैलरी से स्कूल को स्मार्ट स्कूल बनाया. जिसमें पढ़कर बच्चे अपना भविष्य संवार सकें.

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Published : Feb 15, 2019, 8:58 PM IST

भदोही : जिले में एक प्राध्यापक ने सरकारी स्कूल का कायापलट कर दिया है. उन्होंने अपने वेतन से बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए स्मार्ट क्लास बनवाई है. इससे बच्चे अब प्रोजेक्टर के जरिए स्मार्ट क्लास में पढ़ेंगे. प्राध्यापक की इस पहल से बच्चों के परिजनों में खासा उत्साह है.

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स्मार्ट स्कूल में पढ़ाते शिक्षक.
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जिला प्रशासन की तरफ से भी इस पहल की बहुत तारीफें हुई हैं. इस सफल प्रयोग के बाद भदोही में 13 से अधिक ऐसे सरकारी स्कूल हैं जिनमें स्मार्ट क्लासेस के जरिए बच्चों को पढ़ाया जाता है. प्राध्यापक अरविंद पाल ने लगभग 35 हजार खर्च में इस काम को पूरा किया. अरविंद का कहना है कि बहुत सारी चीजें ऐसी होती हैं जो बच्चे पढ़कर नहीं समझ सकते. वह दृश्य और आवाज के माध्यम से आसानी से और जल्द समझ लेते हैं.


प्राध्यापक अरविंद पाल के इस स्मार्ट क्लास को शुरू करने के बाद अगल-बगल गांव के भी बच्चे उस स्कूल में पढ़ने के लिए आने लगे. वहां का यह स्कूल आसपास के लोगों में सदैव चर्चा का विषय बना रहता है. वहां के प्राइवेट स्कूल भी इस सरकारी स्कूल की बराबरी नहीं कर पाते हैं. स्मार्ट क्लास ही नहीं बल्कि यहां की साफ-सफाई और व्यवस्थाओं को देख कोई भी यह नहीं कह सकता किया एक सरकारी स्कूल है.

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प्राध्यापक ने सरकारी स्कूल का कायापलट किया
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इस पहल के लिए प्राथमिक स्कूल परिषद ने साल 2014 में अरविंद पाल को बेस्ट टीचर का अवार्ड दिया. 2016 में इन्हें 'यूनो इनोवेटिव टीचर' के अवार्ड से भी नवाजा गया. जिला और मंडल स्तर पर भी इन्हें कई पुरस्कार मिले हैं. उन्होंने अपने पैसे से पूरे विद्यालय रिसर में पौधारोपण कराया है. बिजली न रहने पर स्मार्ट क्लास संचालन में परेशानी न हो इसके लिए उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में इनवर्टर भी रखा है.


इस स्कूल में बच्चों को संसदीय प्रणाली की जानकारी और स्कूल की व्यवस्था को अच्छा रखने के लिए संसद स्कूल का गठन किया गया है. इसमें स्कूल के बच्चों को मंत्री बनाकर उन्हें जिम्मेदारी दी गई है. उन्होंने अपने स्कूल में लाइब्रेरी का भी निर्माण कराया है. बच्चे अच्छी तरह से पढ़ें इसके लिए उन्होंने बच्चों को तीन वर्गों में बांटा है. वे बच्चों के लिए अलग से एक्स्ट्रा क्लास भी चलाते हैं ताकि कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जा सके.

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भदोही : जिले में एक प्राध्यापक ने सरकारी स्कूल का कायापलट कर दिया है. उन्होंने अपने वेतन से बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए स्मार्ट क्लास बनवाई है. इससे बच्चे अब प्रोजेक्टर के जरिए स्मार्ट क्लास में पढ़ेंगे. प्राध्यापक की इस पहल से बच्चों के परिजनों में खासा उत्साह है.

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स्मार्ट स्कूल में पढ़ाते शिक्षक.
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जिला प्रशासन की तरफ से भी इस पहल की बहुत तारीफें हुई हैं. इस सफल प्रयोग के बाद भदोही में 13 से अधिक ऐसे सरकारी स्कूल हैं जिनमें स्मार्ट क्लासेस के जरिए बच्चों को पढ़ाया जाता है. प्राध्यापक अरविंद पाल ने लगभग 35 हजार खर्च में इस काम को पूरा किया. अरविंद का कहना है कि बहुत सारी चीजें ऐसी होती हैं जो बच्चे पढ़कर नहीं समझ सकते. वह दृश्य और आवाज के माध्यम से आसानी से और जल्द समझ लेते हैं.


प्राध्यापक अरविंद पाल के इस स्मार्ट क्लास को शुरू करने के बाद अगल-बगल गांव के भी बच्चे उस स्कूल में पढ़ने के लिए आने लगे. वहां का यह स्कूल आसपास के लोगों में सदैव चर्चा का विषय बना रहता है. वहां के प्राइवेट स्कूल भी इस सरकारी स्कूल की बराबरी नहीं कर पाते हैं. स्मार्ट क्लास ही नहीं बल्कि यहां की साफ-सफाई और व्यवस्थाओं को देख कोई भी यह नहीं कह सकता किया एक सरकारी स्कूल है.

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प्राध्यापक ने सरकारी स्कूल का कायापलट किया
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इस पहल के लिए प्राथमिक स्कूल परिषद ने साल 2014 में अरविंद पाल को बेस्ट टीचर का अवार्ड दिया. 2016 में इन्हें 'यूनो इनोवेटिव टीचर' के अवार्ड से भी नवाजा गया. जिला और मंडल स्तर पर भी इन्हें कई पुरस्कार मिले हैं. उन्होंने अपने पैसे से पूरे विद्यालय रिसर में पौधारोपण कराया है. बिजली न रहने पर स्मार्ट क्लास संचालन में परेशानी न हो इसके लिए उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में इनवर्टर भी रखा है.


इस स्कूल में बच्चों को संसदीय प्रणाली की जानकारी और स्कूल की व्यवस्था को अच्छा रखने के लिए संसद स्कूल का गठन किया गया है. इसमें स्कूल के बच्चों को मंत्री बनाकर उन्हें जिम्मेदारी दी गई है. उन्होंने अपने स्कूल में लाइब्रेरी का भी निर्माण कराया है. बच्चे अच्छी तरह से पढ़ें इसके लिए उन्होंने बच्चों को तीन वर्गों में बांटा है. वे बच्चों के लिए अलग से एक्स्ट्रा क्लास भी चलाते हैं ताकि कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जा सके.

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Intro:उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर का हाल छिपा नहीं है लेकिन कुछ ऐसे भी शिक्षक है जो अपनी मेहनत से प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों की दशा और दिशा बदलने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं उन्हीं शिक्षकों में से एक भदोही जिले के चितईपुर माध्यमिक विद्यालय के प्राध्यापक हैं प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक ने बच्चों के बेहतर भविष्य और अच्छी शिक्षा देने के लिए अपने वेतन से स्मार्ट क्लास बनाई ताकि बच्चे नई तकनीक के जरिए पढ़ाई में स्मार्ट बनकर देश का भविष्य सवार सके


Body:शायदकिसी ने नहीं सोचा होगा कि भदोही जैसे पिछड़े जनपद मैं बच्चे स्मार्ट क्लास में बैठ कर पढ़ाई करेंगे लेकिन इस बात को सच करने की जिद जो यहां के प्रिंसिपल ने ठानी तो उसे पूरा करके दिखाया सन 2014 में सुबह का पहला सरकारी प्राथमिक विद्यालय चितईपुर बना जिसमें बच्चे स्मार्ट क्लास में बैठकर शिक्षा लेना शुरू किए वहां के प्रिंसिपल अरविंद पाल ने अपने वेतन के पैसों से ₹35000 लगाकर बच्चों के लिए स्मार्ट क्लास बनाई बच्चे अब प्रोजेक्टर के जरिए स्मार्ट क्लास में शिक्षा ग्रहण करते हैं वह भी किसी सरकारी मदद से नहीं बल्कि अरविंद पाल की मेहनत की वजह से इस पहल से प्राथमिक विद्यालय के बच्चों और अभिभावकों को काफी उम्मीदें हैं वहीं जिला प्रशासन भी इस पहल की तारीफ करते आज तक नहीं थका महकमे में इसके सफल प्रयोग के बाद भदोही में 13 से अधिक ऐसे सरकारी स्कूल है जिनमें स्मार्ट क्लास के जरिए बच्चों को पढ़ाया जाता है और वह स्कूल किसी भी प्राइवेट पब्लिक स्कूल को पीछे छोड़ चुके हैं लगभग ₹35000 खर्च खर्च करके अरविंद पाल ने सूबे में जो पहल की वह अभी शिक्षा के क्षेत्र में अविस्मरणीय है उनका कहना है कि बहुत सारी चीजें ऐसी होती है जो बच्चे पढ़ के समझ नहीं सकते वह विजुअल और साउंड के माध्यम से आसानी से और जल्दी समझ लेते हैं उनके इस स्मार्ट क्लास को शुरू करने के बाद अगल-बगल गांव के भी बच्चे उस स्कूल में पढ़ने के लिए आने लगे वहां का यह स्कूल आसपास के लोगों में सदैव चर्चा का विषय बना रहता है और वहां के प्राइवेट स्कूल भी इस स्कूल की बराबरी नहीं कर पाते हैं स्मार्ट क्लास ही नहीं बल्कि यहां की साफ-सफाई और व्यवस्थाओं को देख कोई भी यह नहीं कह सकता किया एक सरकारी स्कूल है क्योंकि उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों की स्थिति जग जाहिर है


Conclusion:इस पहल के लिए अरविंद पाल को सन 2014 में बेस्ट टीचर का अवार्ड प्राथमिक स्कूल परिषद के द्वारा दिया गया सन् 2016 में इन्हें यूनो इनोवेटिव टीचर के अवार्ड से भी नवाजा गया जिला और मंडल स्तर पर भी इन्हें कई पुरस्कार मिले उन्होंने अपने पैसे से पूरे विद्यालय के परिसर में पौधारोपण कराया है बिजली न रहने पर स्मार्ट क्लास संचालन में परेशानी ना हो इसके लिए उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में इनवर्टर भी रखा है यहां बच्चों को संसदीय प्रणाली की जानकारी और स्कूल की व्यवस्थाओं को अच्छा रखने के लिए संसद स्कूल का गठन करके स्कूल के बच्चों को मंत्री बनाकर उन्हें जिम्मेदारी दी है उन्होंने अपने स्कूल में लाइब्रेरी का भी निर्माण कराया है बच्चे अच्छी तरह से पढ़ें इसके लिए उन्होंने बच्चों को 3 कैटेगरी में डिवाइड करके अलग एक्स्ट्रा क्लास भी चलाते हैं ताकि कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जा सके अरविंद पाल सुबह के अन्य सरकारी स्कूलों के लिए मिसाल बने हुए हैं उन्हें देख दूसरे टीचर भी प्रेरित होते हैं और कुछ अच्छा करने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं

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